Edited By Urmila,Updated: 18 May, 2025 01:55 PM

लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा शैक्षणिक उद्देश्य के लिए आवंटित की गई जमीन पर कथित तौर पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाने और भारी वित्तीय अनियमितताओं के मामले में न्यू सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सराभा नगर के प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पंजाब डेस्क: लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा शैक्षणिक उद्देश्य के लिए आवंटित की गई जमीन पर कथित तौर पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाने और भारी वित्तीय अनियमितताओं के मामले में न्यू सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सराभा नगर के प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि इस स्कूल में प्रबंधन ने शिक्षा की आड़ में अरबों का खेल खेला है। अब इस पूरे मामले की जांच पंजाब विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी गई है।
मामले की शुरुआत लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन द्वारा की गई शिकायत से हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि वर्ष 1966-67 में न्यू हायर सेकेंडरी स्कूल, सिविल लाइंस को कुल 4.71 एकड़ जमीन ₹94,200 की रियायती दर पर आवंटित की गई थी। शर्त यह थी कि इस जमीन का उपयोग केवल शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जाएगा। लेकिन समय के साथ स्कूल प्रबंधन ने इस जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दीं, जो कि जमीन आवंटन की शर्तों का खुला उल्लंघन है। डिप्टी कमिश्नर कार्यालय ने पहले एक शिकायत का हवाला देते हुए जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियों का हवाला देते हुए 2400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। इस आरोप के आधार पर डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में 8 जनवरी को एफआईआर दर्ज की गई थी। प्रारंभिक जांच में वित्तीय अनियमितताओं के संकेत मिलने पर मामला अब विजिलेंस ब्यूरो के सुपुर्द कर दिया गया है, जो जमीन के दुरुपयोग, आर्थिक लाभ, और इसमें शामिल जिम्मेदार व्यक्तियों की गहराई से जांच करेगा।
1966-67 में लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट (LIT) द्वारा न्यू हायर सेकेंडरी स्कूल को 4.71 एकड़ ज़मीन ₹94,200 की रियायती दर पर दी गई थी, शर्त यह थी कि इसका उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। लेकिन अब इस जमीन पर कई निजी संस्थान किराए पर चल रहे हैं और स्कूल प्रबंधन की जेबें भर रही हैं। एफ.आई.आर. में बताया गया है कि प्राइम लोकेशन पर 4.71 एकड़ जमीन के एक हिस्से पर प्लेवे 'ऑर्किड जूनियर इंटरनेशनल स्कूल' चलाया जा रहा है। पॉकेट बी में न्यू सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बिल्डिंग है, पॉकेट डी में 'श्री राम यूनिवर्सल स्कूल' है, पॉकेट ई में एक और प्लेवे 'कंगारू प्लेवे स्कूल' है, पॉकेट एफ में स्टाफ क्वार्टर हैं और पॉकेट जी में नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। मेन रोड पर माडिया ग्रुप ने 'बिजनेस विद डिफरेंस' का होर्डिंग लगा रखा है। स्कूल प्रबंधन समिति को प्लेवे स्कूलों से मोटा किराया मिल रहा है।
एफ.आई.आर. में बताया गया है कि 21 मार्च 1991 को इस जमीन की रजिस्ट्री न्यू हायर सेकेंडरी स्कूल के नाम पर की गई थी। जब रजिस्ट्री की स्कैन कॉपी की जांच की गई तो पाया गया कि महत्वपूर्ण क्लॉज पेन से मिटाए गए हैं, जिनमें जमीन के उपयोग से संबंधित शर्तें थीं। यह संशोधन अगर अधिकृत रूप से किया गया होता, तो उस पर LIT चेयरमैन के हस्ताक्षर और आधिकारिक रिकॉर्डिंग होती, जो अनुपस्थित है। इससे शक गहराया है कि प्रबंधन समिति ने दस्तावेजों में हेराफेरी की। डीड के दूसरे पेज पर छह अन्य लाइनें भी इसी तरह मिटा दी गई थीं।
लुधियाना के पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा ने मीडिया से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि मामला अब विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में जमीन के दुरुपयोग से जुड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसके चलते मामला गंभीर हो गया है। पुलिस कमिश्नर ने यह भी संकेत दिया कि अगर वित्तीय गबन के ठोस प्रमाण मिलते हैं, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पहले से दर्ज अन्य एफआईआर की जांच भी विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी जा सकती है।
इस बीच, 12 मई 2025 को डिवीजन नंबर 8 पुलिस स्टेशन ने न्यू सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सिविल लाइंस के प्रबंधन के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने स्टाफ क्वार्टर और कक्षाओं का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए किया, जो सीधे तौर पर जमीन आवंटन की शर्तों का उल्लंघन है। पुलिस के अनुसार, स्कूल के कुछ कमरे 'पेइंग गेस्ट (PG)' सुविधा के रूप में किराए पर दिए गए थे, जिससे प्रबंधन को अतिरिक्त आय हो रही थी। गौरतलब है कि यह स्कूल लुधियाना के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, और इस प्रकार के आरोप लगना न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि संस्थागत नैतिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। लुधियाना के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान न्यू सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सराभा नगर के खिलाफ सरकारी जमीन के दुरुपयोग और भारी आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों ने पूरे शहर में हलचल मचा दी है। जमीन आवंटन में फर्जीवाड़ा, अवैध किरायेदारी, पीजी सेवाएं और व्यावसायिक स्कूलों के संचालन से जुड़े इस केस को अब विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दिया गया है।
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