Edited By Kalash,Updated: 31 Mar, 2025 06:16 PM

शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते जिले के कई निजी स्कूल अभिभावकों का जमकर शोषण कर रहे हैं।
अमृतसर (दलजीत): शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते जिले के कई निजी स्कूल अभिभावकों का जमकर शोषण कर रहे हैं। नियमों का उल्लंघन करते हुए अधिकांश स्कूल अपने परिसर में ही छात्रों के अभिभावकों को मोटी रकम लेकर किताबें दे रहे हैं। उक्त स्कूलों की मनमानी के आगे बेबस प्रशासन ने लोगों की आंखों में धूल झौंकने के लिए एडवाइजरी तो जारी की है, लेकिन अफसोस की बात है कि एडवाइजरी जारी होने के बाद भी उक्त स्कूल बिना किसी डर के नियमों का उल्लंघन कर मनमानी कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार निजी स्कूलों को उनके परिवार में किताबें बेचने पर शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन द्वारा इस प्रतिबंध को लेकर जिले में एडवाइजरी जारी की है, अभिभावकों की सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया है और टीमें बनाने की बात कही है, लेकिन अफसोस की बात है कि जिले के कई स्कूल बिना किसी डर के स्कूल परिसर में ही किताबें बांट रहे हैं।
सी.बी.एस.ई. तथा पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबंधित कई स्कूलों द्वारा भी बिना किसी डर के ऑनलाइन पेमैंट भी ली जा रही है। इसके अलावा अभिभावकों से खाली रसीद पर हस्ताक्षर करने को कहा जा रहा है, जबकि कई स्कूल नकद लेकर स्कूल के अंदर ही किताबें बांट रहे हैं। प्रशासन व शिक्षा विभाग की नाक तले अभिभावकों का शोषण हो रहा है और अधिकारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं।
विभाग के पत्र सिर्फ कागजों के पेट भरने तक सीमित
विभाग समय-समय पर स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी कर उन्हें सूचित करता है तथा हाल ही में प्रशासन ने भी पत्र जारी कर आम जनता को जागरूक करने तथा टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराने को कहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग को पता है कि अभिभावकों का शोषण कहां हो रहा है। दूसरी ओर आर.टी.आई. एक्टिविस्ट जय गोपाल लाली व राजिंदर शर्मा राजू ने कहा कि विभाग कागजों से अपना पेट भरने तक ही सीमित है। अधिकारियों को सब कुछ पता है, लेकिन वे आंखें मूंदे हुए हैं। अभिभावक खुलकर सामने नहीं आते, क्योंकि उनके बच्चे का भविष्य दांव पर लगा होता है, लेकिन अधिकारी अभिभावकों की इस मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं और स्कूलों को कुछ नहीं कह रहे। सरकार को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
10 हजार के करीब छोटी कक्षाओं के बेचे जा रहे हैं पुस्तकों के सैट
एंटी क्रप्शन मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रमेशानंद सरस्वती ने बताया कि जिले के कई स्कूलों द्वारा 5000 से लेकर 10 हजार रुपए तक छोटी कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के किताबों के सैट बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर में एक प्रसिद्ध स्कूल है, जिसमें अधिकारियों और व्यापारियों के बच्चे पढ़ते हैं और वहां खुलेआम किताबों के सैट ऊंचे दामों पर बेचे गए हैं। इसकी जानकारी शिक्षा विभाग व प्रशासन को भी है, लेकिन इसके बावजूद उक्त स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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