Edited By Vatika,Updated: 05 Feb, 2025 11:48 AM
भाजपा सरकार ने लोगों को झूठे सपने दिखाए और अब जब सच्चाई सामने आ रही है।
चंडीगढ़: शहर के हजारों गरीब परिवारों को झटका लगा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पुनर्वास योजना के तहत मिले स्मॉल फ्लैट्स का मालिकाना हक नहीं दिया जाएगा। लोकसभा में सांसद मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत इन फ्लैट्स के निवासियों को मालिकाना अधिकार दिया जा सके। चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवारों को पुनर्वास योजना के तहत स्मॉल फ्लॅट्स आवंटित किए थे। इन फ्लैट्स में रहने वाले लोग वर्षों से मालिकाना हक की मांग कर रहे थे, ताकि वे घरों को अपने नाम पर रजिस्टर करा सकें।
अब प्रशासन और केंद्र सरकार पर बढ़ सकता है दबाव
इस मुद्दे को लेकर प्रशासन और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ सकता है। स्मॉल फ्लैट्स में रहने वाले लोग भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी या फिर यह विवाद और गहराएगा।
झूठे वायदों पर भड़के लोग, भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी
बापूधाम सैक्टर-26 रेजीडेंट्स वैल्फेयर एसोसिएशन के प्रधान कृष्ण लाल ने कहा कि फ्लैट्स को पुनर्वास योजना के तहत आवंटित किया था। वर्षों से कई गरीब परिवार यहां बस चुके हैं। अब, केंद्र के फैसले से बेघर होने का खतरा मंडराने लगा है। गत वर्ष भाजपा नेता अरुण सूद ने हर कॉलोनी में प्रचार कर विश्वास दिलाया था कि जल्द पूर्ण मालिकाना हक मिलेगा। अब चुनावी वादा ढकोसला साबित हो रहा है। इस मुद्दे पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे कृष्ण लाल ने कहा कि सांसद मनीप तिवारी ने हमेशा गरीबों की लड़ाई लड़ी है और इस बार भी वे उनके साथखड़े हैं। भाजपा सरकार ने लोगों को झूठे सपने दिखाए और अब जब सच्चाई सामने आ रही है। गरीब लोग उनके खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।
17000 से अधिक परिवार पुनर्वास योजना के तहत रहते हैं
केंद्र की योजना के तहत चंडीगढ़ में भी पुनर्वास कालोनियों का चलन शुरू हुआ था। अब तक चंडीगढ़ में 17000 से अधिक परिवारों को पुनर्वासित किया जा चुका है, जिन्हे स्माल फ्लैट लीज पर बनाकर दिए गए हैं।
1990 में पहली पुनर्वास कालोनी बनाई गई थी
सबसे पहले 1990 में केंद्रीय मंत्री रहे चंडीगढ़ के सांसद हरमोहन धवन ने मौलीजागरां व विकास नगर में करीब 1600 स्माल फ्लैट का निर्माण करवाकर पहली पुनर्वास कालोनी स्थापित की थी। उसके बाद सैक्टर-38 वेस्ट में करीब 1100 परिवारों को पुनर्वासित किया गया। रामदरबार में करीब 600 फ्लैट्स बनकर कालोनी वासियो को दिए गए। मलोया और धनास में शहर की सबसे बड़ी पुनर्वास कालोनियों की स्थापना की गई। सैक्टर-25, 48 और बापूधाम सैक्टर-26 में भी झुग्गी झोपड़ी वालो को पुनर्वासित किया गया था।