ऑर्थो आप्रेशन थिएटर को ‘आप्रेशन’ की जरूरत

Edited By Updated: 10 May, 2017 09:57 AM

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गुरु नानक देव अस्पताल का ऑर्थो आप्रेशन थिएटर (हड्डियां) भगवान भरोसे चल रहा है। थिएटर में टूटे टेबलों तथा खस्ता हालत औजारों से मरीजों के आप्रेशन किए जा रहे हैं। थिएटर में न तो सी.आर. एक्सरे मशीन काम कर रही है तथा न ही इलैक्ट्रिक कोटरी ठीक है।...

अमृतसर(दलजीत): गुरु नानक देव अस्पताल का ऑर्थो आप्रेशन थिएटर (हड्डियां) भगवान भरोसे चल रहा है। थिएटर में टूटे टेबलों तथा खस्ता हालत औजारों से मरीजों के आप्रेशन किए जा रहे हैं। थिएटर में न तो सी.आर. एक्सरे मशीन काम कर रही है तथा न ही इलैक्ट्रिक कोटरी ठीक है। डाक्टरों ने थिएटर में मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण अब आप्रेशन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। मैडीकल कॉलेज के पिं्रसीपल तथा अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट उक्त समस्या से अवगत होते हुए भी समस्या के हल के लिए गंभीर नहीं हैं। 

जानकारी अनुसार अस्पताल का हड्डियों का विभाग पंजाब भर में बढिय़ा आप्रेशन तथा अच्छे इलाज के लिए मशहूर माना जाता है। पंजाब भर से सैंकड़ों लोग विभाग में तैनात माहिर डाक्टरों से आप्रेशन करवाने के लिए अस्पताल में आते हैं। अस्पताल के सभी विभागों के  कार्यों को देखा जाए तो सबसे ज्यादा हड्डियों से संबंधित आप्रेशन होते हैं। हड्डियों के विभाग के डाक्टर मूलभूत सुविधाएं न होते हुए भी मरीजों के आप्रेशन कर रहे हैं। कई बार आप्रेशन करते समय डाक्टरों को भी थिएटर में पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मौजूदा समय में डाक्टरों के सब्र का बांध टूट चुका है तथा उन्होंने आप्रेशन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। 

समस्या से अवगत परन्तु नहीं करवाते हल 
ऑर्थो आप्रेशन थिएटर समस्याओं से घिरा हुआ है। संबंधित विभाग द्वारा हर महीने मैडीकल कॉलेज के प्रिंसीपल तथा गुरु नानक देव अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट को उक्त समस्याओं संबंधी पत्र लिखा जाता है परंतु उक्त अधिकारियों द्वारा आज तक समस्या के हल के लिए गंभीरता नहीं दिखाई गई है। अधिकारियों की लापरवाही दर्शाती है कि विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई करके ही फाइलों का पेट भरता है जबकि असल में कोई कार्रवाई नहीं करता है।

धीमी रोशनी में होते हैं आप्रेशन
थिएटर में पिछले लम्बे समय से टूटे टेबलों पर ही मरीजों के आप्रेशन हो रहे हैं। कई टेबल तो ऐसे हैं जिनको ईंटों का सहारा देकर खड़ा किया गया है। अधिक भार वाले मरीज का आप्रेशन करते समय यह टेबल डगमगा जाते हैं। थिएटर में लाइटों का पर्याप्त प्रबंध न होने के कारण धीमी रोशनी में आप्रेशन किए जा रहे हैं। कई बार तो डाक्टरों को अधिक लाइट के लिए मोबाइल की बैटरी का भी इस्तेमाल करना पड़ता है। 

लकड़ी के औजारों से चलाया जा रहा है काम
मैडीकल कॉलेज प्रशासन द्वारा थिएटर में नए औजार न देने के कारण पुराने औजारों के सहारे ही काम किया जा रहा है यहां तक कि आप्रेशन में इस्तेमाल  होने वाली लोहे की मशीनरी न होने के कारण लकड़ी के औजार लेकर काम चलाया जा रहा है। ऑर्थो विभाग के डाक्टरों द्वारा अपने तजुर्बे तथा लगन से सभी आप्रेशन सुविधाएं न होने के बावजूद भी बढिय़ा ढंग से किए जा रहे हैं। 
 

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