Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Mar, 2018 12:40 PM
9 परिवारों के 51 सदस्यों को वालंटियर फॉर सोशल जस्टिस संस्था की शिकायत पर एस.डी.एम. ने जांच करके बंधुआ मजदूरी करते रिहा कराकर अपने प्रदेश (उ.प्र.) भेज दिया है। रिहा करवाए गए ज्यादातर मजदूरों को कम खाना और गंदा पानी पीने से तबीयत खराब हो चुकी थी।
फिल्लौर (भाखड़ी): 9 परिवारों के 51 सदस्यों को वालंटियर फॉर सोशल जस्टिस संस्था की शिकायत पर एस.डी.एम. ने जांच करके बंधुआ मजदूरी करते रिहा कराकर अपने प्रदेश (उ.प्र.) भेज दिया है। रिहा करवाए गए ज्यादातर मजदूरों को कम खाना और गंदा पानी पीने से तबीयत खराब हो चुकी थी।
गंदे पानी को खाने-पीने के लिए कर रहे थे इस्तेमाल
एडवोकेट योगेश कुमार ने बताया कि आजाद करवाए गए 51 मजदूरों में ज्यादातर मजदूरों की हालत काफी खराब हो चुकी है। यहां पर मजदूर नजदीकी खेतों में फसल को लगने वाले पानी को मजबूरी में पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। सबसे दुख की बात यह है कि उसी पानी को शौच जाने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते थे। कड़ी मेहनत और दो जून का गंदा खाना खाने से ज्यादातर मजदूर उनकी औरतें और बच्चे बुरी तरह से कमजोर पर चुके थे जिनके शरीर की बस हड्डियां ही दिखाई देती थीं।
कैसे पहुंचा बंधुआ मजदूरों का मामला संस्था के पास
वालंटियर फॉर सोशल जस्टिस संस्था के लीगल एडवाइजर एड. योगेश कुमार ने बताया कि उन्हें इसी माह की 1 मार्च को मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति से पता चला कि नजदीकी गांव मो. साहिब में ए.एस. वक्र्स के मालिक अवतार सिंह द्वारा अपने भट्ठे पर उ.प्र. के रहने वाले 9 परिवारों के 51 सदस्यों को पिछले 5 माह से बंदी बनाकर उनसे जबरन काम लिया जा रहा है, जिन्हें दो जून का खाना बड़ी मुश्किल से दिया जा रहा है जिससे ज्यादातर मजदूरी करने वाले लोगों की हालत खराब हो चुकी थी।
संस्था द्वारा उक्त परिवार के लोगों को रिहा करवाने के लिए एक शिकायत उसी दिन डिप्टी कमिश्नर जालंधर को दी गई, जिन्होंने इसकी जांच अगले दिन 2 मार्च को एस.डी.एम. फिल्लौर बाजवा को सौंपी। एस.डी.एम. ने इस जांच का जिम्मा तहसीलदार तप्पन भनौट को सौंपा, जिन्होंने गत दिवस अपनी रिपोर्ट एस.डी.एम. को सौंपते हुए कहा कि उक्त लोगों को भट्ठे पर रखकर उनसे जबरन बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है। जिस पर आज प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें रिहा कराकर उनकी बाकायदा डाक्टरी जांच करवाने के उपरांत प्राइवेट गाड़ी में बिठाकर अपने प्रदेश उ.प्र. भेज दिया है।
एड. योगेश ने बताया कि सभी 51 बंधुआ मजदूरों को संस्था ने बाकायदा बंधुआ मजदूरी के एस.डी.एम. से सर्टीफिकेट बनाकर दिए। सरकार द्वारा बंधुआ मजदूरी करते पाए जाने वाले पुरुष को 1 लाख रुपए व औरत को 2 लाख रुपए और बच्चों को 2 लाख रुपए सरकारी मदद दी जाती है। इस दौरान लेबर इंस्पैक्टर रणदीप सिंह सिद्धू ने भट्ठा मालिक द्वारा कोई रिकार्ड पेश न करने और कानून की उल्लंघना करने पर पर बाकायदा भट्ठे का चलान भी काटा।
तहसीलदार की हर तरफ हो रही प्रशंसा
संस्था के सदस्यों ने बताया कि एस.डी.एम. बाजवा ने 2 मार्च को बंधुआ मजदूरों की जांच का जिम्मा तहसीलदार तप्पन भनोट को सौंपा, जैसे ही उन्होंने भट्ठे पर पहुंचकर जांच शुरू की तो मजदूरों की भूख से कमजोर हुई सेहत उनसे देखी न गई और तहसीलदार ने अपनी जेब से खर्च करके 51 लोगों को 3 वक्त का खाना खिलाया। यही नहीं आज जब उक्त लोगों को प्राइवेट वाहन करके सामान समेत उ.प्र. भेजने के लिए उनका भाड़ा 5000 रुपए तहसीलदार भनोट ने अपनी जेब से दिए। तहसीलदार के इस नेकदिल कार्य की हर कोई प्रशंसा कर रहा है।