सभी पार्टी पार्षदों ने मांगा इस्तीफा; अलग-थलग पड़े मेयर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 11:49 AM

municipal corporation bathinda

नगर निगम बठिंडा में मेयर को लेकर हलचल पैदा हो चुकी है। कांग्रेस के साथ आजाद व उन्हीं की पार्टी अकाली दल ने भी मेयर से इस्तीफे की मांग की जबकि मेयर ने कहा कि यह सब नगर निगम को तोडऩे की कांग्रेस की साजिश है। बुधवार को नगर निगम की आम बैठक मेयर बलवंत...

बठिंडा(विजय): नगर निगम बठिंडा में मेयर को लेकर हलचल पैदा हो चुकी है। कांग्रेस के साथ आजाद व उन्हीं की पार्टी अकाली दल ने भी मेयर से इस्तीफे की मांग की जबकि मेयर ने कहा कि यह सब नगर निगम को तोडऩे की कांग्रेस की साजिश है। बुधवार को नगर निगम की आम बैठक मेयर बलवंत राय नाथ की अध्यक्षता में हुई जिसमें काफी शोर उठा और पार्षद जमीन पर बैठ कर मेयर के इस्तीफे की मांग करने लगे।

अकाली दल के पार्षद संतोष महंत ने जमकर मेयर को कोसा और कई आरोप भी लगाए, यहां तक कि उन्होंने कुछ मामलों में जांच की मांग उठाई जिनमें घपले की आशंका है। उसका साथ देने के लिए उन्हीं की पार्टी के कई पार्षद भी शामिल हुए। इससे पहले अकाली दल के ही त्रिलोक सिंह पार्षद सुखबिदर कौर, पार्षद प्रियंका गोयल भी इस्तीफे की मांग कर चुके हैं। उनका कहना था कि मेयर केवल कांग्रेस पार्षदों की ही सुनते हैं, उन्हीं के वार्डों में काम करवा रहे हैं। आजाद पार्षद गुरमीत कौर के अलावा कुछ अन्य पार्षदों ने भी इस्तीफे की मांग उठाई। कांग्रेस पार्षद ने तो इस्तीफे को लेकर नगर निगम की कोई बैठक न करने की धमकी तक दे डाली और इस्तीफा मांगते हुए वाकआऊट भी कर गए। मेयर के खास पार्षद जो एफ. एंड सी.सी. के सदस्य हैं जिनमें अकाली नेता मास्टर हरमिन्द्र सिंह, निर्मल सिंह संधू भाजपा के वरिष्ठ डिप्टी मेयर तरसेम गोयल, डिप्टी मेयर गुरबिन्द्र कौर मांगट जनरल हाऊस बैठक से अचानक गायब रहीं। सभी ने नदारद रहने का कोई न कोई बहाना ढूंढ रखा था जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसे में बठिंडा नगर निगम के मेयर अलग-थलग पड़े नजर आ रहे हैं। 

अकाली पार्षदों ने कुछ दिन पहले पूर्व विधायक व अकाली नेता स्वरूप चंद्र सिंगला से गुप्त व लम्बी बैठक की जिसमें मेयर पर कई प्रकार के आरोप भी लगाए। इन पार्षदों ने सिंगला को बताया कि मेयर आजकल उनकी कोई बात नहीं सुनते, उनका झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ता जा रहा है। यह बात केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के कानों तक भी पहुंच चुकी है और उन्होंने मेयर को तगड़े होने की थापी भी दी थी। बीबा बादल मेयर को दलितों का एक बड़ा वोट बैंक समझते हैं, इसलिए वह मेयर नाथ को किसी भी कीमत पर हाथ से जाने देना नहीं चाहतीं। मेयर नाथ की राजनीतिक शुरूआत कांग्रेस से हुई थी, वह कांग्रेस के पार्षद और पूर्व वित्त मंत्री सुरेन्द्र सिंगला के चहेते भी रहे। कांग्रेस को उन पर भरोसा था और उम्मीद भी थी कि आगे चलकर कांग्रेस की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं लेकिन सरकार बदली, अकाली दल ने सत्ता संभाली तो जम्प मार कर वह सुखबीर बादल के साथ चले गए और उन्होंने ही स्वरूप सिंगला के कहने पर मेयर का पद दिया। 

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