मिशन सेफ लुधियाना-2020: लुधियाना में 3 वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में हुई 1100 मौतें

Edited By Sunita sarangal,Updated: 14 Nov, 2020 01:28 PM

1100 deaths in road accidents in ludhiana in 3 years

पंजाब सरकार ने 500 करोड़ रुपए का इस्तेमाल ब्लैक स्पॉट के खात्मे के लिए ना किया तो खटखटाएंगे हाईकोर्ट का दरवाजा

लुधियाना(सलूजा, सन्नी): एन.जी.ओ. राहत-सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. कमलजीत सोई ने बातचीत करते हुए इस बात का खुलासा किया कि लुधियाना को सिटी ऑफ ट्रैफिक जाम और सिटी ऑफ डैथ भी माना जाता है क्योंकि केवल पिछले 3 वर्षों में ही सड़क दुर्घटनाओं में यहां 1100 मौतें हुई हैं, जिससे बहुमूल्य मानव जीवन के नुक्सान के साथ जगह-जगह बार-बार लगने वाले ट्रैफिक जाम से ईंधन अपव्यय, प्रदूषण और उत्पादक समय की बर्बादी आदि का वित्तीय नुक्सान भी हुआ है जो लगभग 500 करोड़ है।

लुधियाना में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष 350 से अधिक लोग मौत का शिकार और 600 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर लुधियाना में 69 फीसदी है, जिससे लुधियाना को असुरक्षित शहरों में से एक माना गया है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने पंजाब भर से ब्लैक स्पॉट को खत्म करने के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। यदि इस राशि का इस्तेमाल ब्लैक स्पॉट के खात्मे के लिए ना किया तो फिर पंजाब एंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

वाहनों की ओवर स्पीड हादसों का मुख्य कारण
डा. कमलजीत सोई ने कहा कि वाहनों की तेज स्पीड भारत और विशेष रूप से लुधियाना में सड़क पर होने वाली मौतों में सबसे बड़ा कारण है। 40 फीसदी से अधिक घातक दुर्घटनाएं वाहनों की अत्यधिक या अनुचित गति के कारण होती हैं। लुधियाना में गति सीमा को लागू करने के लिए हमारे पास कोई तंत्र नहीं है। तेज गति से वाहन चलाते हुए पकड़े जाने का डर यहां लोगों में नहीं है और वे लापरवाही से दूसरों के जीवन को खतरे में डालते हैं। गति में 5 किमी/घंटा का अंतर भी एक सड़क उपयोगकर्त्ता के लिए जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सड़कों के बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया जा सकता है। वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स लगाना और उसके प्रभावी प्रवर्तन के लिए निगरानी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि वाहनों पर हाई नंबर प्लेट्स लगने से बढ़ रहे जुर्म को भी नुकेल पड़ेगी।

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खराब सड़कों और बुनियादी ढांचे में कमी एक मुख्य कारण
डा. सोई ने कहा कि हालांकि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाले उच्च मृत्यु दर के विभिन्न कारण हो सकते हैं लेकिन खराब सड़कों और बुनियादी ढांचे में कमी एक मुख्य कारण है और थोड़े से प्रयास से इसे सुधारा जा सकता है। ट्रैफिक इंजीनियरिंग की दृष्टि से लुधियाना का रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर खराब है और सड़कों का डिजाइन भी असुरक्षित है। सड़कों पर विपरीत दिशा में आ रहे वाहनों के बीच डिवाइडर स्पेस की कमी, जगह-जगह क्रॉस ट्रैफिक, वाहनों का लेन सिस्टम से न चलना और अस्पष्ट दृश्यता यहां हो रही सड़क दुर्घटनाओं को और बढ़ा देती है। कई जगह जैसे जगराओं फ्लाईओवर, गिल फ्लाईओवर पर डिवाइडर स्पेस यातायात को अलग करने के अलावा सड़क सुरक्षा में मददगार नहीं है और बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है।

सड़क सुरक्षा ऑडिट नहीं किया जाता
डा. सोई ने इस बात का भी खुलासा किया कि कोई सड़क सुरक्षा ऑडिट नहीं किया जाता है और उचित योजना के बिना ही सड़कें बिछा दी जाती हैं। यहां सड़कों पर आपको रोड मार्किंग नहीं मिलेगी और सड़क फर्नीचर ज्यादातर सड़कों से अनुपस्थित है। विश्व में हर जगह हम सड़कों पर क्रैश बैरियर की बात सुनते हैं, पर लुधियाना में क्रैश बैरियर की जगह बड़े कंक्रीट ब्लॉक रख दिए गए हैं और किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में इनसे टकराना कार और दो पहिया वाहन चालकों के लिए निश्चित रूप से मौत का कारण बनता है। इसे हम पैसों की कमी, अधिकारियों की कम समझ और खराब जानकारी माने या फिर मानव जीवन के लिए सम्मान की कमी।

क्या है लक्ष्य
डा. सोई ने बताया कि उनका लक्ष्य वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्युदर 25 फीसदी तक कम करना, लुधियाना के 92 ब्लैक स्पॉट में सुधार लाना, कम ट्रैफिक जाम और सड़क पर वाहनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना, एच.एस.आर.पी. नंबर प्लेट लगने पर जोर और वाहनों से जुड़े अपराधों में कमी लाना है।

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