ट्रैवल एजैंट लाइसैंस आवदेन से कुछ हो रहे परेशान, कुछ की जमकर हो रही चांदी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jun, 2018 12:07 PM

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जिस दिन से सिविल व पुलिस प्रशासन ने शहर के ट्रैवल कारोबारियों के खिलाफ चैकिंग अभियान शुरू किया है, उस दिन से इस ट्रेड से संबंधित हर व्यक्ति के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ चुकी है।

जालंधर(अमित): जिस दिन से सिविल व पुलिस प्रशासन ने शहर के ट्रैवल कारोबारियों के खिलाफ चैकिंग अभियान शुरू किया है, उस दिन से इस ट्रेड से संबंधित हर व्यक्ति के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ चुकी है। 
 

इससे जहां कुछ लोग परेशान हो रहे हैं, वहीं कुछ की जमकर चांदी हो रही है। जिन कारोबारियों को लाइसैंस मिल चुके हैं, वे बड़ी शान से अपना-अपना दफ्तर खोलकर बैठे हैं और बिजनैस कर रहे हैं, मगर जिनको किसी कारणवश लाइसैंस नहीं मिला है, वे सुबह से लेकर शाम तक या तो डी.सी. दफ्तर/ तहसील/ कमिश्नर पुलिस या फिर अलग-अलग थानों के चक्कर लगाकर अपने आवेदन को जल्द प्रोसैस करवाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।

पैंडिंग पड़े आवेदनों में सबसे अहम दस्तावेज जिसकी कमी पाई जा रही है, वह है रजिस्टर्ड रैंट-डीड, जिसकी गैर-मौजूदगी में लाइसैंस आवेदन फाइल या रिजैक्ट किए जा रहे हैं। गौर हो कि प्रशासन द्वारा कुछ समय पहले लगभग 152 आवेदन फाइल किए गए थे जिनमें से अधिकतर के साथ रजिस्टर्ड रैंट-डीड नहीं लगी हुई थी। इसी रजिस्टर्ड रैंट-डीड के नाम पर इन दिनों तहसील में खूब लूट मची हुई है। कुछ लालची किस्म के वसीका नवीस अधिकारियों के नाम पर मोटी राशि वसूल रहे हैं। 

क्या है मामला, कैसे हो रही है लूट?
रजिस्टर्ड रैंट-डीड को अपने आवेदन में लगवाने के लिए ट्रैवल कारोबारी तहसील में बैठे वसीका नवीसों के पास पहुंच रहे हैं जहां कुछ लालची किस्म के वसीका नवीस उनकी मजबूरी का लाभ उठाते हुए अधिकारियों के नाम पर उनसे मोटी राशि वसूल रहे हैं। काम न रुके, इसके चलते कारोबारी मुंहमांगी राशि दे रहे हैं।  एक रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाने के बदले 2 से 5 हजार रुपए तहसीलदार की फीस कहकर वसूले जा रहे हैं, जबकि आमतौर इसके लिए तहसीलदार के पास एक भी पैसा नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं, सरकारी फीस भी अधिक वसूली जा रही है। नंबरदार के नाम पर भी 1 से 2 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो तहसील में काम करने वाले एक वसीका नवीस ने शुक्रवार को 3-4 रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाई और उसने प्रत्येक डीड के बदले में 10 से 15 हजार रुपए वसूले और कारोबारियों को अधिकारियों का नाम लेकर मोटी चपत लगाई।

क्या है रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाने के लिए सरकारी फीस?
नियमानुसार किसी भी रैंट-डीड को रजिस्टर्ड करवाते समय सालाना किराए को जोड़कर 5 साल से गुणा कर उसकी औसत निकाली जाती है, जिसके पश्चात औसत किराए पर बनती सरकारी फीस वसूली जाती है। 1 से 10 साल के लिए रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाने पर 3 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी और 1 प्रतिशत सरकारी फीस ली जाती है, जबकि 10 साल से अधिक के लिए यह फीस 7 प्रतिशत हो जाती है (6 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी व 1 प्रतिशत फीस)। इसके अलावा रैंट-डीड में दर्शाई जाने वाली सिक्योरिटी राशि पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप-ड्यूटी भी वसूली जाती है। 

4 दिन में 100 रैंट-डीड हुईं रजिस्टर्ड, गिनती में हुआ अप्रत्याशित इजाफा
पिछले एक हफ्ते से तहसील-1 और 2 में रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाने वालों की गिनती में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है। जहां पहले पूरे महीने में गिनती की रैंट-डीड रजिस्टर्ड हुआ करती थी, वहीं अब यह गिनती सैंकड़ा तक पार करने लगी है। 5 जून को हड़ताल खुलने के बाद केवल 4 दिन के अंदर तहसील-1 और 2 दोनों में दर्ज हुई रैंट-डीड की गिनती 100 से ऊपर है। तहसील-1 में सबसे अधिक 93 रैंट-डीड रजिस्टर्ड हुई, जबकि तहसील-2 में केवल 3 रैंट-डीड रजिस्टर्ड करवाई गई।
 

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