ठेकेदार ने वर्कशॉप चौक को उखाड़ कर लावारिस छोड़ा

Edited By swetha,Updated: 22 Jul, 2019 10:56 AM

workshop chowk jalandhar

आज से करीब 3 साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर का नाम देश के पहले 100 शहरों की सूची में आया था परंतु शहर में स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले  कामों पर पहले 2 साल ब्रेक लगी रही और अब जाकर स्मार्ट सिटी के तहत कुछ...

जालंधर(खुराना) : आज से करीब 3 साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर का नाम देश के पहले 100 शहरों की सूची में आया था परंतु शहर में स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले 
कामों पर पहले 2 साल ब्रेक लगी रही और अब जाकर स्मार्ट सिटी के तहत कुछ काम शुरू होते दिख रहे हैं।स्मार्ट सिटी के तहत कंस्ट्रक्शन का पहला काम कंट्रोल एंड कमांड सैंटर की बिल्डिंग बनाने का रहा जो पुलिस लाइन्स कॉम्पलैक्स में बन रही है।

इसके अलावा शहर के 11 चौराहों को सुंदर बनाने के काम पर 20 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रोजैक्ट शुरू हुआ जिसके तहत टैंडर लेने वाले ठेकेदार ने वर्कशॉप चौक से काम शुरू भी कर दिया है। लोगों को आशा थी कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत होने वाले काम अत्यंत स्मार्ट तरीके से होंगे और उन कामों में काफी कुछ अलग होगा परंतु ऐसे लोगों की आशाओं पर पानी फिरता दिख रहा है क्योंकि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहा यह कार्य अत्यंत देसी तरीके से किया जा रहा है। आज से 20-22 दिन पहले ठेकेदार ने डिच मशीन मंगवाकर वर्कशाप चौक पर बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए थे, जो आज भी वैसे ही पड़े हुए हैं। उन गड्ढों के आसपास कोई बैरीकेङ्क्षडग नहीं है और लोग पिछले 20 दिनों से उन गड्ढों में गिर रहे हैं। 20 दिनों दौरान शहर में 3-4 बरसातें हो चुकी हैं जिस कारण इन गड्ढों में पानी भरा रहा और वाहन चालकों को गड्ढों का पता न चलने के कारण कई दुर्घटनाएं हुईं।

 हैरानी इस बात की है कि पिछले 20 दिनों से लोगों को गड्ढों के कारण हो रही परेशानियों बाबत न तो स्मार्ट सिटी कम्पनी के किसी अधिकारी को जानकारी है और न ही इस काम की मॉनीटरिंग कर रहे नगर निगम के अधिकारी ठेकेदार को कोई टोका-टाकी कर रहे हैं।पता चला है कि स्मार्ट सिटी के तहत 20 करोड़ का काम लेने वाला ठेकेदार जालंधर निगम से ही संबंधित है, जिस कारण जालंधर निगम के ज्यादातर अधिकारी उसके सम्पर्क में हैं, इसलिए ठेकेदार को कुछ नहीं कहा जा रहा।

किसी पार्षद को नहीं है जानकारी
20 करोड़ की लागत से शहर के 10 चौराहों को सजाने-संवारने का प्रोजैक्ट शुरू हो चुका है पर हैरानीजनक बात यह है कि जालंधर के 90 में से शायद ही किसी पार्षद को इस प्रोजैक्ट की जानकारी हो। किसी पार्षद को यह नहीं पता कि वर्कशॉप चौक को सजाने-संवारने पर अगर 3.50 करोड़ रुपया खर्च होना है तो उसके तहत चौक में क्या-क्या लगना है। लोगों की मांग है कि स्मार्ट सिटी के हर काम की साइट पर इन्फार्मेशन बोर्ड जरूर लगाया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रही।

बैरिकेडिंग तक के पैसे बचा रहा ठेकेदार
शहर के चौराहों को 20 करोड़ रुपए की लागत से सजाने-संवारने का प्रोजैक्ट शुरू हुए महीना होने को है परंतु प्रोजैक्ट शुरू करने का तरीका ही अत्यंत देसी है, जिसे देख कर नहीं लगता कि यह काम 
स्मार्ट सिटी के तहत हो रहा है। देश के अन्य शहरों में जब भी कोई कंस्ट्रक्शन वर्क सार्वजनिक स्थानों, सड़कों व चौराहों पर होता है तो उसकी ऐसी बैरिकेडिंग की जाती है कि बाहर पता ही नहीं चलता कि अन्दर क्या हो रहा है। कुछ साल पहले दिल्ली में मैट्रो ट्रेन प्रोजैक्ट के चलते जगह-जगह खुदाई हुई परंतु बैरिकेङ्क्षडग की आड़ में सारा प्रोजैक्ट ऐसे चला कि बाहर लोगों को पता तक नहीं चला कि अन्दर क्या हो रहा है। पर वर्कशॉप चौक में ही 3.50 करोड़ रुपए से ज्यादा लगने हैं। ऐसे में ठेकेदार द्वारा कोई बैरिकेङ्क्षडग न लगाया जाना यही दर्शाता है जैसे इस काम में भी पैसे बचाए जा रहे हों।

लोगों से छिपाई जा रही प्रोजैक्ट की जानकारी
नगर निगम में छोटा-सा विकास कार्य करवाना हो तो ठेकेदार से कहा जाता है कि वह साइट पर इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाए जिस पर काम का नाम, ठेकेदार/एजैंसी का नाम, प्रोजैक्ट की राशि, प्रोजैक्ट को पूरा करने की अवधि, प्रोजैक्ट में शामिल काम और उनकी स्पैसीफिकेशन इत्यादि विस्तार से लिखी हो। जालंधर में कई स्थानों पर निगम के ठेकेदार ऐसे बोर्ड लगाते हैं परंतु स्मार्ट सिटी के तहत ठेकेदार को 20 करोड़ का प्रोजैक्ट मिला हो और साइट पर इन्फॉर्मेशन बोर्ड का नामोनिशान न हो तो यही माना जाएगा कि प्रोजैक्ट की जानकारी आम लोगों से छिपाई जा रही है।

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