1918 में महामारी से पंजाब के 8 लाख लोगों की हुई थी मौत, 4 फीसदी घट गई थी आबादी

Edited By Suraj Thakur,Updated: 20 Mar, 2020 04:12 PM

8 lakh people died in punjab due to pandemic in 1918

सबक की जरूरत: एक साल महामारी के चपेट में रहता पंजाब तो मर जाते 60 फीसदी लोग, जालंधर में गई थी 30 हजार लोगों की जान।

जालंधर। (सूरज ठाकुर)  जब तक कोई दवा इजाद नहीं हो जाती तब तक कोरोनावायरस से बचने का अब एक ही इलाज है जागरुकता और अपने काे भीड़ से अलग रखना। इसके मद्देनजर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया है। पंजाब के लोगों को भी अपना बचाव करने के लिए जागरूक रहना चाहिए क्योंकि सौ साल पहले पंजाब ऐसी ही महामारी स्पैनिश फ्लू (इंफ्लुएंजा) का दंश झेल चुका है।1918 में देश भर में फैली बीमारी जहां करीब दो करोड़ भारतीयों को मौत की नींद सुला दिया था, वहीं पंजाब में 8 लाख 16 हजार 317 लोगों की जान चली गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक पंजाब की 4 फीसदी से ज्यादा आबादी 25 दिनों में ही घट गई थी। उस समय सूबे की कुल आबादी 1 करोड़ 93 लाख 37 हजार 146 थी और इसमें हिमाचल, हरियाणा और लाहौर के इलाके भी शामिल थे। जालंधर शहर की बात करें तो यहां 31803 लोगों की मौत हुई थी।

PunjabKesari

शिमला सैनिक छावनी से हुई थी महामारी की शुरूआत
पंजाब में सबसे पहले स्पैनिश फ्लू की शुरूआत अंग्रेजों की सैनिक छावनियों से शुरू हुई थी। इससे ग्रस्त होने वाले ज्यादातर अंग्रेज सैनिक ही थे। ब्रिटिश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 1 अगस्त 1918 को शिमला में स्पैनिश फ्लू पहला मरीज सैनिक पाया गया था। इसके बाद हिमाचल की जतोग, डगशाई, सोलन और कोटगढ़ की छावनियों में मरीज सामने आए। हरियाणा की अंबाला और पंजाब के लाहौर, अमृतसर, फतेहगढ़ की छावनियों में भी यह फ्लू फैल गया। शिमला में इस बीमारी की चपेट में आने वाले सभी लोग यूरोपियन थे जबकि पंजाब सहित अन्य मैदानी इलाकों में भारतीय थे। जुलाई 1918 तक पंजाब में स्पैनिश फ्लू होने के बारे में अनश्चितता बनी हुई थी और लाहौर के अलबर्ट विक्टर और मेयो अस्पताल में किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया था। अगस्त माह में अमृतसर, शिमला और लाहौर में यूरोपियन और भारतीयों में स्पैनिश फ्लू के लक्षण पाए गए जो अंग्रेजों में ज्यादा प्रबल थे।

PunjabKesari 

25 दिनों में ही कम होगई थी 4 से 5 फीसदी आबादी
सितंबर के दौरान संक्रमण का क्षेत्र तेजी से बढ़ा। महामारी अपने दूसरे चरण में थी। ऐसा माना जा रहा था कि जैसे कोई शैतान  पूरे पंजाब को घेरने वाला है। अक्टूबर माह में इस महामारी ने सूबे में मौत बनकर अपना तांडव शुरू कर दिया। कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि विभिन्न हिस्सों में शहर और गांव कब्रिस्तान और श्मशान जैसे प्रतीत होने लगे थे। "वास्तव में, अक्टूबर के अंत तक इन्फ्लूएंजा दुनिया के हर हिस्से में फैल गया था, जिसमें स्वीडन, नॉर्वे, हॉलैंड, डेनमार्क अमेरिका और अफ्रीका शामिल थे। अकेले बॉम्बे में इन्फ्लूएंजा ने चार सप्ताह के भीतर लगभग 13,500 लोगों की मौत की नींद सुला दिया था।  मृत्यु दर के अलावा बड़ी संख्या में आबादी इन्फ्लूएंजा और इसके प्रभाव के बाद भी अपंग हो गई थी। इस दौरान पंजाब में 15 अक्टूबर से 10 नवंबर यानि 25 दिन के भीतर सर्वाधिक लोगों की जान गई और सूबे की लगभग 4 से 5 फीसदी आबादी एक महीने से भी कम समय में मर गई। यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहता तो साल भर में पंजाब के 60 फीसदी लोग मर जाते।

 PunjabKesari

क्या थे बीमारी के लक्षण
पंजाब के तत्कालीन सेनेटरी कमीश्नर के मुताबिक यह एक ऐसा बुखार था जिसमें मरीज को 80 से 90 की पल्स के साथ 104 डिग्री बुखर आता था। इससक सिर, पीठ और अंगों में बहुत दर्द होता था। मरीज को शरीर के वायु मार्ग में सूजन के साथ-साथ सांस लेने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। इन्फ्लूएंजा के कारण नाक और फेफड़ों से रक्तस्राव होता था। बीमारी के संपर्क में आने वाले लोग अक्सर तीन दिनों के भीतर मर जाते थे। मौत आमतौर पर बैक्टीरिया द्वारा फेफड़ों पर हमला करने के कारण होती थी। इस दौरान "इन्फ्लूएंजा के लिए जिम्मेदार जीव के बारे में समकालीन शोध सुनिश्चित नहीं था। सबसे पहले यह मई 1918 में बॉम्बे में विश्व युद्ध से लौटे सैनिकों में दिखा जहां से यह उत्तरी भारत के दिल्ली और मेरठ जिलों में फैल गया था।PunjabKesari महामारी से सबक लेने की जरूरत
स्पैनिश फ्लू के प्रसार में संचार ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संभवतः यह भी कोरोनावायरस की तरह उस समय यह एक आधुनिक बीमारी थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों की आवाजाही, जहाजों के माध्यम से व्यापार और वाणिज्य, और डाक नेटवर्क ने इस बीमारी को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक पहुंचाया। प्रथम विश्व युद्ध और सैनिकों की एक देश से दूसरे देश में आवाजाही से यह बीमारी विश्व के कई देशों में फैली थी। यही वजह है कि आज भारत ने दूसरे देशों में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्पैनिश फ्लू से हमें सौ साल बाद भी सबक लेने की जरूरत है। यही वजह है कि बीमारी की रोकथाम को भीड़ से दूर रह कर कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो गाइडलाइन्स निर्धारित कर रखी है उस पर हमें अमल कर समझदारी दिखानी चाहिए। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!