Edited By Vatika,Updated: 05 Nov, 2018 04:20 PM
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार धान की पराली को जलाने पर लगाई रोक के मद्देनजर अन्नदाता बन लोगों का पेट भरने वाले किसान वातावरण के रक्षक बनकर अन्यों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे हैं।
सुल्तानपुर लोधी (धीर): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार धान की पराली को जलाने पर लगाई रोक के मद्देनजर अन्नदाता बन लोगों का पेट भरने वाले किसान वातावरण के रक्षक बनकर अन्यों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे हैं।
ऐसे ही एक किसान हैं गांव तलवंडी चौधरियां के हरजीत सिंह राणा स्वामी, जोकि को-आप्रेटिव सोसायटी तलवंडी चौधरियां के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपनी 90 एकड़ पराली का निपटारा बिना आग लगाए करके अन्य किसानों को भी राह दिखाई है। गांवों के अन्य किसानों के लिए मिसाल बने राणा स्वामी ने अपने खेत के कुछ हिस्से में पराली वाले खेतों में रोटावेटर से खेत जोत करके पराली मिट्टी में मिला दी और पानी लगा दिया। 90 एकड़ में से उसने 10 एकड़ में हैप्पीसीडर के द्वारा गेहूं की बिजाई कर दी और बाकी हिस्से में आलुओं की फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस प्रकार गांव के एक अन्य किसान प्रीतम सिंह स्वामी ने बताया कि उसने गत वर्ष 80 एकड़ पराली को आग नहीं लगाई जिसके उसे बहुत बढिय़ा परिणाम मिले हैं। कुछ एकड़ में जीरो टिलेज मशीन से बिजाई की और कुछ हिस्सों में वह हैप्पीसीडर से गेहूं की बिजाई करेगा। वह कहते हैं कि पराली मिट्टी में मिलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। खेतीबाड़ी विभाग के विस्तार अधिकारी डा. परमिंदर कुमार ने बताया कि किसान पराली को संभालने के लिए खेती संसाधन सेवा केंद्रों से संसाधन किराए पर ले सकते हैं।