विवाद एस.वाई.एल. नहर का नहीं, असल झगड़ा पानी के बंटवारे का है : कुमेदान

Edited By Updated: 24 Feb, 2017 10:28 AM

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पंजाब के जाने-माने जल विशेषज्ञ व राज्य सरकार के सिंचाई सलाहकार प्रीतम सिंह कुमेदान का कहना है कि एस.वाई.एल. नहर के निर्माण की बात ज्यादा अहम नहीं बल्कि बड़ा मसला तो पानी के बंटवारे का है।

चंडीगढ़: पंजाब के जाने-माने जल विशेषज्ञ व राज्य सरकार के सिंचाई सलाहकार प्रीतम सिंह कुमेदान का कहना है कि एस.वाई.एल. नहर के निर्माण की बात ज्यादा अहम नहीं बल्कि बड़ा मसला तो पानी के बंटवारे का है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर कुमेदान ने कहा कि पंजाब को नहर तो बनानी ही पड़ेगी क्योंकि किसी भी सरकार की हिम्मत नहीं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न माने। 90 प्रतिशत नहर तो बनी हुई है, सिर्फ 10 प्रतिशत का निर्माण होना है। इस कारण पंजाब सरकार इन्कार नहीं कर सकती। जहां तक पंजाब विधानसभा में एस.वाई.एल. के लिए एक्वायर भूमि वापस देने की बात है, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट फैसले पर पंजाब सरकार को फिर से विधानसभा में प्रस्ताव लाकर पुनॢवचार के लिए भी कह सकता है। 


एस.वाई.एल. नहर निर्माण को लेकर पंजाब में इसलिए विरोध ज्यादा है क्योंकि पंजाब को डर है कि अगर नहर बन गई तो बी.बी.एम.बी. से हरियाणा को पानी दे दिया जाएगा। बी.बी.एम.बी. का कंट्रोल केंद्र सरकार के हाथ में है। कुमेदान का कहना है कि असली झगड़ा तो पानी के बंटवारे का है क्योंकि गैर-राइपेरियन राज्य होने के कारण हरियाणा का इस पर हक नहीं बनता। लंबे समय से पानी के बंटवारे का मामला कोर्ट में है। इस संबंधी सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को ट्रिब्यूनल बनाकर मामले का निपटारा करने के निर्देश भी दे सकता है। एस.वाई.एल. नहर निर्माण के विवाद के कारण सुप्रीम कोर्ट इसमें पानी के बंटवारे का मामला भी जोड़ सकता है लेकिन अब 2 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने पर स्थिति स्पष्ट होगी। अगर पंजाब में आने वाली नई सरकार नहर निर्माण से इंकार करेगी तो इससे दोनों राज्यों में झगड़े के सिवाय कोई परिणाम नहीं निकलने वाला।     

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