रिलांयस का ऑफर: पंजाब को प्लास्टिक कचरे से निजात के साथ मिल सकती हैं पक्की सड़कें

Edited By Suraj Thakur,Updated: 30 Jan, 2020 12:16 PM

reliance offer punjab can get paved roads with plastic waste

ऑफर की पुष्टि रिलायंस के पेट्रोकेमिकल बिजनस को देखने वाले सीओओ विपुल शाह ने की है।

जालंधर। पंजाब सरकार के पास प्लास्टिक कचरे से निजात पाने के लिए एक सुनहरा मौका है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार और इसके सभी स्थानीय निकायों को ऑफर दिया है कि वह प्लास्टिक कचरे से उनके शहरों में सड़क निर्माण करेगी। कैप्टन सरकार यदि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस ऑफर को स्वीकार कर लेती है तो पंजाब के शहरों से जहां प्लास्टिक कचरे का नामोनिशान मिटना शुरू हो जाएगा वहीं दूसरी और देहात और शहरों की बदहाल सड़कों की सूरत भी बदलने शुरू हो जाएगी। रिलांयस इंडस्ट्री की तरफ से राज्य सरकारों को दी गई इस तरह की ऑफर की पुष्टि रिलायंस के पेट्रोकेमिकल बिजनस को देखने वाले सीओओ विपुल शाह ने की है।

 

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50 टन प्लास्टिक कचरे से लगभग 40 किमी रोड़ तैयार
विपुल शाह ने कहा कि प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगाने व प्लास्टिक सड़क निर्माण को लेकर वह फिलहाल नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले ही इस तरह के एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस प्रोजैक्ट के तहत कंपनी ने रायगढ़ के नागोथाने में  50 टन प्लास्टिक कचरे से लगभग 40 किलोमीटर सड़क का निर्माण भी किया है। उन्होंने बताया कि हमें इस मेकेनिज्म को तैयार करने में 14 से 18 महीने का वक्त लगा था। इस तकनीक के जरिए स्नैक्स के पैकेट, पॉलिथिन बैग समेत तमाम तरह के प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से रोड तैयार किए जा सकते हैं। पेट्रोकेमिकल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज या आरआईएल अपने नये प्रोजेक्ट के तहत 1.3 अरब आबादी वाले भारत में प्रदूषण को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच देश की सड़कें बनाने में प्लास्टिक का इस्तेमाल करेगी। भारत जहां सालाना लगभग 1.4 करोड़ टन प्लास्टिक का उपयोग होता है, में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए एक संगठित सिस्टम की कमी है, जिसकी वजह से बड़े स्तर पर कूड़े-कचरे का उत्पादन होता है।

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1 किमी सड़क के निर्माण के लिए 1 मीट्रिक टन प्लास्टिक
शाह कहते हैं कि एंड-ऑफ-लाइफ प्लास्टिक को रिसाइकल नहीं किया जा सकता। जबकि इस तकनीक से कचरे का तो निपटान होता ही है बल्कि यह आर्थिक लिहाज से भी बेहतर है। इसकी मदद से कम लागत में सड़कों का निर्माण किया जा सकता है। वह कहते हैं कि अनुभव के मुताबिक एक किलोमीटर सड़क के निर्माण के लिए 1 मीट्रिक टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं इसके इस्तेमाल के जरिए 1 लाख रुपये प्रति किलोमीटर बचाए जा सकते हैं। कंपनी भारत के राजमार्ग प्राधिकरण और अलग-अलग राज्यों के साथ मिलकर काम करना चाहती है ताकि हजारों किलोमीटर की सड़कों को बनाने के लिए प्लास्टिक-मिश्रण मिक्सचर की आपूर्ति की जा सके। हल्की प्लास्टिक का होगा इस्तेमाल कैरी बैग या स्नैक रैपर में इस्तेमाल होने वाली हल्की प्लास्टिक रीसायकल करने लायक नहीं होती। इसका अंत कूड़े के ढेर, सड़क के कोनों या महासागरों में होता है। रिलायंस इसी प्लास्टिक का इस्तेमाल बिटुमेन के साथ मिला कर सड़कें बनाने में करना चाहती है। ये एक ऐसा फॉर्मूला है, जिसे जानकार सस्ता और टिकाऊ मान रहे हैं। रिलायंस के पेट्रोकेमिकल कारोबार के सीओओ विपुल शाह ने कहा यह हमारे पर्यावरण और हमारी सड़कों के लिए एक गैम-चेंजिंग प्रोजेक्ट हो सकता है।
 

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