Edited By Updated: 10 Dec, 2016 04:35 PM
उपमंडल मुकेरियां के अंतर्गत ब्यास नदी के तट पर स्थित अनेक गांवों में मादक पदार्थों का बोलबाला है जब से नोटबंदी हुई है तब से मादक पदार्थों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है।
मुकेरियां (सुदर्शन): उपमंडल मुकेरियां के अंतर्गत ब्यास नदी के तट पर स्थित अनेक गांवों में मादक पदार्थों का बोलबाला है जब से नोटबंदी हुई है तब से मादक पदार्थों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। हैरोइन, चरस, चिट्टा, कैंडी, अफीम आदि की सप्लाई करने वाले अपने एजैंटों से नई करंसी की मांग कर रहे हैं, पुराने 500 तथा 1000 के नोट लेने से उन्होंने साफ इंकार कर दिया है।
ब्यास दरिया का तटीय क्षेत्र बना चिट्टे का गढ़
थोक व्यवसाय करने वालों के दिल्ली, बेंगलूर, नोएडा तथा राजस्थान के अलवर से तार जुड़े हुए हैं। हिमाचल व पंजाब के भू-संगम स्थल भदरोआ, बडुखर, बेला सरियाना, बसंतपुर, रियाली, इंदौरा मंड वे स्थान हैं जहां प्रतिदिन 12 से लेकर 18 लाख रुपए का गोरखधंधा होता है। गौरतलब है कि उक्त सभी गांव ब्यास दरिया के तट पर ही स्थित हैं। केवल भदरोआ गांव चक्की खड्ड पर है जो इस अवैध व्यवसाय का मुख्यालय माना
जाता है।
चिट्टे के कारण शराब का व्यवसाय हुआ ठप्प
उल्लेखनीय है कि चिट्टे, कैंडी आदि का व्यवसाय इतना फैल चुका है कि शराब के व्यापारी ठेकेदार अपना धंधा छोडऩे की सोच रहे हैं क्योंकि उनकी सेल 60 प्रतिशत कम होकर रह गई है। 25 वर्ष से शराब व्यवसाय से जुड़े खोसला एंड कम्पनी, पुरुषोत्तम शर्मा, विजय कुमार का कहना है कि उक्त आधुनिक मादक पदार्थों के फैले महाजाल के कारण तलवाड़ा, हाजीपुर, भोडे का खूह, झीर का खूह, चंगड़वां, बेला सरियाना, भवनाल, बुड्ढाबढ़, खुंडा, टांडा मोड़, हरदोखुंदपुर, पंडोरी भगत, कोडू का बेला, नंगल भूर, मीरथल स्थित शराब के ठेकों की सेल ठप्प होकर रह गई है। ठेकेदारों ने कहा कि सरकार ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए लाइसैंस फीस 4 गुना कर दी है मगर जिन नशीले पदार्थों की बिक्री से सरकार को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता, उन पर अंकुश भी नहीं लगाया जा रहा।
अब तक हुए 255 केस पंजीकृत
जिला होशियारपुर, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर तथा हिमाचल के ऊना व कांगड़ा के जिला पुलिस मुखियों की एक तालमेल एक्शन फोर्स के माध्यम से अब तक 356 तस्करों, जो हैरोइन, चरस, चिट्टा, अफीम, कैंडी आदि के अवैध व्यवसाय से जुड़े थे, को गिरफ्तार किया गया है। विश्वासनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पुलिस प्रशासन ने इस वर्ष अलग-अलग थानों में 255 केस पंजीकृत किए हैं। हैरत की बात है कि युवा वर्ग फिर भी इन नशों के चंगुल में फंसता जा रहा है।