‘शराबबंदी’ के लिए महिलाएं आगे आईं परंतु प्रशासन उदासीन!

Edited By Updated: 29 Mar, 2017 12:44 AM

women came forward for alcoholism but administration was indifferent

शराब के सेवन से लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, अनीमिया, गठिया.....

शराब के सेवन से लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, अनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, हृदय रोग आदि का होना आम बात है परंतु इसके बावजूद देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। न सिर्फ बड़ी संख्या में देश की जवानी को नशों का घुन खोखला कर रहा है बल्कि महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं व बच्चे अनाथ हो रहे हैं। होशो-हवास में होने पर व्यक्ति जो अपराध करने से पहले 10 बार सोचता है नशे में वही अपराध बिना सोचे-समझे पलक झपकते ही कर डालता है। 

गृहस्थ तथा पारिवारिक जीवन पर पडऩे वाले शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही बिहार सरकार ने राज्य में गत वर्ष शराबबंदी लागू की जिससे वहां अपराधों में कमी आई है और अब राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि में विशेषत: महिलाओं ने इसके विरुद्ध अभियान छेड़ दिया है। न सिर्फ इन राज्यों में अनेक स्थानों और शराब के ठेकों पर शराबबंदी को लेकर धरनों-प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है बल्कि शराब माफिया को भी अपना कारोबार बंद करने के लिए ये महिलाएं अल्टीमेटम दे रही हैं।

शराबबंदी की मांग को आगे बढ़ाते हुए  25 मार्च को हरियाणा के सोनीपत जिले के गांवडी गांव में महिलाओं के एक समूह ने सरकारी स्कूल के निकट चल रहे देसी शराब के ठेके के अंदर से शराब की पेटियां निकाल कर उन्हें सड़क पर फैंक कर ठेके को ताला लगा दिया। उन्होंने शराब की बोतलों को आग के हवाले करने के अलावा ठेके के आसपास घूमने और सड़क पर बिखरी शराब की बोतलों को उठाने की कोशिश करने वाले नशेडिय़ों को भी बुरी तरह से पीटा। 

महिलाओं का आरोप है कि शराब के ठेकेदार ने गांव में राशन की दुकान वालों से भी सांठगांठ करके सभी दुकानों पर शराब बिकवानी शुरू कर दी है। उनके परिवारों के पुरुष सदस्यों द्वारा अनाज के बदले में दुकानदारों से शराब लेकर पीनी शुरू कर देने के कारण उनका परिवार तबाह हो रहा है। इस मौके पर एक महिला का कहना था कि उसके पास बच्चों की स्कूल की फीस देने या दवाई लेने के लिए पैसे नहीं हैं परंतु उसका पति सारा पैसा शराब पर बर्बाद कर देता है। एक अन्य महिला ने कहा कि जब भी उसका पति शराब पीकर आता है तो वह उससे तथा अपनी बेटी से दुव्र्यवहार करता है। 

जहां महिलाओं में शराब के प्रति इस प्रकार की भावनाएं तेज हो रही हैं तो वहीं कुछ राज्यों की पंचायतें भी संबंधित अधिकारियों को अपने इलाकों में शराब के ठेके न खोलने के प्रस्ताव पारित करके भेज रही हैं परंतु अनेक अधिकारी इस पर सकारात्मक रवैया नहीं अपना रहे। इसका प्रमाण उस समय मिला जब हरियाणा में करनाल जिले की 14 ग्राम पंचायतों द्वारा शराब के ठेके बंद करने संबंधी भेजे गए प्रस्तावों को प्रशासन ने रद्द कर दिया जिसके विरुद्ध इन पंचायतों में रोष भड़क उठा है। 

एक ओर तो प्रशासन पंचायतों को शराबबंदी के संबंध में प्रस्ताव भेजने के लिए कह रहा है और दूसरी ओर इसने 14 ग्राम पंचायतों के शराबबंदी संबंधी प्रस्ताव रद्द करके अपने नकारात्मक दृष्टिïकोण का परिचय दिया है। अत: यदि अधिकारियों का शराबबंदी के प्रति इसी प्रकार का उपेक्षापूर्ण रवैया जारी रहा तब तो शराब और अन्य नशों से मुक्त भारत देखने का राष्टï्रपिता महात्मा गांधी का सपना पूरा हो ही नहीं सकता। 

बेशक शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए विभिन्न राज्यों की सरकारें शराबबंदी की बात तो करती रहती हैं परंतु शराब की बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना भी नहीं चाहतीं। लेकिन यदि बिहार सरकार राजस्व की परवाह किए बिना राज्य में सफलतापूर्वक शराबबंदी लागू कर सकती है तो अन्य राज्यों की सरकारें क्यों नहींं क्योंकि शराबबंदी से होने वाली राजस्व की क्षति तो आय के अन्य साधन जुटा कर भी पूरी की जा सकती है।  —विजय कुमार 

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