Edited By Paras Sanotra,Updated: 22 Aug, 2023 04:23 PM

सरकार का दावा है कि इस योजना से जहां शिक्षा के साथ ही रोज़गार मिलेगा, वहीं युवाओं को विदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
जालंधर (नरेंद्र मोहन): पंजाब सरकार ने स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ ही व्यापार चलाने का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। स्कूली शिक्षा के साथ ही छात्रों ने अब व्यापार की भी शुरुआत कर दी है। इसके लिए सरकार बच्चों को लघु व्यापार करने के लिए राशि भी दे रही है। बिज़नेस ब्लास्टर नाम की इस योजना के पीछे सरकार के इस कदम का मकसद छात्रों को शिक्षा के दौरान ही अपने पैरों पर खड़ा करना और रोज़गार के भटकाव से बचाना है। इस वर्ष पंजाब में तीन लाख छात्रों को युवा उद्यमी बनाने की तैयारी की जा रही है। सरकार का दावा है कि इस योजना से जहां शिक्षा के साथ ही रोज़गार मिलेगा, वहीं युवाओं को विदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
बेंगलुरु के एक संस्थान उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के सहयोग से पंजाब सरकार ने ये योजना गत वर्ष से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की थी जिसमें राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों के 10,000 बच्चों को शामिल किया गया था। इन बच्चों को सरकार ने छोटा व्यापार शुरू करने के लिए 2000-2000 रुपए दिए थे, ताकि बच्चे किसी वस्तु का उत्पादन करना अथवा थोक में सामान खरीद कर परचून में बेचने का व्यापार शुरू कर सकें। 5-6 बच्चों की संयुक्त टोली को सरकार द्वारा दी राशि एकत्र करके व्यापार करने की ट्रेनिंग दी गई थी। इस वर्ष पंजाब के विभिन्न सरकारी स्कूलों के तीन लाख बच्चों को इसमें शामिल किया गया है। फंड सरकार देती है और व्यापार की ट्रेनिंग उद्यम संगठन देता है।
क्या है योजना
इस योजना को शुरू करने से पहले संबंधित क्षेत्र में किसी विशेष उत्पादन की मांग का अध्यन्न किया जाता है। इस योजना में 14 से 25 वर्ष के बच्चों को शामिल किया जाता है जो नौवीं से 12वीं कक्षा में हों। गत वर्ष संगठन ने स्टेट ट्रेनर को नियुक्त किया था जिसने ज़िला ट्रेनरों के मार्फत से राज्य के 9 ज़िलों के 31 स्कूल के 300 शिक्षकों को इस शिक्षा के साथ रोज़गार की योजना के लिए प्रशिक्षित किया था। स्कूल में कक्षा के दौरान ही अध्यापक एक विशेष पीरियड में बच्चों को विशेष रूप से डिज़ाइन किए कार्यक्रम के तहत व्यापार की ट्रेनिंग देता है और फिर बच्चे व्यापार को शुरू कर देते हैं।
कितने बच्चे हुए शामिल
गत वर्ष इस योजना में 10,000 बच्चों को शामिल किया गया। इस वर्ष इसमें तीन लाख बच्चे शामिल किए गए हैं और आगामी वर्ष में राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ते सभी छात्रों को इसमें शामिल किए जाने की योजना है। इस योजना में ट्रेनिंग तो नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा के छात्रों को दी जाती है परंतु व्यापार शुरू करने के लिए राशि 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को दी जाती है। इस वर्ष तीन लाख छात्रों में से 1.5 लाख छात्रों को प्रति छात्र 2000-2000 रुपए दिए जाने हैं। गत वर्ष शामिल किए गए 10,000 बच्चों में से तीन हज़ार बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने शिक्षा के बाद पूर्ण रूप से व्यापार शुरू कर लिया है जबकि शेष ने आगे की शिक्षा के साथ-साथ पार्ट टाइम व्यापार को जारी रखा हुआ है। इस योजना में स्कूलों के छात्रों और आई.टी.आई. के छात्रों को शामिल किया जाता है। स्कूलों के छात्रों को व्यापार की ट्रेनिंग दी जाती है तो वहीं आई.टी.आई. के छात्रों का संपर्क छोटे उद्यमियों और बैंकों से करवाया जाता है ताकि उनके लिए ही छात्र कोई उत्पादन कर सकें और उन्हें ही बेच सकें तथा कार्य के लिए बैंक से ऋण भी ले सकें।
क्या कहते हैं संयोजक
इस योजना में शामिल बेंगलुरु के उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के डायरेक्टर हरीश मनवानी के बताया कि संगठन द्वारा युवा उद्यमियों को तैयार करने की ये योजना देश के 12 राज्यों में चल रही है जिसमें 8,300 स्कूलों और आई.टी.आई. के 23 लाख से अधिक बच्चे शामिल हैं। जिसमें दिल्ली में 8.5 लाख छात्र, हरियाणा में 40,000 छात्र व उत्तराखंड में एक लाख छात्र शामिल हैं। दिल्ली और पंजाब में तो सरकार छात्रों को व्यापार शुरू करने के लिए धन राशि भी दे रही है। मनवानी ने बताया कि आज ही हरियाणा के उन 149 छात्रों को उद्यम फाउंडेशन और हरियाणा सरकार ने सम्मानित किया है जिन्होंने सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय शुरू किया है। डायरेक्टर ने बताया कि इस योजना का मकसद ये है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को रोज़गार के लिए भटकना न पड़े और न ही विदेशों का रुख करना पड़े।
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