Edited By Vatika,Updated: 25 May, 2024 03:43 PM
![milk animals started suffering due to heat department issued advisory](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_5image_15_43_17680454623-ll.jpg)
दिन का औसतन तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच चुका है और गर्म हवाओं ने लोगों का जीना कठिन किया हुआ है।
गुरदासपुर: मौजूदा समय में तापमान में हो रही वृद्धि के कारण जहां आम लोग त्राही-त्राही कर रहे हैं, वहीं पशु-पक्षी और वनस्पती भी इस गर्मी से तड़प रहे हैं।विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी का यह मौसम दुधारू पशूओं के लिए भी बेहद खतरनाक है। इससे पशुओं को बचाने के लिए इस्तेमाल की गई थोड़ी सी लापरवाही बड़े नुक्सान का कारण बन सकती है जिसके अंतर्गत जहां पशुओं की मौत हो सकती है, वहीं दूध उत्पादन में भी भारी गिरावट आ सकती है। बताने योग्य है कि गुरदासपुर और आसपास इलाके में दिन का औसतन तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच चुका है और गर्म हवाओं ने लोगों का जीना कठिन किया हुआ है।
इसके तहत पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो गया है जिस कारण उनको गर्मी से बचाने के लिए पशु पालन विभाग जिला गुरदासपुर के डिप्टी डायरैक्टर डा. जसप्रीत सिंह ने एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि कि अन्य जीवों की तरह पशुओं पर भी गर्मी का बहुत प्रभाव होता है। खास तौर पर दुधारू पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए अहम कदम उठाने चाहिए क्योंकि ऐसा न होने की सूरत में जहां पशु दूध देना कम कर देते हैं, उसके साथ ही उनकी सेहत खराब होने से मौत तक हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अब मई-जून में तापमान 40 से 45 डिग्री पहुंचने के कारण पशुओं में हीट स्ट्रैस बढ़ेगा जिसका प्रभाव उनकी सेहत और दूध उत्पादन पर पड़ेगा। दूध देने वाले पशुओं में मुख्य तौर पर भैंसें, गाय और बकरियां हैं जिनमें से गाय की देसी नसलों की बजाय अब पशु पालक विलायती गाय पालन को प्राथमिकता देते हैं। डिप्टी डायरैक्टर ने कहा कि देसी गाय तो गर्मी सहन कर लेती हैं परन्तु विलायती गायों पर गर्मी का प्रकोप ज्यादा प्रभाव करता है। इसी तरह भैंसों का शरीर काला होने के कारण उनको गर्मी ज्यादा लगती है और वह पानी में रहना पसंद करती हैं। इसके चलते किसान पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए मोडर्न शैड जरूर बनाएं और यदि ऐसा संभव नहीं है तो किसान कम से कम पंखों का इंतजाम जरूर करें। यदि पंखे भी न लगाए जा सकें तो पशुओं के लिए छोटा तालाब बनाने की कोशिश की जाए और उनको छाया में रखा जाए। यदि पशुओं को किसी किस्म की कोई समस्या आती है तो तुरंत वेटरनरी अधिकारी से संपर्क किया जाए।