Edited By Sunita sarangal,Updated: 11 Jun, 2023 03:11 PM

भाजपा की तरफ से लोकसभा चुनावों के लिए जो रणनीति बनाई गई है उसमें दो अलग-अलग फैक्टर रखे गए हैं......
जालंधर(अनिल पाहवा): देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए सभी राजनीतिक दल अपने अपने खेमे को मज़बूत करने में जुट गए हैं। जहां कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल भाजपा सरकार के विरुद्ध मामलों को एकत्र कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा पिछले 9 सालों में किए अपने कार्यों को लेकर तैयारी कर रही है।
भाजपा की तरफ से लोकसभा चुनावों के लिए जो रणनीति बनाई गई है उसमें दो अलग-अलग फैक्टर रखे गए हैं ताकि वोटर को पार्टी के पक्ष में वोट डालने के लिए समझाया जा सके। केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दौरान हुए विकास को एक फैक्टर के तौर पर रखा गया है जबकि दूसरे फैक्टर के तौर पर भाजपा के कार्यकाल में विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए की गई पहल को रखा गया है। अब पार्टी विकास तथा विरासत के मुद्दों को भुनाने की तैयारी कर रही है।
इंफ्रास्ट्रक्चर से शुरू होगी बात
खबर के अनुसार भाजपा अगले साल के चुनावों के लिए सरकार के काम के आधार पर वोट लेने के लिए तैयारी में जुटी है। विकास के तौर पर देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बात शुरू की जा रही है। इसके लिए भाजपा देश के अलग हिस्सों में किए गए विकास कार्यों जिनमें सड़कें, पुल, अंडरब्रिज इत्यादि शामिल हैं के नाम पर वोट लेने के लिए रणनीति बना रही है। साथ ही वंदे भारत जैसी गाड़ियों की सुविधा को कैश करने की तैयारी में है।
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले मुख्य लक्ष्य
दरअसल पार्टी का मुख्य टारगेट मिडिल क्लास है जिसके लिए पार्टी योजना बना रही है। इसके साथ ही पार्टी उन लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए जुटी है जो सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं के लाभ ले रहे हैं। पार्टी के पास देश में करीब 22 करोड़ परिवारों का डाटा है जिन्हें सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इस करीब 20 प्रतिशत वोट बैंक को पार्टी अपने खेमे में करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जबकि पार्टी करीब इतना ही वोट बैंक हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम पर लेने की उम्मीद रखती है। इस 40 प्रतिशत के करीब वोट बैंक को भुनाकर पार्टी 2024 में तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद रख रही है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जिन लोगों को मुफ्त राशन मिलता है वो उनको जानते हैं और वही उनका सुरक्षा कवच है। प्रधानमंत्री का यह कहना अपने आप में बड़ा संकेत है कि पार्टी किस रणनीति पर काम कर रही है। इससे पहले भी इस तरह की योजना पर काम हो चुका है। पूर्व की सरकारों में स्व. इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं तो उन्होंने भी ऐसे भारत को अपना वोट बैंक बनाया था। अब वही काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कर रही है और इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है।
विकास के मुकाबले विपक्ष की 'गारंटियां'
दूसरी तरफ विपक्षी दल भी सरकार की इस कोशिश की काट तलाशने में जुट गए हैं। महिलाओं को प्रति माह निर्धारित राशि, सस्ता सिलेंडर, बेरोजगारों को भत्ता, पुरानी पेंशन योजना, मुफ्त बिजली योजना जैसे वायदों के साथ कांग्रेस इस 20 प्रतिशत लाभार्थी वर्ग को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। हिमाचल और कर्नाटक में हाल ही में कांग्रेस ने जिस तरह से चुनावों में गारंटियां दी, कुछ वैसी ही योजनाएं लेकर विपक्ष दोबारा 2024 के चुनावों में उतर सकता है।
विरासत मुहिम से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद एक साथ
जहां तक बात विरासत की है तो पार्टी पिछले कुछ सालों में विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर रही है। भाजपा अब इससे लाभ लेने की भी उम्मीद में जुट गई है। सबसे बड़ा दांव राम मंदिर पर खेला जा सकता है। आम चुनावों से पहले जनवरी महीने में राम मंदिर का उद्घाटन होना है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में उपस्थित रह सकते हैं। पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तमाम भाषणों में गुलामी और उपनिवेशवाद की बात कर गुलामी से मुक्ति दिलाने तथा हिन्दू परंपरा और विरासत को फिर से स्थापित करने की बात कर रहे हैं। केदारनाथ, वाराणसी सहित तमाम धार्मिक स्थलों को नए सिरे से विकसित करने के अलावा हिंदू परंपरा को पाठ्यक्रम में उचित जगह दिलाने का भी प्रधानमंत्री दावा कर रहे हैं। पार्टी अपने इस विरासत मुहिम से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के झंडे को एक साथ उठाने की योजना पर काम कर रही है। पार्टी का मानना है कि इससे उस पर हिंदुत्व की राजनीति करने का आरोप भी नहीं लगेगा।
हिंदुत्व मुद्दे का काट जातिगत जनगणना
विपक्ष ने इसका काउंटर करने के लिए जातिगत जनगणना की रणनीति अपनाई है। कांग्रेस ने भी इस पर आक्रामक स्टैंड लिया है। विपक्ष का मानना है कि भाजपा की तमाम हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश को जातीय गणित से ही फेल किया जा सकता है। इसलिए कांग्रेस अपने पुराने स्टाइल में बदलाव कर जाति जनगणना की लगातार मांग कर रही है।
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