Edited By Kalash,Updated: 20 May, 2025 03:14 PM
गुरदासपुर (विनोद): माधोपुर हैड वर्क्स से लगभग 7 किलोमीटर ऊपर और रंजीत सागर डैम से लगभग 11 किलोमीटर नीचे रावी दरिया पर लगभग 3,300 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला शाहपुरकंडी डैम अब निर्माण के अंतिम चरण में है। यह डैम बहुउद्देशीय रंजीत सागर डैम परियोजना का हिस्सा है, जिसमें दो जलविद्युत संयंत्र शामिल हैं। इन संयंत्रों के 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। डैम के शुरू होने पर इससे 206 मैगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे सालाना लगभग 1,042 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की जाएगी।
इसके साथ ही रंजीत सागर डैम से भी पूरी क्षमता से 600 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा, और रावी दरिया का अप्रयुक्त पानी पाकिस्तान जाने से रोका जा सकेगा। झील में पानी भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इस समय इसमें लगभग 390 मीटर जलस्तर है। जब जलस्तर 401 मीटर तक पहुंच जाएगा, तब जम्मू-कश्मीर को हाई लेवल नहर के जरिए 1,150 क्यूसिक पानी मिलेगा, जिससे 32,173 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी।
शाहपुरकंडी डैम का इतिहास
शाहपुरकंडी डैम की आधारशिला 20 अप्रैल 1995 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने रखी थी। करीब तीन दशकों बाद, यह डैम अब लगभग पूरा होने को है। 55.5 मीटर ऊंचा यह बांध, 3,300 करोड़ रुपए की परियोजना का हिस्सा है, जिसमें 206 मैगावाट की स्थापित क्षमता वाले दो जलविद्युत संयंत्र भी शामिल हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य रावी दरिया के पानी का अधिकतम उपयोग करना है, जो अब तक पाकिस्तान की ओर बह रहा था।
वर्तमान स्थिति
जल शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, डैम में पानी भरने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है और सुरक्षा जांच चल रही है। इस परियोजना से पंजाब में 5,000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। रावी दरिया, सिंधु नदी प्रणाली की तीन पूर्वी नदियों में से एक है और इसका जल सिंधु जल संधि (1960) के तहत भारत के हिस्से में आता है। इस संधि के तहत, भारत को रावी, व्यास और सतलुज नदियों से पानी का पूर्ण उपयोग करने का अधिकार है। वर्तमान में भारत पूर्वी नदियों के 94-95% जल का उपयोग कर रहा है, जिसमें प्रमुख बांध हैं - भाखड़ा (सतलुज), रंजीत सागर (रावी), पोंग व पंडोह (व्यास)। शाहपुरकंडी डैम के चालू होने से रंजीत सागर डैम को उसकी पूरी क्षमता से चलाया जा सकेगा, जिससे पाकिस्तान को पानी दिए बिना भारत अपने जल संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकेगा।
परियोजना में आई बाधाएं
1995 में रखी गई आधारशिला के बाद, यह परियोजना कई वर्षों तक वित्तीय संकट और पंजाब-जम्मू कश्मीर के बीच विवाद के कारण अटकी रही। 2014 में कार्य रुक गया और केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। 2018 में केंद्र सरकार ने इस परियोजना को "राष्ट्रीय परियोजना" घोषित किया और 485 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
डैम के दिसंबर 2025 तक चालू होने की उम्मीद
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, शाहपुरकंडी डैम दिसंबर 2025 तक चालू हो सकता है। इसके शुरू होने के बाद, पाकिस्तान को रावी दरिया का एक बूंद पानी भी नहीं जाएगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को डैम से उत्पन्न बिजली का 25% हिस्सा मुफ्त मिलेगा, क्योंकि इस डैम के अंतर्गत आने वाली अधिकांश भूमि जम्मू-कश्मीर राज्य की है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here