Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Feb, 2018 10:32 AM
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के लिए लाई गई भावांतर भुगतान योजना को एक बड़े चुनावी दाव की तरह आगे बढ़ा रही है। इसके लिए वे तमाम हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो अमूमन चुनावी फायदे के लिए सरकारें अपनाती ही हैं। मसलन, योजना का भरपूर...
जालंधर(पाहवा): मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के लिए लाई गई भावांतर भुगतान योजना को एक बड़े चुनावी दाव की तरह आगे बढ़ा रही है। इसके लिए वे तमाम हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो अमूमन चुनावी फायदे के लिए सरकारें अपनाती ही हैं। मसलन, योजना का भरपूर प्रचार-प्रसार करना, बहुसंख्यक मतदाता वर्ग को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ऐसे संकेत-संदेश देना कि इस योजना से उनको कितना भारी लाभ होना है और यह भी ख्याल रखना कि सरकारी खजाने पर कोई ज्यादा भार भी न आए क्योंकि लोक लुभावन घोषणाएं अक्सर सरकारी खजाने की हालत पतली कर ही देती हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।
योजना सवालों के घेरे में
हालांकि इस प्रचार-प्रसार के बावजूद भावांतर योजना सवालों के घेरे में है। यह योजना किसान नेताओं के साथ-साथ विपक्षी दलों के भी निशाने पर है। कुछ किसान नेता इस योजना को ‘भाजपा के इलैक्शन-कलैक्शन का जरिया’ तक कहने में संकोच नहीं करते। इन नेताओं का कहना है कि पिछले साल भाजपा को उसकी अपनी नीतियों से दोहरा झटका लगा था। पहला रा’य की कृषि विकास दर में वृद्धि के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है इसलिए मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन ङ्क्षहसक हुआ।
किसानों का पैसा किसानों को ही
किसान नेताओं के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार ने भावांतर योजना के लिए कोई अलग से फंड का इंतजाम भी नहीं किया है बल्कि मंडी टैक्स से वसूला गया पैसा ही भावांतर के भुगतान के तौर पर बांटा जा रहा है। मध्य प्रदेश कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि मंडी टैक्स से मिले राजस्व पर मंडी बोर्ड का अधिकार होता है। वह इस रकम को कृषि उपज मंडियों में विकास और उन्नत व्यवस्थाओं पर खर्च करता है लेकिन अभी चूंकि रा’य सरकार के पास बजट की किल्लत है इसलिए भावांतर के तहत हो रहे भुगतान के लिए मंडी टैक्स का पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार ने यह निर्णय मंडी बोर्ड की सहमति से लिया है। साथ ही बोर्ड को यह आश्वासन दिया गया है कि इस योजना के लिए केंद्र से वित्तीय मदद मिलते ही यह पैसा उसे लौटा दिया जाएगा। यहां बताते चलें कि मंडी टैक्स की वसूली मंडियों में आने वाले किसानों और कृषि उपजों के व्यापारियों से ही की जाती है।
भावांतर भुगतान योजना बिना हींग-फिटकरी चोखा रंग की तर्ज पर चलाई जा रही
मध्य प्रदेश सरकार भावांतर भुगतान योजना को ‘हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा’ की तर्ज पर चला रही है। तमाम प्रचार-प्रसार के बावजूद भावांतर के प्रति किसानों की दिलचस्पी उतनी नहीं जितनी कि अपेक्षा की जा रही थी। खबरों की मानें तो राज्य के लगभग 16 लाख किसानों ने ही भावांतर के तहत पंजीयन कराया है। हालांकि कुछ अन्य खबरें पंजीकृत किसानों की संख्या 23 लाख भी बताती हैं। ये आंकड़े चूंकि अक्तूबर के हैं इसलिए माना जा सकता है कि बाद के दो-तीन महीनों में यह तादाद बढ़ी ही होगी।
भाजपा बता रही गेम चेंजर स्कीम
भारतीय जनता पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि भावांतर योजना मध्य प्रदेश में किसानों के लिए बड़ी राहत देने वाली स्कीम है तथा भाजपा के लिए यह गेम चेंजर स्कीम है। भाजपा नेताओं का कहना है कि 14 वर्ष से शिवराज चौहान की सरकार मध्य प्रदेश में है। यह सरकार आगे भी चलती रहेगी। कांग्रेस के संभावित सी.एम. उम्मीदवार सिंधिया को चौहान के सामने कमजोर करार देने के लिए भी अभियान चलाया जाने की तैयारी की जा रही है।