शिक्षा के लिए मौत के मुंह में जा रहे इन बच्चों के लिए जागी राहत की उम्मीद

Edited By Vatika,Updated: 10 May, 2018 03:42 PM

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मत्तेवाड़ा में जंगलों के बीच अंदरूनी भाग में स्थित गांव गढ़ी फाजल के 100 से अधिक बच्चों को 6वीं कक्षा से शिक्षा ग्रहण करने के लिए 3.50 कि.मी. का खतरनाक जंगल पार करने के संबंधी ‘पंजाब केसरी’ में प्रकाशित खबर के बाद सरकार की नींद खुली है। पिछले लम्बे...

लुधियाना (विक्की): मत्तेवाड़ा में जंगलों के बीच अंदरूनी भाग में स्थित गांव गढ़ी फाजल के 100 से अधिक बच्चों को 6वीं कक्षा से शिक्षा ग्रहण करने के लिए 3.50 कि.मी. का खतरनाक जंगल पार करने के संबंधी ‘पंजाब केसरी’ में प्रकाशित खबर के बाद सरकार की नींद खुली है। पिछले लम्बे समय से समय-समय की सरकारों की नजर से दूर रहे इस गांव के विद्यार्थियों को अब हाई व सैकेंडरी एजुकेशन की सुविधा उनके गांव में ही देने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। लुधियाना से संबंधित पंजाब के फूड सप्लाई मंत्री भारत भूषण आशु जो पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी हैं, ने बच्चों की परेशानी को दूर करवाने के लिए मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह व शिक्षा मंत्री ओ.पी. सोनी के साथ विशेष मीटिंग करने की बात कही है ताकि विभागीय औपचारिकताओं को जल्द पूरा कराकर गढ़ी फाजल गांव के प्राइमरी स्कूल को हाई या सैकेंडरी तक अपग्रेड किया जा सके।

शिक्षा के रास्ते में यह है मुसीबत
गांव के लोगों ने डी.ई.ओ. को बताया कि सर्दियों व बरसाती मौसम में इस जंगल से निकलना बेहद कठिन हो जाता है। बच्चों को कोई दिक्कत न आए इसलिए कई बार तो अभिभावक उन्हें स्कूल ही नहीं भेजते हैं। पूर्व फौजी मक्खन सिंह ने कहा कि गांव की अधिकतर लड़कियां 5वीं पास रह जाती हैं क्योंकि 6वीं से पढ़ाई के लिए गांव में कोई स्कूल नहीं है। अगर किसी बच्चे को पढऩा है तो उसे जंगल का खतरनाक रास्ता पार कर निकलना होता है इसलिए पेरैंट्स उन्हें जंगल के रास्ते भेजने से डरते हैं।

बच्चों ने डी.ई.ओ. को सुनाई जंगल में डर की दास्तां
मंगलवार को पंजाब केसरी में शिक्षा के सपनों पर जंगल का डर शीर्षक से प्रकाशित खबर के बाद शिक्षा मंत्री ओ.पी. सोनी ने जिला शिक्षा अधिकारी स्वर्णजीत को फोन कर गांव में विजिट करने के निर्देश देकर पूरी स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। शिक्षा मंत्री के आदेशों पर गढ़ी फाजल गांव में पहुंचे डी.ई.ओ. ने गांव में बने प्राइमरी स्कूल के पास उपलब्ध जगह का मुआयना करने के अलावा अन्य स्थितियों की भी समीक्षा की। साइकिलों से ऐसे खतरनाक व सुनसान जगह से होकर स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की दशा को देखकर डी.ई.ओ. स्वयं भी हैरान हो गए और उन्होंने बाकायदा मत्तेवाड़ा के हाई स्कूल में पढऩे वाले इस गांव के बच्चों से भी बात कर परेशानियों की डिटेल एकत्रित की।

डी.ई.ओ. ने शिक्षा मंत्री को भेजी रिपोर्ट
डी.ई.ओ. ने करीब 3 घंटे तक पूरी स्थिति की समीक्षा करने के बाद गांव के लोगों को भरोसा दिया कि विभाग बच्चों की सुविधा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा। बात करने पर डी.ई.ओ. ने बताया कि शिक्षा मंत्री से मिली हिदायतों के बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई है। उन्होंनेे माना कि बच्चों को अपनी हाई व सैकैंडरी स्तर की शिक्षा पूरी करने में जंगल का खतरनाक रास्ता आड़े आ रहा है लेकिन उन्होंने रिपोर्ट में बच्चों व पेरैंट्स की हर परेशानी का जिक्र भी किया है।

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