Edited By Kamini,Updated: 30 Jan, 2024 02:33 PM
पंजाब के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
अमृतसर : पंजाब के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जानकारी के अनुसार सरकारी ब्लड बैंक बिना डॉक्टर की मौजूदगी के रात में चलता है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर और अत्याधुनिक तकनीक से बनाए गए इस ब्लड बैंक में न तो रात में आने वाले मरीजों का खून निकालकर उसकी जगह नया खून डाला जाता है और न ही कोई उच्च अधिकारी देर रात तक मरीजों को आने वाली मुश्किलों का हल करने के लिए आते हैं। पंजाब भर के प्रसिद्ध ब्लड बैंकों में केवल लैबारटरी टैक्नीशिनयों के सहारे ही रह गए हैं। ये काम आज से नहीं बल्कि पिछले कुछ समय से चल रहा है। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. इस संबंध में नीरज शर्मा न तो कुछ कहते हैं और न ही फोन उठाना उचित समझते हैं। हम बात कर रहे हैं पंजाब के सबसे बड़े सरकारी गुरु नानक देव अस्पताल स्थित सरकारी ब्लड बैंक की।
जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार ने मरीजों को बेहतर सेवाएं देने के लिए पंजाब के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल गुरु नानक देव में सबसे बड़ा सरकारी ब्लड बैंक खोला है। चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग ने इस ब्लड बैंक को 24 घंटे चलाने का दावा किया है, जबकि हकीकत कुछ और ही है। इस ब्लड बैंक में प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में अस्पताल में भर्ती मरीज और बाहर से निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज रक्त संग्रह के लिए आते हैं। दिन में तो नियमानुसार काम चल रहा है, लेकिन रात में ब्लड बैंक में कोई भी वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद नहीं रहता है। यहां तक कि जब किसी मरीज को कोई समस्या होती है तो कोई भी उच्च अधिकारी उसका समाधान करने के लिए उपस्थित नहीं होता है।
इस संबंध में देर रात अस्पताल का निरीक्षण किया, तो देखा कि रात के समय ड्यूटी पर केवल एक लैबोरटरी तकनीशियन और एक मामूली कर्मचारी ही मौजूद थे, जबकि न तो कोई सीनियर, न ही कोई डॉक्टर, न ही कोई वरिष्ठ अधिकारी ड्यूटी पर मौजूद थे अस्पताल में स्त्री रोग, मेडिसिन, ऑर्थो, सर्जरी, बाल रोग विभाग, आईसीयू, इमरजेंसी आदि मुख्य वार्ड हैं जहां से प्रतिदिन भर्ती मरीज रक्त संग्रह के लिए इस ब्लड बैंक का उपयोग करते हैं। रात के समय कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो अस्पताल में अपने मरीज की जान बचाने के लिए किसी आपात स्थिति में ब्लड लेने के लिए देर रात को आते हैं, लेकिन कर्मचारी उन्हें यह कहकर लौटा देते हैं कि सुबह आना, रात में ब्लड नहीं है। सुबह खून देखकर खून लें। कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जो मरीज को सीधे बता देते हैं कि यह सरकारी ब्लड बैंक है, लेकिन यहां खून के बदले खून दिया जाता है, मुफ्त में कुछ नहीं दिया जाता।
सूत्रों से पता चला है कि ब्लड बैंक में सुबह के वक्त काफी स्टाफ होता है लेकिन इनमें से ज्यादातर स्टाफ को रात में ड्यूटी पर नहीं लगाया जाता है। यहां तक कि मरीजों की समस्याओं को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है। कहा जाता है कि यह पंजाब का सबसे बड़ा ब्लड बैंक है, लेकिन रात के समय यहां 1-2 कर्मचारियों को छोड़कर कोई भी सीनियर मौजूद नहीं रहता। एक तरफ सरकार इस ब्लड बैंक को 24 घंटे खुला रखने का दावा करती है तो वहीं रात में भी ब्लड बैंकों को सुबह जैसी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। यह सरकारी व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान है। इस संबंध में जब ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. जब मैंने नीरज शर्मा से फोन पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने पहले की तरह अपना फोन उठाना उचित नहीं समझा, जब मरीज अक्सर प्रभारी को फोन करते हैं, तब भी प्रभारी उनका फोन नहीं उठाते हैं।
रात में सरकारी ब्लड बैंक में डॉक्टरों के नहीं रहने के कारण प्रयोगशाला तकनीशियन अपने स्तर से मरीज के परिजनों को मांग के अनुसार रक्त सौंपते हैं. प्रयोगशाला तकनीशियन परीक्षण करने और परीक्षण की देखभाल करने तक ही सीमित हैं, लेकिन रात में डॉक्टर या वरिष्ठ की उपस्थिति के बिना मरीजों के परिवार के सदस्यों को रक्त देना सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाता है? अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग नींद से जागने वाले मरीजों की सुविधा के लिए कुंभकर्णी डोनर रक्त निकालने की सुविधा प्रदान करेगा या ब्लड बैंक में पहले की तरह चल रहे काम को जारी रखेगा।
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