Edited By Updated: 30 Jan, 2016 02:22 PM

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की रहस्यमयी समाधी की गाथा आज से ठीक 2 साल पहले शुरू हुई।
नूरमहल : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की रहस्यमयी समाधी की गाथा आज से ठीक 2 साल पहले शुरू हुई। 28 जनवरी, 2014 की रात अचानक नूरमहल आश्रम से महाराज की मौत की ख़बर आई। सुबह होने तक आश्रम के प्रबंधकों ने उनकी मौत की ख़बर को नकारते हुए उनके गहरी समाधी में होने का दावा किया।
खबर फैलने पर लोगों का तांता लगना शुरु हो गया। आश्रम में बहुत कुछ ऐसा हो रहा था जिस कारण लोगों के मन में इस समाधी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे थे। सुबह होते ही आश्रम में नज़दीक बाबा भूतनाथ मंदिर से डैड वॉडी संभालने वाले 2 फ्रीजर मंगवाए गए। इस पर भी आश्रम के लोगों ने तर्क दिया कि आशुतोष गहरी समाधी में लीन हैं और उनके शरीर को संभाल कर रखने के लिए फ्रीजर में रखा गया है।
आशुतोष की समाधी की ख़बर आते ही पूरन सिंह नाम का शख्स सामने आया। पूरन ने ख़ुद को आशुतोष का पूर्व चालक बताया और आश्रम के लोगों पर आशुतोष को बंदी बना कर रखने का अारोप लगाते हाईकोर्ट पहुंचा। पूरन के दावे मुताबिक वह 1988 से 1992 तक आशुतोष का चालक रहा। पूरन ने दावा किया कि आश्रम के पास करोड़ों की जायदाद है जिसके लालच में ही आश्रम के लोगों ने समाधी का नाटक रचा। पूरन ने अदालत में दायर पटीशन द्वारा मामले की सच्चाई सामने लाने की गुहार लगाई।
हाईकोर्ट ने पूरन सिंह की पटीशन पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते मामले पर जवाब मांगा। सरकार ने आश्रम के डाक्टर की रिपोर्ट के आधार पर आशुतोष को क्लीनिकली डैड्ड बताते हाईकोर्ट में जवाब दायर किया। कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट के साथ सहमत होते आशुतोष को क्लीनिकली डैड् माना और आशुतोष को बंधक बनाने वाली पूरन सिंह की पटीशन को ख़ारिज कर दिया।
पहली पटीशन ख़ारिज होने के बाद में पूरन ने हाईकोर्ट में एक और पटीशन दायर की जिसमें मांग की गई कि यदि आशुतोष की मौत हो चुकी है तो उसका पोस्टमाटम करवाया जाए और मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए मामले की जांच सी.बी.आई. हवाले की जाए।इस दौरान आशुतोष के साथ जुड़ा एक ऐसा राज़ सामने आया जिस ने हर किसी को चौंका कर रख दिया। दलीप कुमार नामक एक शख्स और उसका पूरा परिवार सामने आया। दलीप ने ख़ुद को आशुतोष महाराज का बेटा होने का दावा किया और साथ ही दलीप के परिवार ने आशुतोष का मृतक शरीर उनको सौंपने की मांग की। दलीप की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की इस पटीशन के साथ कई अहम सबूत भी पेश किए गए।
दायर की पटीशनों पर सुनवाई करते हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 1 दिसंबर 2014 को दिए एक फ़ैसले में 15 दिन अंदर आशुतोष का अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया। आदेश मुताबिक अंतिम संस्कार पंजाब सरकार की एक समिति की तरफ से किया जाना था। हाईकोर्ट के जज एम.एस. बेदी की तरफ से दिए फ़ैसले में कहा गया कि आशुतोष की देह को अंतिम दर्शनों के लिए पूरे सम्मान के साथ रखा जाये जिससे उनके परिवार के लोग, रिश्तेदार और समर्थक आखिरी दर्शन कर सकें परन्तु पंजाब सरकार ने राज्य में हालात बिगड़ने की शंका जताते इस फ़ैसले पर अमल करने से पल्ला झाड़ दिया। इस दौरान पंजाब सरकार, आश्रम और दलीप झा की तरफ से हाईकोर्ट में अपनी -अपनी पटीशन दायर की गई।
हाईकोर्ट में दायर पटीशन में आश्रम ने पहले वाला दावा दोहराया कि महाराज गहरी समाधी में हैं और किसी समय पर भी वापस आ सकते हैं। उधर दलीप ने अपनी पटीशन में फिर दावा किया कि वह आशुतोष का बेटा है, उसका डी.एन.ए. टैस्ट करवाया जाए और लाश उनको सौंपी जाए जिससे वह गांव ले जा कर रीति रिवाज़ मुताबिक अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकें। इन पटीशनों पर हाईकोर्ट की तरफ से इकट्ठे सुनवाई की जा रही है। मामलो की आगे वाली सुनवाई 24 फरवरी 2016 को होगी।
परिवार के दावो के बावजूद आश्रम ने आशुतोष के ही महेश कुमार झा होने से साफ इन्कार कर दिया परन्तु यदि वह महेश झा नहीं हैं तो कौन हैं? और वह कहां से आए थे? इस सवाल का जवाब आज तक आश्रम के लोगों के पास नहीं है। ऐसे में 2 साल से चल रही इस समाधी का राज़ कब खुलेगा? और कब इस रहस्यमयी समाधी का सत्य लोगों सामने आयेगा? कहना मुश्किल है।