भाजपा की गुरदासपुर रैली के दौरान अमित शाह एक तीर से साधेंगे 2 निशाने

Edited By Kalash,Updated: 18 Jun, 2023 10:21 AM

amit shah gurdaspur rally

एक ओर केन्द्र की मोदी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एन.डी.ए. का कुनबा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है

पठानकोट (आदित्य):एक ओर केन्द्र की मोदी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एन.डी.ए. का कुनबा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है वहीं जीत की हैट्रिक बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह भी जुटे हुए हैं। 

हालांकि 2024 का राजनीतिक परिदृश्य बनने में एक वर्ष से कम समय रह गया है परन्तु राजनीतिक परिस्थितियां माकूल बनाने के लिए कसरत शुरू हो चुकी है। इसी कड़ी में देश के गृहमंत्री की बहुप्रचारित रैली गुरदासपुर में होने जा रही है जो गुरदासपुर-पठानकोट लोकसभा हलके का प्रमुख हिस्सा हैं यहां से इस संसदीय सीट से 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं तथा शेष 3 पठानकोट जिले से आते हैं। यानि इस संसदीय सीट का एक तिहाई मतदाता गुरदासपुर क्षेत्र से संबंधित हैं जिसकी एक ओर सरहदें पड़ोसी सूबे से भी लगती हैं। यानि गृहमंत्री शाह इस रैली से एक तीर से 2 निशाने होंगे। एक ओर वह पार्टी वर्करों में खास रोष बनने यानि पार्टी की शुरूआती चुनावी कंपेन को संजीवनी प्रदान करने का भरसक प्रयास करेंगे वहीं पड़ोसी मुल्क को भी एक कूट एवं गूढ़ राजनीतिक संदेश देने का दोहरा निशान साधेंगे। वहीं अमित शाह की गुरदासपुर रैली 2024 चुनाव के आगाज का बिगुल भी बजा सकती है।

गुरदासपुर-पठानकोट संसदीय सीट कांग्रेस की परम्परागत सीट रही

गुरदासपुर-पठानकोट संसदीय सीट को कभी कांग्रेस की परम्परागत सीट माना जाता रहा है। स्व. सुखबंश कौर भिंडर जो कांग्रेस की दिग्गज नेत्री रही है, ने कई बार इस सीट को जीतकर पार्टी हाईकमान की झोली में डाला है। उनके समय कांग्रेस पार्टी इस सीट पर अपनी संभावित जीत को लोस चुनावों से पहले ही जीती हुई मानकर चलती थी।

पार्टी हाईकमान निश्चिंत होकर चुनावी रण में उतरता था कि स्व. भिंडर के होते यह सीट पर विजय पताका फहरानी निश्चित है परन्तु जब भाजपा हाईकमान ने इस कांग्रेस के अभेद्य किले को भेदने के लिए सिने अभिनेता विनोद खन्ना को चुनाव में उतारा तो हार-जीत के समीकरण एकदम बदल गए तथा खन्ना ने इस सीट पर अप्रत्याशित जीत दर्ज कर राजनीतिक इतिहास रचते हुए भाजपा का परचम यहां फहरा दिया। स्व. खन्ना भी इस सीट पर 3 बार जीतकर संसद में पहुंचे। उन्हें महज एक बार हार मिली। उनके निधन के बाद जब उपचुनाव हुए तो उस समय सूबे में कांग्रेस की सरकार सत्तासीन थे। कांग्रेस ने उपचुनाव जीतने के लिए उस समय के प्रदेश अध्यक्ष एवं पार्टी के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ पर दांव लगाया जिन्होंने भी पार्टी हाईकमान को निराश नहीं किया तथा भाजपा का लंबे समय से इस सीट पर बनास दबदबा हटाते हुए फिर से कांग्रेस का झंडा स्थापित कर दिया परन्तु यह स्थिति लंबे समय तक बनी नहीं रह सकी।

सन्नी देओल ने तोड़ा कांग्रेस का ‘दिल’

भाजपा को हराकर उपचुनाव जीतने के बाद सुनील जाखड़ कांग्रेस की इस परम्परागत सीट से सांसद बने। इसके बाद आम लोकसभा चुनावों का बिगुल बज गया। ऐसे में भाजपा हाईकमान ने फिर से तुरूप का पत्ता फैंकते हुए सभी सियासी क्यासों के पार जाकर चुनाव से ऐन पहले बॉलीवुड से सिने स्टार सन्नी देओल को लाकर कांग्रेस के सामने चुनौती खड़ी कर दी। जिसके चलते सन्नी देओल ने फिर से भारी जीत दर्ज करते हुए यह सीट फिर से भाजपा हाईकमान की झोली में डालकर कांग्रेस पार्टी का दिल तोड़ दिया। लेकिन सन्नी देओल लोस चुनाव के बाद से इस संसदीय क्षेत्र में यदा-कदा ही नजर आए तथा पिछले लंबे समय से इस क्षेत्र में उनकी बनी हुई निष्क्रियता व वर्करों से दूरी कार्यकर्त्ताओं को मायूस कर रही है, जिस बात से पार्टी हाईकमान भी अवगत है।

चुनावी टिकट के दावेदारों में शाह की रैली को लेकर उत्साह चरम पर

वहीं आगामी चुनाव लड़ने की मंशा पाले व टिकट के दावेदारों का भी उत्साह शाह की रैली को लेकर चरम पर है। ऐसे में कल की रैली में उनकी उपस्थिति भी भविष्य की परतें खोल सकती हैं कि कौन-कौन अपना दमखम किस-किस तरीके से दिखा पाने में सफल रहता है तथा पार्टी हाईकमान आगामी चुनावों के लिए अपने किस जीतने वाले उम्मीदवार पर आगे जाकर दांव लगाती है, यह देखना रूचिकर होगा।\

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