Edited By Subhash Kapoor,Updated: 02 Mar, 2025 06:27 PM
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एक अनोखी पहल के तहत पंजाब सरकार सरकारी स्कूलों की 10वीं कक्षा की छात्राओं की करियर से जुड़ी रुचि, क्षमता और योग्यता का पता लगाने के लिए उनका साइकोमेट्रिक टेस्ट करवाएगी।
चंडीगढ़: एक अनोखी पहल के तहत पंजाब सरकार सरकारी स्कूलों की 10वीं कक्षा की छात्राओं की करियर से जुड़ी रुचि, क्षमता और योग्यता का पता लगाने के लिए उनका साइकोमेट्रिक टेस्ट करवाएगी। इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी सांझा करते पंजाब के स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) द्वारा 10वीं कक्षा की छात्राओं के साइकोमेट्रिक टेस्ट के लिए सभी जिलों को 6.56 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आबंटित की गई है। इस कार्यक्रम के तहत, 31 मार्च 2025 तक 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली सभी 93,819 छात्राओं का टेस्ट किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को सुचारू रूप से लागू करने के लिए पूरे राज्य में जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) की अगुवाई में जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है।
ये समितियां अपने-अपने जिलों में टेस्टिंग प्रक्रिया और सभी कार्यों की निगरानी करेंगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों की मानसिक क्षमताओं, रुचियों और व्यक्तित्व गुणों का विश्लेषण करना है, ताकि उन्हें सही करियर चुनने में मार्गदर्शन दिया जा सके। हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि अधिकांश छात्र 10वीं की बोर्ड परीक्षा के बाद अपने भविष्य के करियर को लेकर असमंजस में रहते हैं। यह फैसला उनकी 11वीं कक्षा में स्ट्रीम चयन को प्रभावित करता है। हालांकि, निजी स्कूल अक्सर करियर काउंसलिंग प्रदान करते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्रों के पास यह सुविधा नहीं होती थी, जिसके कारण वे अपने सहपाठियों को देखकर उन्हीं की स्ट्रीम चुन लेते थे।
इस वजह से कई छात्र ऐसी स्ट्रीम चुन लेते थे, जो उनकी रुचि और योग्यता से मेल नहीं खाती थी। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस समस्या के महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों के छात्रों को निजी स्कूलों के छात्रों के बराबर मौके और सुविधाएं प्रदान करने के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट की शुरुआत की है। यह पहल छात्रों को ऐसा करियर मार्ग चुनने की क्षमता प्रदान करेगी, जो उनकी योग्यता और रुचियों से मेल खाता हो। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल छात्रों को अपने भविष्य के प्रति अधिक आत्मविश्वासी और जागरूक बनाएगा, बल्कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर में भी सुधार करेगा।