जिमखाना क्लब चुनाव : संदीप बहल कुक्की बने जिमखाना क्लब के सैक्रेटरी तो वहीं इन लोगों को मिली भी बड़ी जिम्मेदारियां

Edited By Kamini,Updated: 11 Mar, 2024 10:52 AM

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जालंधर जिमखाना क्लब के हो रहे चुनावों को लेकर अहम खबर सामने आई है।

जालंधर : जालंधर जिमखाना क्लब के हुए चुनावों में संदीप बहल कुक्की को नया आनरेरी सेक्रेटरी चुन लिया गया जबकि अमित कुकरेजा वाइस प्रैजीडैंट चुने गए। अनु माटा ज्वाइंट सैक्रेटरी चुनी गई हैं और सौरभ खुल्लर ने कोषाध्यक्ष पद पर जीत प्राप्त की है। इस प्रकार क्लब चुनावों में प्रोग्रेसिव ग्रुप ने दो महत्वपूर्ण पदों पर जीत प्राप्त कर सफलता हासिल की है जबकि अचीवर्स ग्रुप के हिस्से में भी दो पद आए हैं। वहीं एग्जीक्यूटिव सदस्यों की लिस्ट में विपिन झांझी, मोहिंदर सिंह, शालिनी कालड़ा, अतुल तलवाड़, शालीन जोशी, नितिन बहल, हरप्रीत गोल्डी,  राजीव बंसल, विन्नी शर्मा धवन, जगजीत कम्बोज पहले 10 पायदान पर हैं।  एम.बी बाली, गुणदीप सोढ़ी, करण अग्रवाल, डा. सुरिंदर, सुमित रल्हन, मोनू पुरी आदि पीछे रहे हैं।

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इन चुनावों में सैक्रेटरी पोस्ट के उम्मीदवार कुक्की बहल ने तरुण सिक्का को 259 वोटों के अंतर से हराया। जूनियर वाइस प्रैजीडैंट पोस्ट पर खड़े अमित कुकरेजा ने राजू विर्क को 718 वोटों के अंतर से हरा दिया। अनु माटा को भी बड़ी जीत दर्ज हुई और उन्होंने अपने विरोधी सुमित शर्मा को 363 वोटों के अंतर से हरा दिया। सौरभ खुल्लर ने मेजर कोछड़ को मात्र 135 वोटों के अंतर से हराया। 

कुक्की बहल : 1590 वोटें
तरुण सिक्का : 1331 वोटें
अंतर : 259 वोटें
अमित कुकरेजा : 1815 वोटें
राजू विर्क :  1097 वोटें
अंतर : 718 वोटें
अनु माटा : 1638 वोटें
सुमित शर्मा : 1275 वोटें
अंतर : 363 वोटें
सौरभ खुल्लर : 1524 वोटे
मेजर कोछड़ : 1389 वोटें
अंतर : 135 वोटें

प्रशासन के इंतजाम अच्छे रहे पर बूथों पर भीड़ लगी रही
क्लब चुनावों हेतु अमरजीत बैंस को रिटर्निंग ऑफिसर तथा पुनीत शर्मा की असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर लगाया गया था। दोनों अफसरों ने बेहतर इंतजाम किए जिस कारण सारी प्रक्रिया शांतिपूर्वक सिरे चढ़ गई। कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। दोपहर को पोलिंग बूथों पर लाइनें लगी देखी गईं जिस कारण वोटरों को काफी मुश्किलें आईं। सुबह वोटिंग का काम शांति से सिरे चढ़ा। वोटरों का उत्साह देखते ही बनता था। इंतजाम इतने सख्त थे कि वोटर के अलावा किसी अन्य को अंदर नहीं जाने दिया गया। परिसर के अंदर केवल उम्मीदवार और उनके पोलिंग एजैंटों को ही जाने दिया गया। इस बार वोटरों की कुल संख्या 4095 थी जबकि कुल 2935 वोटरों ने मतदान किया।

प्रोग्रेसिव ग्रुप के समर्थक देर रात तक मनाते रहे जश्न
इस बार जिमखाना क्लब के चुनाव में प्रोग्रेसिव और अचीवर्स के बीच तगड़ा मुकाबला था परंतु प्रोग्रेसिव ने सैक्रेटरी पोस्ट जीत कर जिमखाना क्लब पर अपना कब्जा बरकरार रखा। प्रोग्रेसिव की अनु माटा को भी बड़ी जीत मिली है। प्रोग्रेसिव ग्रुप की जीत के बाद ग्रुप के समर्थकों ने देर रात तक जश्न मनाए और ढोल की थाप पर ग्रुप समर्थक देर रात तक नाचते रहे। प्रोग्रेसिव ग्रुप की कोर कमेटी के सदस्यों पप्पू खोसला, नरेश तिवारी, कमल शर्मा कोकी, विक्की पुरी, धीरज सेठ, राकेश नंदा, जसवीर सिंह बिट्टू, रिशु झांजी, पप्पी अरोड़ा, सतीश ठाकुर गोरा, अमरीक सिंह घई, एडवोकेट दलजीत सिंह छाबड़ा तथा गुरशरण सिंह इत्यादि ने इस जीत पर ग्रुप के सभी शुभचिंतकों और समर्थकों को बधाई दी है।

