मामला कांग्रेसी नेतृत्व के आपसी घमासान का, सत्तासीन प्रदेशों में पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर लग रहा

Edited By Vaneet,Updated: 31 Aug, 2020 03:16 PM

matter of mutual conflict of the congress leadership

कांग्रेस पार्टी का समय राजनीतिक दृष्टिकोण से बुरी तरह से खराब चल रहा है। ...

पठानकोट/लुधियाना(शारदा,हितेश): कांग्रेस पार्टी का समय राजनीतिक दृष्टिकोण से बुरी तरह से खराब चल रहा है। जब भी पार्टी कुछ अच्छा करने का प्रयास करती है तो उसका उलटा ही प्रभाव सामने आता है। इसी प्रकार काफी लम्बे समय से दुखी 23 नेताओं ने हिम्मत करके वर्करों की भावनाओं को पार्टी के समक्ष रखने का प्रयास किया जिसकी सराहना होनी तो दूर, उलटा उन्हें गद्दार होने की संज्ञा देने में गांधी परिवार के तथाकथित वफादारों ने एक मिनट का समय भी नहीं लगाया और मुख्य मुद्दा जो एक पत्र में इन नेताओं ने उठाया था वह गौण हो गया। इस मुद्दे पर कांग्रेस अब दोफाड़ होती नजर आ रही है। राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर मुद्दों की भरमार के बीच कांग्रेसी नेतृत्व का आपसी घमासान साफ दिख रहा है। 

जिस प्रकार से गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे पुराने और कद्दावर कांग्रेसी नेता अपनी बात रख रहे हैं वह न केवल उन्हें मीडिया में उचित स्थान दे रही है अपितु कांग्रेस विचारधारा वाले 90 प्रतिशत वर्कर उनकी उठाई गई मांगों से सहमत भी हैं। अगर पत्र में फुल टाइम और प्रभावशाली नेतृत्व के बारे में लिखा गया है, ऐसी मांग को कौन सा वर्कर गलत कहेगा। इसी प्रकार सिब्बल कहते हैं कि सी.डब्ल्यू.सी. के चुनाव और पार्टी को पुन: पैरों पर खड़ा करने के  लिए सामूहिक रूप से ‘संस्थागत नेतृत्व तंत्र’ स्थापित हो, की मांग को सी.डब्ल्यू.सी. में ङ्क्षचतन करने की बजाय पत्र लिखने वालों को कटघरे में खड़ा करना किसी भी एंगल से तर्कसंगत नहीं है। जिन राज्यों में कांग्रेस सत्तासीन है, जिनमें पंजाब और राजस्थान प्रमुख हैं, में कांग्रेस लगभग पूरी तरह टकराव की स्थिति में है। पंजाब में कैप्टन विरोधी ग्रुप के लोग सरकार पर हमले प्रभावशाली ढंग से कर रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि दागदार होना स्वाभाविक है। 

इसी प्रकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी की 7 मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में जिस प्रकार से राजस्थान के संकट को उछालकर उसे भाजपा से जोडऩे का प्रयास किया और माना कि परमात्मा की कृपा से हम बच गए हैं, सचिन पायलट व उनकी टीम पर वह एक बहुत बड़ा कटाक्ष था। अभी भी वह सचिन पायलट को पूरी तरह से राजनीतिक रूप से दरकिनार करने के मूड में हैं। सत्तापक्ष मोदी और उनकी टीम कांग्रेस के आपसी द्वंद्व युद्ध से कितना आनंदित होगी इसकी कल्पना राजनीतिक लोग सहज ही कर सक ते हैं। गांधी परिवार के साथ वफादार होना कांग्रेसियों के लिए कोई बुरी बात नहीं परंतु एक पत्र लिखने पर अपने ही नेताओं को गद्दार जैसे शब्दों से सम्बोधित करना और उनको भाजपा के साथ जोड़कर अपनी राजनीतिक भड़ास निकालना पार्टी हित में नहीं। सत्तासीन प्रदेशों में पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग रहा है। 

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