ठंड बढ़ने के साथ पंजाब में अचानक मंडराने लगा बड़ा खतरा

Edited By Vatika,Updated: 29 Nov, 2023 01:14 PM

punjab corona virus

वायरस के लक्षण वाले मरीज बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं डाक्टरों के पास, फ्लू व निमोनिया के मरीजों की संख्या भी बड़ी

अमृतसर(दलजीत): सर्दी बढ़ते ही कोरोना वायरस एक बार फिर से आम लोगों की मुश्किल बढ़ा सकता हैं। छाती रोग से संबंधित डॉक्टर के पास इन दोनों कोरोना वायरस लक्षण वाले मरीज बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं। इसके अलावा फ्लू, निमोनिया, बुखार जुकाम आदि लक्षण से संबंधित मरीज बड़ी संख्या में अस्पतालों में आ रहे हैं। सर्दी में बच्चों व बुजुर्गों का उपरोक्त बीमारियों के कारण काफी हाल भी बहाल हो रहा है। छाती रोग से संबंधित निमोनिया जैसी बीमारी का यदि समय पर इलाज न करवाया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। फिलहाल पिछले वर्ष समय के मुकाबले उपरोक्त लक्षण वाले मरीजों की संख्या एकदम से काफी बढ़ गई है।

जानकारी के अनुसार सर्दियों के दौरान ठंड, सर्दी, खांसी और बुखार जैसी विभिन्न बीमारियों में बढ़ौत्तरी हुई है। मुख्य रूप से वायरस के बढ़ते प्रसार के कारण होता है। जुकाम एक संक्रामक बीमारी है, जो बहुत जल्दी बढ़ती है। यह बीमारी बहती नाक, बुखार, सुखी या गीली खांसी अपने साथ लाती है, जो श्वसन तंत्र पर अचानक हमला करता है। इसके कारण नाक बहना, छींकना, थकान, तीव्र बुखार, ठंड लगना, नाक जाम और खांसी जैसे बीमारियों में तेजी आती है। इसके कारण गले में खराश, खांसी, बुखार, शरीर में दर्द और सिरदर्द जैसी शिकायतें आती हैं। कॉमन कोल्ड में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष ध्यान और सावधानी बरतनी चाहिए। जैसे ही हम बच्चों में सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण देखते हैं, हम तुरंत अपने बच्चों को दवा देते हैं। ये तीन बीमारियां बहुत आम हैं और अधिकांश बच्चे हर दूसरे महीने सर्दी या खांसी से प्रभावित होते हैं। निमोनिया एक फेफड़ों का संक्रमण है, जो हलके से लेकर गंभीर तक हो सकता है, जिसके लिए आपको अस्पताल जाना पड़ता है।

यह तब होता है, जब किसी संक्रमण के कारण आपके फेफड़ों में हवा की थैली (आपका डाक्टर उन्हें एल्वियोली कहेगा) द्रव या मवाद से भर जाती है। इससे आपके रक्त प्रवाह में जाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन में सांस लेना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। फेफड़ों का यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है, लेकिन 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इसका अधिक खतरा होता है। इसका कारण यह है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हो सकती है। निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। आप इसे प्राप्त भी कर सकते हैं और इससे पूरी तरह अनजान हो सकते हैं। डाक्टर इसे वॉकिंग निमोनिया कहते हैं, कारणों में बैक्टीरिया, वायरस और कवक शामिल हैं। यदि आपका निमोनिया बैक्टीरिया या वायरस का परिणाम है तो आप इसे किसी और को फैला सकते हैं। जीवनशैली की आदतें, जैसे सिगरेट पीना और बहुत अधिक शराब पीना भी आपके निमोनिया होने की संभावना को बढ़ा सकता है।

निमोनिया पैदा करने वाले कीटाणु होते हैं संक्रामक
इंडियन 
मैडीकल एसोसिएशन के छाती व टी.बी. के नोडल अधिकारी डा. नरेश चावला के अनुसार निमोनिया पैदा करने वाले कीटाणु संक्रामक होते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पारित किया जा सकता है। छींकने या खांसने से वायुजनित बूंदों को सांस लेने से, वायरल और बैक्टीरियल निमोनिया दोनों को दूसरों में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस प्रकार का निमोनिया बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आने से फैलता है, जो सतहों या वस्तुओं पर निमोनिया का कारण बनता है। फंगल निमोनिया पर्यावरण से अनुबंधित किया जा सकता है। हालांकि, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पारित नहीं होता है। निमोनिया के लक्षण इतने हलके हो सकते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता कि वे इतने गंभीर हैं कि आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है। बैक्टीरिया का प्रकार जो निमोनिया का कारण बनता है, आपकी आयु और आपका समग्र स्वास्थ्य, यह सब इस बात को प्रभावित करता है कि आपका शरीर बीमारी के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। निमोनिया के लक्षण व लक्षण शामिल हो सकते हैं। उनके अनुसार निमोनिया कई प्रकार का हो सकता है, उनके मुख्य लक्षण खांसने से हरा, पीला या लाल रंग का बलगम भी बन सकता है। बुखार, पसीना व ठंड लगना, सांस लेने में तकलीफ तीव्र, उथली श्वास सीने में तेज या चुभने वाला दर्द जो गहरी सांस लेने या खांसने पर बढ़ जाता है, भूख में कमी, कम ऊर्जा और थकान, मतली और उल्टी, खासकर छोटे बच्चों में भ्रम, खासकर वृद्ध लोगों में अधिकतर सामने आते हैं, समय पर करवाया इलाज मरीज की कीमती जान बचा सकता है।

एकदम से ओ.पी.डी. व अस्पतालों में बढ़ीं मरीजों की संख्या
इंडियन 
मैडीकल एसोसिएशन के सदस्य डा. रजनीश शर्मा ने बताया कि सर्दी बढ़ते ही फ्लू तथा निमोनिया जैसी बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है तथा जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी इन मरीजों की संख्या और भी बढ़ सकती है। पिछले समय के मुकाबले इस वर्ष छाती से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।छाती में कफ क्रोनिक कंडीशन जैसे सी.ओ.पी.डी., ब्रोंकाइटिस, अस्थमा आदि के कारण जम सकता है तो वहीं, कोरोना के लक्षण सामने आने पर मरीज की छाती में जकड़न महसूस होती है। छाती से संबंधित बीमारी वाले मरीजों को सर्दियों में अपना खास ध्यान रखना चाहिए, जिस प्रकार छोटे बच्चों की छाती को गर्म करके रखा जाता है। इसी प्रकार उन्हें भी अपनी छाती को गर्म रखना चाहिए।

 

 

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