Edited By Vatika,Updated: 14 Oct, 2022 08:17 PM

पंजाब के पास अधिक पानी है और ना ही कोई नहर निकाली जाएगी।
चंडीगढ़ः सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) के विवाद पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच हुई बैठक बेनतीजा निकली। मीटिंग के बाद सी.एम. मान ने दो टूक शब्दों में कहा कि न तो पंजाब के पास अधिक पानी है और न ही कोई नहर निकाली जाएगी। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि नहर निकालने का काई सवाल ही पैदा होता क्योंकि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी पानी नहीं है।
एस.वाई.एल. के मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री से मीटिंग के बाद यहां पंजाब भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि जब इस नहर के लिए समझौता हुआ था, तब पंजाब को 18.56 मिलीयन एकड़ फूट (एम.ए.एफ.) पानी मिल रहा था, जो अब कम होकर 12.63 एम.ए.एफ. रह गया है जिससे साफ है कि पंजाब के पास किसी फी राज्य को देने के लिए ज्याता पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब आज की तारीख में कहने को ही "पंज आब" है पर पंजाब के पास पानी नहीं है। हमारे पास हरियाणा को पानी देने के लिए एक बूंद भी नहीं, क्योंकि पंजाब में पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को सतलुज, यमुना व अन्य नहरों से 14.10 एम.ए.एफ. पानी मिल रहा है, जबकि पंजाब को सिर्फ 12.63 एम.ए.एफ पानी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के अधिक पानी है परन्तु फिर भी वह पंजाब से और पानी की मांग कर रहा है। पंजाब के पास अपने खेतों के लिए पानी नहीं है तो हरियाणा को कहां से दें। जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पंजाब में 1400 किलोमीटर लंबी नदियां, नहरें और नाले सूख गए हैं, जिससे भूमिगत जल का उपयोग बढ़ गया है। वर्तमान में पंजाब को नहरी पानी का 27 प्रतिशत कृषि जरूरतों के लिए मिलता है, शेष 73 प्रतिशत जरूरत भूमिगत पानी से पूरी की जा रही है।
सी.एम. भगवंत मान ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पंजाब में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है और राज्य के अधिकांश ब्लाक डार्क जोन में आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को पंजाब से पानी मांगने की बजाय यमुना का पानी पंजाब को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद और पुनर्गठन से पहले पंजाब को यमुना से पानी मिलता रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अगर हरियाणा को वास्तव में पानी की जरूरत है तो वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री के पास जाने के लिए तैयार हैं। हालांकि उन्होंने साफ किया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के सामने भी अपना स्टैंड साफ कर देगी कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है। पंजाब और हरियाणा को प्रधानमंत्री के सामने गंगा और यमुना के मामले को मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया कि दुनिया भर के सभी जल समझौतों में एक धारा शामिल होती है कि वातावरण के बदलाव के मद्देनजर 25 साल बाद समझौते की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि एस.वाई.एल. समझौता ही एकमात्र समझौता है जिसमें इस धारा को शामिल नहीं किया गया है। भगवंत मान ने कहा कि यह पंजाब के साथ घोर अन्याय है और इस जघन्य पाप के लिए केंद्र और पंजाब की वर्तमान सरकारें जिम्मेदार हैं।