80 प्रतिशत स्कूल वाहनों में नहीं हैं महिला हैल्पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 11:27 AM

80  of schools vehicles  do not have women helper

गुरुग्राम के रेयान स्कूल सहित देश के कुछ अन्य राज्यों में मासूम छात्रों के साथ कुकर्म व हत्या किए जाने के बावजूद जिला प्रशासन गुरदासपुर कुछ सतर्क तो दिखाई देता है परंतु जितना सतर्क होना चाहिए, उतना जिला प्रशासन लोकसभा चुनाव के कारण दिखाई नहीं दे रहा।

गुरदासपुर (विनोद): गुरुग्राम के रेयान स्कूल सहित देश के कुछ अन्य राज्यों में मासूम छात्रों के साथ कुकर्म व हत्या किए जाने के बावजूद जिला प्रशासन गुरदासपुर कुछ सतर्क तो दिखाई देता है परंतु जितना सतर्क होना चाहिए, उतना जिला प्रशासन लोकसभा चुनाव के कारण दिखाई नहीं दे रहा। 

वैसे देखा जाए रेयान स्कूल जैसी घटना प्राइवेट तथा सरकारी स्कूलों में भी हो सकती है परंतु जब-जब इस तरह की कोई घटना होती है तो जिला प्रशासन ने लेकर अदालतों तक केवल प्राइवेट स्कूलों पर पर गाज गिरती है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि एक स्कूल में हुई घटना से हम सभी प्राइवेट स्कूलों को कटहरे मेंं नहीं खड़ा कर सकते तथा इस संबंधी सरकारी स्कूलों में भी सतर्कता जरूरी है।

 जिला गुरदासपुर में चल रहे सरकारी तथा प्राइवेट स्कूलों की संख्या पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो प्राईवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों की संख्या बहुत अधिक है। जिला गुरदासपुर में इस समय 11,011 सरकारी प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं जबकि मिडिल स्तर के 228, हाई स्तर के 91 तथा सीनियर सैकेंडरी स्तर के 114 स्कूल चल रहे हैं। दूसरी ओर जिला गुरदासपुर मेंं हर स्तर के प्राइवेट स्कूलों की संख्या लगभग 350 है। अधिकतर स्कूल बस नाम के ही स्कूल हैं, परंतु सरकारी स्कूलों मेंं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा की गई शारीरिक शोषण की घटनाओं बारे कभी शोर नहीं मचा जबकि प्राइवेट स्कूल मेंं छोटी से छोटी घटना होने पर शोर मच जाता है।

जब-जब अदालत का कोई आदेश आता है तो हर सरकार उसके अनुसार स्कूली वाहनों को व्यवस्था करने का आदेश जारी कर देती है तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश की पालना करवाने को कहा जाता है। कभी हाईड्रॉलिक दरवाजे, कभी वाहनों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने तथा कई अन्य आदेश समय-समय पर जारी होते रहते हैं, परंतु अब स्कूली वाहनों में महिला हैल्पर का होना जरूरी कर दिया गया है, परंतु यह आदेश तब लागू होगा, यदि वाहन मेंं छोटी बच्चियां स्कूल वाहन मेंं आती-जाती हों। यदि देखा जाए तो लगभग 80 प्रतिशत स्कूली वाहनों में महिला हैल्पर तैनात हुए दिखाई नहीं देते। कुछ बसों में महिला की बजाय पुरुष हैल्पर जरूर दिखाई देता है। 

अधिकतर स्कूल वाहन चालकों व हैल्परों की पुलिस वैरीफिकेशन नहीं होती
यदि पुलिस स्टेशनों का रिकार्ड देखा जाए तो पता चलता है कि शायद 10 प्रतिशत ही प्राईवेट स्कूल ऐसे हैं जो किसी वाहन चालक के लिए ड्राइवर रखने पर या हैल्पर तैनात करने पर उसकी पुलिस से वैरीफिकेशन करवाते हों, क्योंकि पुलिस से वैरीफिकेशन करवाना इतना आसान नहीं है।  

पुलिस के पास पहले ही इतने काम होते हैं कि वे ड्राइवर या हैल्पर के गांव या मोहल्ले में जाकर उसकी जांच कर सकें। यदि कोई स्कूल ड्राइवर या हैल्पर की वैरीफिकेशन करने के लिए पुलिस को भेजता है तो या तो वह पत्र रद्दी की टोकरी मेंं फैंक दिया जाता है या बिना जांच किए सर्टीफिकेट बना दिया जाता है, जिस कारण घटना होने पर चालक व हैल्पर तो छूट जाता है और प्रिंसीपल व मालिक उलझ जाते हैं।

लगभग 155 प्राईवेट स्कूली वाहनों को अनियमितताओं के चलते पुलिस ने बॉण्ड किया

यदि इस संबंधी पुलिस को रिकार्ड देखें तो जिला गुरदासपुर में अब तब पुलिस द्वारा समय-समय पर सेफ स्कूल वाहन अभियान अधीन चैकिंग करने पर अनियमितता पाए जाने के कारण 155 से अधिक बसों को बॉण्ड किया गया है। 
 


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!