पंजाब में अवैध खनन करने वालों की अब खैर नहीं! सरकार कसने जा रही शिकंजा

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 04 Mar, 2025 06:41 PM

now there is no mercy for illegal miners in punjab

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल की उपस्थिति में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रोपड़ के साथ खनन और भू-विज्ञान के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित...

चंडीगढ़  : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल की उपस्थिति में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रोपड़ के साथ खनन और भू-विज्ञान के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने हेतु एक समझौता पत्र (एम ओ यू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

यह उत्कृष्टता केंद्र पंजाब में खनन गतिविधियों के वैज्ञानिक मूल्यांकन और निगरानी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। SONAR और LiDAR जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके, यह केंद्र छोटे खनिजों की सही मात्रा निर्धारित करने और खनन से पहले एवं बाद में सर्वेक्षण करने में सहायता करेगा। इसके अलावा, यह विभाग को मानसून से पहले और बाद के सर्वेक्षण करने में मदद करेगा, जिससे नदियों के तल और खनन स्थलों का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

कैबिनेट मंत्री बरिंदर गोयल ने बताया कि पंजाब डिजिटल माइनिंग मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। रोपड़ में स्थापित होने वाले इस केंद्र से खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक और पारदर्शी मूल्यांकन को सुनिश्चित कर सरकारी राजस्व बढ़ाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये तकनीकी विधियां अवैध खनन गतिविधियों को रोकने और राजस्व हानि को रोकने में मदद करेंगी तथा पंजाब के खनन क्षेत्र को अधिक संरचित और टिकाऊ बनाने में योगदान देंगी। 

कैबिनेट मंत्री गोयल ने कहा कि यह दिन खनन अधिकारियों, पंजाब सरकार और पंजाब के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अवैध खनन को रोकने के लिए सैटेलाइट सर्वेक्षण, ड्रोन सर्वेक्षण और ग्राउंड सर्वेक्षण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह सिस्टम ऑनलाइन काम करेगा, हर दिन डेटा अपडेट किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी। इस समझौते के माध्यम से जो डेटा प्राप्त होगा, उससे यह पता चल सकेगा कि खनन स्थलों से कितना रेत कानूनी और अवैध तरीके से निकाला गया है। इस सिस्टम से बांधों में जमा रेत का भी पता लगाया जा सकेगा कि बारिश से पहले कितनी फुट रेत थी और बाद में कितनी फुट जमा हुई है।

इस सिस्टम से यह भी जानकारी मिलेगी कि किन खदानों में काम चल रहा है और किन खदानों में अवैध खनन किया जा रहा है। यह केंद्र द्वारा प्रदान किया गया डेटा मानसून से पहले नदियों में रेत के उचित प्रबंधन में सहायता करेगा और इस विधि के माध्यम से 20-20 मीटर की दूरी पर पानी के नीचे की रेत और बजरी का पता लगाया जा सकेगा, जिससे गांवों को बाढ़ से बचाया जा सकेगा। जो बांध और नदियां पहले बाढ़ का कारण और लोगों के लिए मुसीबत बनते थे, वे अब पंजाब के लोगों के लिए वरदान और संसाधन बनेंगे। गांवों में कोई जान-माल का नुकसान नहीं होगा, यह विधि किसानों की जमीनों को बाढ़ से बचाने के लिए लाभदायक होगी, जिससे पंजाब के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके साथ ही, ठेकेदारों द्वारा सरकार के साथ की जाने वाली लूट-खसोट और हेराफेरी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।

कैबिनेट मंत्री श्री गोयल ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यह योजना केवल कागजों तक सीमित न रहे। सभी अधिकारी फील्ड में जाकर काम करें और समय-समय पर बैठकें कर पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ पंजाब के खनन क्षेत्र का प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों द्वारा लोगों को मुश्किलों में डालने के विपरीत, यह एक महत्वपूर्ण समझौता है, जिससे आम लोगों को सही और उचित मूल्य पर रेत उपलब्ध कराने के लिए पंजाब सरकार प्रतिबद्ध है।

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