पंजाब में नई आफत, लगातार बिगड़ रहे हालात

Edited By Kalash,Updated: 22 Jan, 2025 03:01 PM

new trouble in punjab situation worse

आजकल एक नई आफत का सामना करना पड़ रहा हैं।

तलवंडी भाई : मालवा के किसानों को आजकल एक नई आफत का सामना करना पड़ रहा हैं। इस बार किसानों पर आई आफत प्राकृतिक नहीं बल्कि कम लागत से अधिक से अधिक कमाई करने की कुछ मछली पालकों की लालसा का नतीजा है। गांव के पंचायती छप्पड़ों में छोड़ी प्रतिबंधित मांगुर मछली किसानों के पशुधन को बर्बाद कर रही है। मीडिया में यह मुद्दा उठने के बाद मछली पालन विभाग या सरकार इस गंभीर समस्या की ओर कुछ ध्यान दे रही है। इस मांसाहारी मछली के काटने से सैकड़ों दुधारू मवेशियों के घायल होने और कई बछड़ों व बछियों के मरने की भी खबरें हैं। मछली पालकों द्वारा यह मछली इसलिए पाली जा रही है क्योंकि यह बहुत कम समय में अधिक खाने योग्य हो जाती है।

इस प्रकार की मछली पालन के लिए किसी विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं होती है। जिसके कारण लालची मछली पालक सरकारी निर्देशों का उल्लंघन कर चोरी-छिपे मांगुर मछली का पालन कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस प्रकार की लगभग 60 प्रतिशत मछली का पालन अवैध रूप से किया जा रहा है, जिसके लिए विभागीय अधिकारी व पंचायतें सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। जानकारी के अनुसार अकेले फिरोजपुर जिले में ही करीब सैकड़ों एकड़ में मछली फार्म स्थापित किए गए हैं, जहां आमतौर पर कतला, रहु, मिगख, कोमलकॉर्प, बिगहेड प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, लेकिन कुछ मछली पालक अधिक कमाई की चाहत में इस गैर मान्यता प्राप्त मांगुर मछली को छप्पर में ला रहे हैं। 

छप्पड़ो में पल रही यह मांसाहारी मछली पानी पीने और हाने के लिए लाए गए जानवरों को काटती है और गंभीर रूप से घायल कर देती है। पंजाब सरकार ने जिला प्रशासनिक अधिकारियों और मछली पालन विभाग को पत्र भेजकर इस मंगूर मछली के पालन को पूरी तरह से बंद करने को कहा है पर लेकिन इन आदेशों का ज्यादा पालन नहीं किया गया है। खास बात यह है कि मछली पालन विभाग के अधिकारी पंचायती छप्परों और मछली पालकों के निजी फार्मों में बड़ी संख्या में अवैध मछलियां होने की खबर से वाकिफ हैं पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी या विभागीय अधिकारी ने इस बुरी प्रवृत्ति को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस समस्या की जांच का काम अधिकारी की बातों या सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। इससे समस्या सुलझने के बजाय और बदतर हो रही है। इस कारण किसानों के बहुमूल्य दुधारू पशुओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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