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दोनों नई महिला उम्मीदवारों की जीत ने बदल दिए समीकरण
इस बार जिमखाना क्लब के चुनाव की खास बात यह थी कि अचीवर्स ग्रुप ने दो नई महिला उम्मीदवारों को एग्जीक्यूटिव पोस्ट पर चुनाव लड़वाया और दोनों ने ही जीत प्राप्त करके सारे समीकरण बदल डाले। इनमें एक उम्मीदवार शालिनी कालड़ा और दूसरी विन्नी शर्मा धवन थीं। शालिनी ने एग्जीक्यूटिव में 5वां और विन्नी ने 9वां स्थान प्राप्त किया और दोनों को ही 1-1 हजार से ज्यादा वोट मिले। क्लब की नई एग्जीक्यूटिव शालिनी कालड़ा फगवाड़ा गेट के कारोबारी असीम कालड़ा की धर्मपत्नी हैं जबकि विन्नी शर्मा धवन के पिता विनोद शर्मा (बपोरिया स्पोर्ट्स) जिमखाना क्लब में काफी एक्टिव रहा करते थे। दोनों की जीत के कारण मोनू पुरी, सुमित रल्हन, एडवोकेट गुनदीप सिंह सोढ़ी और एम.बी. बाली जैसे दिग्गज उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।

एग्जीक्यूटिव में जगह बनाने में कामयाब हुए जगजीत कंबोज
4 साल पहले जिमखाना क्लब के चुनाव में एग्जीक्यूटिव उम्मीदवार के रूप में जगजीत कंबोज ने शानदार जीत दर्ज की थी। उन्हें गोरा ग्रुप का विशेष समर्थन प्राप्त था। अगले 2 साल बाद हुए चुनाव दौरान जगजीत कंबोज ने प्रोग्रेसिव ग्रुप के लिए मेहनत की और निजी प्रचार कम किया जिस कारण वह एग्जीक्यूटिव में नहीं आ पाए। इस बार फिर जगजीत कंबोज ने एग्जीक्यूटिव का चुनाव लड़ा और क्लब की एग्जीक्यूटिव में अपना स्थान बनाया। उन्हें एक अच्छा प्रशासक और रणनीतिकार माना जाता है।

अचीवर्स के समर्थक काफी आक्रामक परंतु प्रोग्रेसिव के शांत रहे
इस बार हुए जिमखाना क्लब के चुनाव में साम दाम दंड भेद के अलावा जोर जबरदस्ती और धक्केशाही भी देखने को मिली। अचीवर्स के कट्टर समर्थक नितिन ने पहले क्लब की राजनीति से दूर हो जाने की घोषणा की परंतु चुनाव घोषित होते ही उन्होंने अचीवर्स की कमान संभाल ली और पूरा एक्टिव रोल प्ले किया। अचीवर्स का साथ डिप्स ग्रुप के तरविंदर सिंह राजू ने डटकर दिया। इसके अलावा व्हीलकेयर के गगन धवन ने भी अचीवर्स ग्रुप के लिए अच्छी खासी मेहनत की। प्रोग्रेसिव ग्रुप की शिकायत रही कि अचीवर्ज ने इलेक्शन जीतने और कुक्की बहल को हराने के लिए हर हथकंडा इस्तेमाल किया। हर तरह से उम्मीदवारों और समर्थकों पर प्रैशर बनवाया। चुनाव प्रचार खत्म हो जाने के बावजूद शानदार पार्टी आयोजित की और पूरे जिमखाना क्लब की सड़क को सैकड़ों अवैध बोर्ड से भर दिया। प्रोग्रेसिव ग्रुप के लिए एक बोर्ड लगाने का स्थान भी नहीं छोड़ा गया। इसके बावजूद अचीवर्स के कर्ताधर्ता कुक्की बहल को नहीं हरा पाए।

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अमित कुकरेजा ने बनाया जीत का रिकॉर्ड, सभी उम्मीदवारों को पीछे छोड़ा
अचीवर्स ग्रुप की ओर से वाइस प्रेसिडेंट पोस्ट के उम्मीदवार अमित कुकरेजा ने जिमखाना चुनाव में रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने सभी उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा 1815 वोट लेकर न केवल क्लब के इतिहास में एक रिकॉर्ड स्थापित किया बल्कि उनकी जीत का मार्जिन भी 718 वोटों का रहा जो अपने आप में एक अलग रिकॉर्ड है। गौरतलब है कि कुकरेजा ने इससे पहले भी पिछला चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीता था और इस बार उन्हें सेक्रेटरी पोस्ट का उम्मीदवार बताया जा रहा था।

सुमित शर्मा ने अनु माटा को अच्छी फाइट दी
जिमखाना क्लब के चुनाव में जहां अमित कुकरेजा ने राजू विर्क को 718 मतों के विशाल अंतर से हराया, वहीं अचीवर्स के सुमित शर्मा ने अनु माटा को अच्छी फाइट दी। गौरतलब है कि अनु माटा को एक सशक्त उम्मीदवार माना जा रहा था। वह पिछले 15 साल से जिमखाना क्लब की राजनीति में काफी ज्यादा सक्रिय रही। दूसरी ओर देखा जाए तो सुमित शर्मा को इन चुनावों के लिए मात्र 15 दिन का समय ही मिल पाया। इससे पहले उन्होंने क्लब चुनाव के लिए कोई खास तैयारी नहीं की थी। खास बात यह है कि सुमित शर्मा उस वक्त चुनाव लड़ने को राजी हुए थे, जब अमित कुकरेजा को सैक्रेटरी पोस्ट पर लड़ाया जा रहा था। बाद में जब तरुण सिक्का को सैक्रेटरी पोस्ट दी गई तो सुमित शर्मा पर दबाव बनाया गया कि वह चुनाव जरूर लड़ें वरना ग्रुप गठित नहीं हो पाएगा।

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