Serious Mode पर आई भाजपा, पुराने साथियों को दोबारा जोड़ने के प्रयासों में जुटी

Edited By Vatika,Updated: 06 Jun, 2023 01:01 PM

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इस मुलाकात से दोनों दलों के अपने गठबंधन को दोबारा जीवित करने की अटकलें तेज हो गई हैं। गौर रहे कि 2018 के बाद से नायडू की अमित शाह के साथ यह पहली मुलाकात थी।

जालंधर (अनिल पाहवा): हाल के कर्नाटका विधानसभा चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद भाजपा अब 'सीरियस मोड' में आ गई है। पार्टी ने अब खुद को पहले से ज्यादा मजबूत करने के लिए अलग अळग योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। इसी में से एक पुराने साथियों को वापिस अपने साथ लाना, जिस काम में भाजपा फिर से जुट गई है। कई विपक्षी नेता 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले गठबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं। इस समय में पार्टी एनडीए में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए नए गठबंधन बनाना चाह रही है।  

इसी रणनीति के तहत भाजपा और उसके पूर्व सहयोगियों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को कम करने के प्रयास जारी हैं। वैसे पिछले नौ वर्षों में राजग बेमानी दिखाई दिया, इस अवधि के दौरान सहयोगियों के साथ शायद सिर्फ एक बैठक बुलाई गई जिसमें शायद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों के लिए उम्मीदवारों के बारे में अपने सहयोगियों से परामर्श किया गया। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की ओर से राजग की बैठक बुलाने की चर्चा है। नई दिल्ली में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक भी कुछ इसी तरह की कोशिश बताई जा रही है। इस मुलाकात से दोनों दलों के अपने गठबंधन को दोबारा जीवित करने की अटकलें तेज हो गई हैं। गौर रहे कि 2018 के बाद से नायडू की अमित शाह के साथ यह पहली मुलाकात थी।

उस समय टीडीपी ने भाजपा के साथ रिश्ते तोड़ते हुए एनडीए से खुद को अलग कर लिया था। शाह और नायडू के बीच हुई यह बैठक राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इस साल के अंत में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनावों और आंध्र प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं। अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए पीएम मोदी की हाल की चंडीगढ़ यात्रा भी इसी कारण चर्चा का विषय बनी हुई है। उसके बाद भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और अमित शाह ने विभिन्न अवसरों पर बादल परिवार के गांव का दौरा किया।  यह स्पष्ट रूप से अपने पुराने सहयोगियों के करीब आने के प्रयासों का संकेत देता है। टीडीपी और अकाली दल दोनों केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार से बाहर हो गए थे। बाद में उन्हें अपने संबंधित राज्यों आंध्र प्रदेश और पंजाब में करारी हार का सामना करना पड़ा। राजग से बाहर होने के बावजूद, दोनों पार्टियां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन करने, नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेने जैसे महत्वपूर्ण मौकों पर भाजपा के साथ खड़ी रहीं जब विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार किया गया था।

बीजेपी के साथ इस कारण तोड़ा था नाता
टीडीपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन में 2014 के चुनावों में अपनी जीत के बाद आंध्र प्रदेश के अवशिष्ट राज्य में पहली सरकार बनाई थी। बाद में आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा देने में देरी के विरोध में 2018 में एनडीए से नाता तोड़ लिया। नायडू ने बाद में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए कांग्रेस पार्टी से हाथ मिला लिया था। हालांकि, गठबंधन को धूल चाटनी पड़ी। इसी प्रकार केंद्र सरकार की तरफ से किसान बिलों को मंजूरी देने के बाद किसानों की तरफ से दिल्ली में धरना लगाया गया ता जिस मामले में शिरोमणी अकाली दल ने भाजपा के साथ अपना विरोध दर्ज करवाया था तथा केंद्र में अकाली दल की तरफ से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने राजग से नाता तोड़े का एलान कर दिया था।

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