सरकारी अनाज की कालाबाजारी करने वाले कर्मियों व डिपो होल्डरों को सहन नहीं करेंगे : आशु

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Apr, 2018 11:28 AM

congress mla ashu

कांग्रेसी विधायक भारत भूषण आशु को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मंत्रालय सौंपे जाने के बाद उनकी जिम्मेदारियां उन परिवारों के प्रति पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं जिनके नीले कार्ड गत दिनों री-वैरीफिकेशन के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा रद्द किए जा चुके...

लुधियाना (खुराना): कांग्रेसी विधायक भारत भूषण आशु को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मंत्रालय सौंपे जाने के बाद उनकी जिम्मेदारियां उन परिवारों के प्रति पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं जिनके नीले कार्ड गत दिनों री-वैरीफिकेशन के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा रद्द किए जा चुके हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा कि मैं जनता के अधिकारों की रक्षा करूंगा। जिन परिवारों के राशन कार्ड सर्च टीम के कर्मियों की गलती अथवा लापरवाही के चलते रद्द हो गए हैं उन्हें फिर से जांच कराकर बनाया जाएगा।

सरकार विभागीय कर्मियों की कालाबाजारी को सहन नहीं करेगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।  मंत्री आशु ने कहा कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में फैले भ्रष्टाचार व सरकारी गेहूं की होने वाली कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो गलतियां अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने की हैं, उन्हें अब कांग्रेस के कार्यकाल में दोहराया नहीं जाएगा। जहां आशु को योजना से जुड़े सभी असल परिवारों के नीले कार्ड एक बार फिर से बनवाने होंगे, वहीं विभागीय अधिकारियों व इंस्पैक्टरों की मनमानियों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम भी उठाने होंगे ताकि कालाबाजारी करने वालों को सबक सिखाया जा सके। मंत्री आशु के खेमे में विधायक संजय तलवाड़ इस संबंधी पहले ही खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मियों को समय रहते सुधरने की नसीहत दे चुके हैं। सरकारी गेहूं की कालाबाजारी के कई मामले आ चुके हैं सामने गौरतलब है कि लुधियाना में सरकारी गेहूं की कालाबाजारी के कई मामले पुलिस और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की फाइलों में दफन पड़े हैं।

इसमें विभागीय इंस्पैक्टरों, डिपो होल्डरों व आटा चक्की मालिकों की हिस्सेदारी दर्ज है व पुलिस द्वारा जहां उक्त तिकड़ी के खिलाफ आई.पी.सी. की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें कुछ विभागीय कर्मियों को सस्पैंड भी किया जा चुका है लेकिन सरकारी गेहूं की कालाबाजारी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। याद रहे कि पंजाब सरकार द्वारा योजना से जुड़े परिवारों को मात्र 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं दी जाती है, जो डिपो मालिकों व विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से 20 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खुले बाजार में ब्लैक हो रही है। ठेकेदारों द्वारा चलाए जा रहे हैं दर्जनों राशन डिपो अब अगर बात की जाए पंजाबभर के अधिकतर इलाकों में ठेके पर चलने वाले राशन डिपुओं की तो राशन माफिया के रूप में कई ठेकेदार इन राशन डिपुओं को ठेके पर चलाकर गरीबों के मुंह का निवाला उनकी थाली में पहुंचने से पहले ही साहूकारों के अनाज गोदामों तक पहुंचाकर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं।

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