‘पंजाब’ के अधिकारियों के लिए नुक्सानदायक है पुलिस जोन खत्म करने का फैसला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 11:34 AM

punjab  officials are decisive to eliminate police zone

राज्य सरकार द्वारा पंजाब में पुलिस जोन सिस्टम को खत्म करने का फैसला पंजाब के अधिकारियों के लिए नुक्सानदायक करार दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत कम पी.पी.एस. अधिकारी आई. जी. स्तर तक पहुंच पाते हैं।

चंडीगढ़ (रमनजीत सिंह): राज्य सरकार द्वारा पंजाब में पुलिस जोन सिस्टम को खत्म करने का फैसला पंजाब के अधिकारियों के लिए नुक्सानदायक करार दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत कम पी.पी.एस. अधिकारी आई. जी. स्तर तक पहुंच पाते हैं। पी.पी.एस. अधिकारियों का मानना है कि डायरैक्ट आई.पी.एस. अधिकारियों ने पंजाब पुलिस में अपनी लॉबी को प्रभावशाली करने के मकसद से ही सरकार से इस तरह की पॉलिसी बनवाई है। हालांकि अनुशासनात्मक फोर्स होने से अधिकारी सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन सूचना है कि पी.पी.एस. अधिकारियों की लॉबी राज्य सरकार के इस आर्डीनैंस को अदालत में चैलेंज करने की संभावनाएं तलाश रही है। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने आई.जी. स्तर के अधिकारी द्वारा हैड किए जाने वाले 4 पुलिस जोन खत्म कर दिए हैं और उनके अधीन काम कर रहीं 7 पुलिस रेंज का काम डी.आई.जी. स्तर के अधिकारी की बजाय आई.जी. या डी.आई.जी. को सौंपने का प्रावधान किया है, जिससे आई.जी. का प्रभाव क्षेत्र तो कम होगा ही, साथ ही डी.आई.जी. स्तर के अधिकारियों का फील्ड में तैनात होने का चांस भी कम हो जाएगा। 


पंजाब पुलिस के एक पी.पी.एस. अधिकारी ने बताया कि असल में इस नए फैसले का पुलिस के प्रशासनिक ढांचे या जनता को मिलने वाली सेवाओं में कोई बड़ा फायदा नहीं होने वाला है बल्कि इससे पंजाब के नौजवानों को ऊंचे करियर पायदान तक पहुंचने से हाथ जरूर धोने पड़ेंगे। इस बारे में एक सॄवग पी.पी.एस. अधिकारी ने कहा कि डायरैक्टर आई.पी.एस. भर्ती होने वाला अधिकारी करीबन 16 वर्ष की नौकरी दौरान ही आई.जी. स्तर तक पहुंच जाता है जबकि पी.पी.एस. काडर से आई.पी.एस. प्रमोट होने व डी.आई.जी.-आई.जी. स्तर तक पहुंचने में 20 वर्ष से भी ज्यादा लग जाता है वो भी तब जब डायरैक्ट डी.एस.पी. भर्ती हो। 


पंजाब में आई.पी.एस. काडर में डायरैक्ट व प्रमोटी के लिए 67-33 रेशो है, मतलब 100 में से 67 अधिकारी डायरैक्ट आई.पी.एस. से लिए जाते हैं जबकि 33 अधिकारियों को पी.पी.एस. से प्रमोट करके आई.पी.एस. काडर दिया जाता है। पंजाब में आतंकवाद के समय से ही पी.पी.एस. व आई.पी.एस. काडर में एक अंदरूनी खींचतान चल रही है क्योंकि पंजाब के होने की वजह से पी.पी.एस. अधिकारियों को जिलों की कमान सौंपी जाती रही है। आतंकवाद का खात्मा करने के बाद पी.पी.एस. अधिकारियों को जिलों की कमान देने का क्रम लगातार जारी रहा, जिससे आई.पी.एस. लॉबी को लगातार अपने करियर का ‘नुक्सान’ झेलना पड़ा क्योंकि हाई रैंक प्रमोशंस के समय फील्ड एडमिनिस्ट्रेशन यानी जिले की कमान संभालने के हिस्से को बहुत अहम माना जाता है। 


पंजाब में आई.पी.एस. अधिकारियों द्वारा जिलों में एस.एस.पी. की काडर पोस्ट को आई.पी.एस. काडर से ही भरने के लिए काफी समय तक दबाव बनाया जाता रहा और धीरे-धीरे इसे लागू करते हुए पी.पी.एस. अधिकारियों को सुपरिटैंडैंट आफ पुलिस (एस.पी.) या फिर ए.आई.जी. की पोस्टों तक सीमित करवा दिया। इससे पी.पी.एस. से आई.पी.एस. प्रमोट होने वाले अधिकारियों की प्रमोशन भी प्रभावित होनी शुरू हो गई क्योंकि आई.पी.एस. को मुख्यत: एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट माना जाता है और जिला संभालने का अनुभव कम होना पी.पी.एस. अधिकारियों के प्रमोशन केसों को कमजोर करने लगा। 


डायरैक्ट इंस्पैक्टर भर्ती होने वाले पुलिस अधिकारी 20-22 वर्ष की नौकरी के बाद आई.पी.एस. स्तर अधिकतम आई.जी. स्तर तक पहुंचने की संभावना रखते थे, लेकिन मौजूदा समय में यह हाल है कि पिछले करीब 6 वर्ष से इंस्पैक्टर रैंक पर पुलिस की भर्ती नहीं हुई है बल्कि ए.एस.आई. या एस.आई. से प्रमोट होकर ही इंस्पैक्टर बन रहे हैं। ऐसे मुलाजिम अब सिर्फ एस.पी. स्तर तक ही पहुंच पाएंगे और कुछेक के ही एस.एस.पी. बनने की संभावना रहेगी। 
 

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