14 बार आ चुकी है घग्गर में बाढ़, पंजाब-हरियाणा में हो चुका है 10 हजार करोड़ का नुकसान

Edited By Suraj Thakur,Updated: 19 Jul, 2019 03:33 PM

flood into ghagar river

नदी में साल 1976, 1981, 1984, 1988, 1993, 1994, 1995, 1996, 1997, 2000, 2001, 2004, 2010, 2015 में बाढ़ आ चुकी है।

जालंधर। पंजाब और हरियाणा के लोग बरसात के मौसम में घग्गर से भयभीत रहते हैं, कि न जाने कब उसका रौद्र रूप उनके खेत- खलियानों और घरों पर कहर बरपा देगा। इस साल भी उनका भय सच में तबदील हो गया और घग्गर का बांध टूटने से दर्जनों गांव और कई एकड़ कृषि भूमि बाढ़ की जद में आ गई। दोनों ही राज्यों में ये हालात हैं कि आजादी के बाद घग्गर नदी में 14 बार बाढ़ आ चुकी है, लेकिन शासन और प्रशासन बाढ़ आने से पहले पुख्ता इंतजाम करने में नाकाम रहा है। आंकड़ों के मुताबिक  पिछले तीन दशकों से पंजाब-हरियाणा में दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
 

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इन वर्षों में सब से ज्यादा नुकसान
घग्गर पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक नदी में कमजोर जल प्रबंधन और सिंचाई की व्यव्स्था के कारण बाढ़ की हर साल संभावनाएं रहती है। शासन और प्रशासन भी लोगों की समस्या का स्थाई हल ढूंढने में नाकामयाब रहा है। नदी में साल 1976, 1981, 1984, 1988, 1993, 1994, 1995, 1996, 1997, 2000, 2001, 2004, 2010, 2015 में बाढ़ आ चुकी है। नैशनल डिजास्टर मैनेजमैंट ने की रिपोर्ट के मुताबिक 1993, 1995, 2004 और 2010 में आई बाढ़ में पंजाब और हरियाणा की जनता को सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा। हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नदी का कुल 49978 वर्ग किलोमीटर कैचमैंट एरिया है। हिमाचल के सिरमौर में करीब 1490 मीटर ऊंची शिवालिक पहाड़ी से नदी का उद्गम होता है। पाकिस्तान तक इस नदी की कुल लम्बाई 646 किलोमीटर है। नदी का 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पंजाब व हरियाणा में है। PunjabKesari

यहां से आता है बरसाती पानी
मानसून में तेज बारिश, चंडीगढ़, पटियाला, पंचकूला सहित कई इलाकों का बरसाती पानी गिरता है। हिमाचल के सिरमौर में मानसून में 1124, सोलन में 912, चंडीगढ़ में 849, पंचकूला में 911 जबकि पटियाला में 541 मिलीमीटर होने वाली बरसात इस नदी को उफान पर ला देती है। इसके अलावा इस नदी के तटबंधों पर पिछले 2 दशक में दोनों राज्यों में 1200 से अधिक पाइपलाइन बनी हुई हैं, जिनके जरिए करीब 6 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। इसके अलावा नदी के तटबंध जंगल का रूप ले चुके हैं। सिरसा जिले में तो पंजाब बॉर्डर तक सरकारी बांध भी नहीं बना है। ऐसे में हर साल पंजाब और हरियाणा की करीब 11 लाख आबादी को परोक्ष रूप से नदी में आई बाढ़ की वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

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