Edited By Urmila,Updated: 03 May, 2023 12:51 PM

जैसे-जैसे जांच फर्मों के नाम सामने आते जा रहे हैं वैसे-वैसे फर्जी बिलों के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
जालंधर: जालंधऱ में जी.एस.टी. में बोगस बिलिंग रैकेट मामला सामने आया है जिसे लेकर फर्जी बिलों की कड़ी दर कड़ी परतें खुल रही हैं। जैसे-जैसे जांच में फर्मों के नाम सामने आते जा रहे हैं वैसे-वैसे फर्जी बिलों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस मामले में जी.एस.टी. विभाग की टीमें मैदान में उतर चुकी हैं जिसके चलते जांच के दौरान कई हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं जिन पर विभाग द्वारा शिकंजा कसा जा रहा है जिक्रयोग्य है कि काबोरियों द्वारा जी.एस.टी. में रिफंड चोरी करने के लिए बोगस फर्में बनाई जाती हैं। ये बोगस फर्में जब जी.एस.टी. विभाग के टैक्स को चोरी कर ली जाती है तो बाद में इन फर्मों को बंद कर दिया जाता है।
जांच में पाया गया कि कई फर्मों ने जान-पहचान व अपने रिश्तेदारों के नाम पर फर्में बना बना रखी है। इस दौरान कइयों के पैन कार्ड व दस्तावेज नकली पाए गए हैं। यह भी सामने आया है कि मजदूरों और बेरोजगार लोगों के दस्तावेज भी बोगस फर्में बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए जांच टीम गहराई से जुटी हुई है। आपको बता दें कि जनवरी में आरंभिक जांच में बोगस बिलिंग का मामला 48 करोड़ रुपए का सामने आए था। जैसे-जैसे जी.एस.टी. विभाग द्वारा परतें दर परतें खोली जा रही हैं वैसे वैसे इसमें इजाफा होने लगा जो बढ़कर 70.50 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जिन फर्मों के नाम सामने आए हैं, जांच के दौरान उनसे पूछताछ करने के बाद मामले और भी बढ़ने की संभावना है।
जानकारी के अनुसार अब तक 13 फर्मों की जांच चल रही है जिनमें से लोहा, इंजीनियरंग गुड्स, स्क्रैप आदि बिजनेस से संबंधी लोग जुड़े हुए हैं। बोगस फर्में बनने से रोकने के लिए जी.एस.टी. विभाग जांच-पड़ताल कर रही है। बताया जा रहा है कि बोगस फर्में बनाने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, फर्मों के मालिक, गारंटरों, किरायनामा व अन्य दस्तावेजों को लेकर पहले गहराई से वैरीफिकेशन की जा रही है। सभी तरह से स्पष्ट होने के बाद ही जी.एस.टी. नंबर दिया जा रहा है।
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