जेल में दाखिल होने से रोकने के लिए उपद्रवियों ने पुलिस वालों पर फैंके थे जलते सिलैंडर

Edited By swetha,Updated: 30 Jun, 2019 12:17 PM

ludhiana jail dispute

लुधियाना की केंद्रीय जेल में 27 जून को हुए उपद्रव में जेल प्रशासन की विवशता कहें या कुछ और। जब जिला पुलिस के उच्चाधिकारी जेल में दाखिल होने लगे तो उन पर जलते हुए गैस सिलैंडर फैंके गए। अगर पुलिस बहादुरी और युक्ति से काम न लेती तो कई पुलिस अधिकारी...

लुधियाना (महेश/गौतम): लुधियाना की केंद्रीय जेल में 27 जून को हुए उपद्रव में जेल प्रशासन की विवशता कहें या कुछ और। जब जिला पुलिस के उच्चाधिकारी जेल में दाखिल होने लगे तो उन पर जलते हुए गैस सिलैंडर फैंके गए। अगर पुलिस बहादुरी और युक्ति से काम न लेती तो कई पुलिस अधिकारी अपनी जान गंवा बैठते। घटना की संवेदनशीलता के बारे में जेल प्रशासन को पता था या नहीं इस बारे में उन्होंने जिला पुलिस को अपडेट किया या नहीं यह बातें तो जांच के बाद ही सामने आएंगी लेकिन जेल के अंदर उपद्रवियों ने सुनियोजित ढंग से पुलिस का दाखिला रोकने की कोशिश की, क्योंकि उनके निशाने पर पुलिस के उच्चाधिकारी थे जिन्होंने हिम्मत व योजना के तहत स्थिति को संभाला और उपद्रवियों पर भारी पड़ गए। 

जेल के भीतर दाखिल होते ही पुलिस के उच्चाधिकारियों ने भांप लिया कि स्थिति इतनी सहज नहीं है। कुछ उपद्रवी मुख्यद्वार तक पहुंच गए थे। जेल प्रशासन ने जिला पुलिस के आने से पहले बेशक अपने तौर पर स्थिति से निपटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी होगी, लेकिन जिला पुलिस के उच्चाधिकारियों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि जेल प्रशासन के पास इस उपद्रव की कोई खुफिया स्टीक जानकारी नहीं थी कि स्थिति इस कदर बिगड़ सकती है।  अपनी जांच में जिला पुलिस प्रशासन ने यह निष्कर्ष भी निकाला है कि सन्नी सूद की मौत से पहले भी कुछ तथाकथित उपद्रवी जेल से भागने की फिराक में थे। 

वीडियो वायरल कर लगाए आरोप, पुलिस को था डर
जेल से वायरल हुई वीडियो में एक कैदी ने कहा कि प्रशासन को पता था कि सन्नी की हालत बिगड़ रही है फिर भी उसे अस्पताल नहीं भेजा गया। अधिकारियों को डर था कि अगर सन्नी बाहर जाता है तो वह उनके खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर कर देगा जिस कारण वे सस्पैंड भी हो सकते हैं। इसी चक्कर में सन्नी की मौत हो गई। जब अधिकारियों से पूछा गया कि उनकी लापरवाही के कारण सन्नी की मौत हुई है तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया। उनका आरोप था कि अधिकतर कैदियों की मौत जेल में ही हुई है, जबकि अधिकारी हर बार यह कहकर बचाव कर लेते हैं कि कैदी की मौत इलाज के लिए ले जाते हुए रास्ते में हुई है। अगर कोई शिकायत करता है कि अफसर उनके घरों में जाकर परिवार को धमकाते हैं और पैसों की मांग करते हैं। जेल में हुई मौतों को लेकर अगर जांच करवाई जाए तो पता चलेगा कि जेल में कितने कत्ल हुए हैं। जेल में अधिकतर मुलाजिम अपनी मनमर्जी करते हैं व छोटी-छोटी बात को लेकर कैदियों की पिटाई कर देते हैं। किसी भी तरह की मैडीकल सुविधा भी नहीं उपलब्ध करवाई जाती। 

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