‘रहस्यमयी बनी माझा रेंज के मोबाइल विंग में मात्र एक ई.टी.ओ. की तैनाती!’

Edited By Mohit,Updated: 03 Jan, 2021 02:43 PM

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एक तरफ एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग द्वारा माफिया को काबू करने के लिए बराबर शक्तिशाली..........

अमृतसर (इन्द्रजीत): एक तरफ एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग द्वारा माफिया को काबू करने के लिए बराबर शक्तिशाली अधिकारियों की मोबाइल विंग में तैनाती की जाती है, वहीं पर एक बड़ी क्षेत्र में मात्र एक ही अधिकारी को तैनात किया गया है। यह रेंज माझा रेंज की पूरी परिसीमाओं के बीच है। बड़ी बात है कि अस्थाई तौर पर तैनात हुए ई.टी.ओ. जसविंदर चौधरी को अकेले ही पूरे अमृतसर सहित माझा रेंज में तैनात रखा, जहां पर उन्होंने अपना एकछत्र ‘साम्राज्य’ स्थापित किया था। अमृतसर मोबाइल विंग के इतिहास में एक रिकॉर्ड है कि इतने बड़े इलाके में मात्र एक ही ई.टी.ओ. मोबाइल विंग में तैनात रहा, जबकि इतने बड़े क्षेत्र में एक ही अधिकारी की तैनाती भी रहस्य का विषय बनी हुई है। हालांकि उच्चाधिकारियों ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि ई.टी.ओ. दोबारा अमृतसर के सर्किल टू में ही काम करेंगे और नई तैनाती में मोबाइल विंग में उसका नाम नहीं है, वहीं 3 महीने का लंबा अंतराल भी कोई कम नहीं था।

जानकारी के मुताबिक विजिलैंस विभाग की अगस्त महीने में हुई कार्रवाई में अमृतसर के चार ई.टी.ओ और एक सहायक कमिश्नर मुकद्दमे में आरोपी नामजद हुए थे, जिनमें 3 को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बाकी भूमिगत रहे। इसी बीच मोबाइल विंग में कोई अधिकारी न होने पर अमृतसर सर्किल-2 से ई.टी.ओ. जसविंदर चौधरी को अतिरिक्त चार्ज देकर मोबाइल विंग का ई.टी.ओ. बनाया गया था, जिसमें उनके पास पूरी अमृतसर बॉर्डर रेंज की जिम्मेदारी थी। वहीं बीते दिन अमृतसर रेंज में 3 ई.टी.ओ. नए आए हैं। इनमें मधुसूदन, कुलबीर सिंह चीमा, महेश गुप्ता की तैनाती हुई है। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा था कि जसविंदर चौधरी भी इन्हीं के साथ मोबाइल विंग में तैनात रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ पता चला है कि अब ई.टी.ओ. जसविंदर चौधरी को दोबारा जी.एस.टी अमृतसर-टू सर्किल में ही काम करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि ई.टी.ओ. जसविंदर चौधरी की कार्यकुशलता भी कोई कम नहीं है, क्योंकि वह प्राइवेट बसों में होने वाली टैक्स चोरी की जांच करने में अत्यंत माहिर हैं, लेकिन अकेला ई.टी.ओ. इतनी बड़ी रेंज में तैनात करना कोई कम खतरे वाला काम नहीं है। इस इलाके में अधिकारियों की गिनती पूरी न होने के कारण भी इन 3 महीनों में टैक्स माफिया बाहुबली होकर विभाग के सामने आ रहे हैं।

सबसे शक्तिशाली प्रभाग है मोबाइल विंग
एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग में तीन विंग आते हैं, सबसे पहला बैंक जी.एस.टी. विभाग का है, जिसमें कार्यालयों में स्टाफ रिकॉर्ड की चैकिंग के लिए काम करता है। दूसरा प्रभाग आबकारी विभाग का है, जो शराब के ठेकों, डिस्टलरियों और इससे संबंधित हिस्सों में काम करता है, इनकी जी.एस.टी. और अन्य विंग में कोई दखलांदाजी नहीं होती। आबकारी विभाग केवल सरकार को शराब के संबंध में उचित रैवेन्यू देने के लिए अपना कामकाज जारी रखता है। इनमें तीसरा शक्तिशाली विभाग मोबाइल विंग का है, जो टैक्स चोरी को रोकने के लिए पूरे इलाके की सड़कों पर तैनात रहता है और टैक्स चोरों का पीछा करने के लिए मीलों वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं। इस विंग में काम करने के लिए बड़ी से बड़ी सिफारिशें भी आती है, यह सरकार का सबसे बड़ा ‘कमाऊ पूत’ है।

रिकॉर्ड का घटनाक्रम है मात्र एक ई.टी.ओ. !
अमृतसर मोबाइल विंग का पिछला 15 साल का इतिहास देखा जाए तो यहां पर पूरी बॉर्डर रेंज में एक दर्जन ई.टी.ओ. रैंक के अधिकारी तैनात रहे हैं, लेकिन साढ़े चार महीनों में यहां कोई भी ई.टी.ओ. तैनात नहीं था। इसी बीच 3 महीने पहले से ई.टी.ओ. जसविंदर चौधरी ही यहां पर तैनात रहे। एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग की मोबाइल विंग की जुरिडिक्शन अमृतसर रेंज में इतनी बड़ी है, जिसमें एक बॉर्डर रेज पुलिस का इंस्पैक्टर जनरल का इलाका, एक अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस का क्षेत्र और तीसरा तरनतारन एस.एस.पी. का इलाका आता है। वहीं 5 जिलों जिसमें पठानकोट, गुरदासपुर, बटाला, मजीठा, तरनतारन और एक महानगर अमृतसर भी है। इसमें मात्र मोबाइल विंग के एक ही ई.टी.ओ. रैंक के अधिकारी ने अकेले काम किया। इससे भी बड़ी बात है कि इस कार्यकाल के बीच दिवाली का पूरा ‘सीजन’ था जहां पर इस लंबी चौड़ी बेल्ट की टैक्स वसूली की जिम्मेदारी भी अकेले ई.टी.ओ. के पास रही। हालात यह रहे कि जम्मू-कश्मीर से आने वाली चांदी भी पठानकोट रेंज में पुलिस ने पकड़ कर अमृतसर के इसी ई.टी.ओ. के हवाले की थी।

कहां है टैक्सेशन विभाग की इंटेलिजेंस...?
मुख्यमंत्री के संरक्षण में चल रहा एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग संवेदनशीलता में सभी विभागों से आगे है, जबकि अमृतसर जैसे टैक्स माफिया ग्रसित रेंज के मामले में इतना बड़ा रिस्क कहां तक वाजिब है। यही कारण है कि बादल सरकार ने भी इस विभाग को उप-मुख्यमंत्री के संरक्षण में रखा था। इसका मुख्य कारण है कि पंजाब की आमदन का सबसे बड़ा स्रोत एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग है। वहीं पंजाब के एक चौथाई हिस्से का प्रभार एक ई.टी.ओ. के सहारे कैसे छोड़ दिया गया? इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी पंजाब के टैक्सेशन विभाग के उच्च अधिकारियों की है, जो महीने के 20 वर्किंग दिनों में 10 मीटिंगें तो पूरे प्रदेश के अधिकारियों की बुला लेते हैं, लेकिन इस बारे किसी ने भी गौर नहीं किया कि इस पूरे इलाके को क्या भगवान के सहारे छोड़ दिया था ?

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