Edited By Kalash,Updated: 09 Aug, 2025 05:22 PM

रक्षाबंधन के पावन पर्व पर जहां बाजारों में चहलपहल रही, वहीं महंगाई ने इस त्यौहार की मिठास को फीका कर दिया।
बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि, उमेश): रक्षाबंधन के पावन पर्व पर जहां बाजारों में चहलपहल रही, वहीं महंगाई ने इस त्यौहार की मिठास को फीका कर दिया। लगातार बढ़ते दामों ने लोगों की जेब पर भारी असर डाला और खरीदारी के दौरान उपभोक्ताओं के चेहरे पर परेशानी साफ झलकती रही। खासकर फल और मिठाइयों के दाम आसमान छूते नजर आए, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए त्यौहार मनाना कठिन हो गया।
खरीदारी के दौरान लोगों में रोष
सुबह से ही बाजार में ग्राहकों की भीड़ रही, लेकिन जैसे ही लोग दुकानों पर दाम पूछते, तो कई बार हैरानी और नाराजगी उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती। फल विक्रेता सतपाल ने बताया कि त्यौहार के दिन ग्राहकों की कमी नहीं रही, लेकिन महंगाई के कारण अधिकतर लोगों ने जरूरत से बहुत कम मात्रा में ही सामान खरीदा। उन्होंने कहा कि पहले ग्राहक दो-दो किलो सेब, केले, बबूकोषा खरीदते थे, लेकिन आज अधिकतर ने आधा-आधा किलो ही लिया।
फलों के दामों ने उड़ाए होश
फल खरीदने आए ग्राहक रिंकू बंसल ने कहा कि मार्कीट में फलों के दाम सुनकर वे दंग रह गए। उन्होंने बताया कि सेब 150 से 250 रुपए प्रति किलो, बाबूगोशा 100 से 120 रुपए प्रति किलो, केला 50 से 60 रुपए प्रति दर्जन, पपीता 70 से 80 रुपए प्रति किलो, अनार 200 से 250 रुपए प्रति किलो और नारियल पानी 80 रुपए प्रति पीस बिक रहा है। उनके अनुसार, ऐसे दामों में मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए फल खरीदना लगभग नामुमकिन हो गया है।
मिठाइयों की कीमतें भी रहीं ऊंची
त्यौहार पर मिठाइयों की मांग हमेशा रहती है, लेकिन इस बार मिठाई की दुकानों पर भी महंगाई का असर साफ नजर आया। ग्राहक नरेंद्र कुमार ने बताया कि बर्फी और कलाकंद 400 से 500 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं। रसगुल्ला, गुलाब जामुन और चमचम के भी दाम इतने अधिक हैं कि आम आदमी के लिए खरीदना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि त्यौहार का मजा तभी आता है जब मिठास हो, लेकिन इस बार महंगाई ने स्वाद ही बिगाड़ दिया।
महंगाई ने घटाई त्यौहार की रौनक
रक्षाबंधन के अवसर पर बाजारों में भीड़ भले रही हो, लेकिन महंगाई ने त्योहार की रौनक को कम कर दिया। जहां पहले लोग घरों में तरह-तरह की मिठाइयां और ढेर सारे फल लेकर जाते थे, इस बार कई परिवार सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से ही खरीदारी कर पाए। कई लोगों का कहना था कि सरकार को त्यौहारों के मौसम में जरूरी वस्तुओं के दाम नियंत्रण में रखने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि त्योहार की असली खुशियां सभी तक पहुंच सकें।
इस बार रक्षाबंधन पर महंगाई की मार ने न सिर्फ आम आदमी की जेब हल्की कर दी, बल्कि त्यौहार की मिठास भी कम कर दी। जहां पहले भाई-बहन के इस पावन दिन पर घरों में ढेरों पकवान और फल सजते थे, वहीं इस बार अधिकतर लोगों को मजबूरी में सीमित बजट में त्योहार मनाना पड़ा।
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