विधानसभा चुनाव में पंथक वोट बैंक किस तरफ जाएगा, यह इस समय का बड़ा सवाल

Edited By Sunita sarangal,Updated: 13 Oct, 2021 11:46 AM

which way will the panthak vote bank go in the assembly elections

पंजाब में, सभी वर्गों का हिंदू-सिख-मुस्लिम-ईसाई वोट बैंक महत्वपूर्ण है और किसी भी राजनीतिक दल के प्रति एक समुदाय का झुकाव जीत की ओर ले जा सकता है और दूसरा राजनीतिक दल हार का आनंद ले सकता है।

अमृतसर: पंजाब में, सभी वर्गों का हिंदू-सिख-मुस्लिम-ईसाई वोट बैंक महत्वपूर्ण है और किसी भी राजनीतिक दल के प्रति एक समुदाय का झुकाव जीत की ओर ले जा सकता है और दूसरा राजनीतिक दल हार का आनंद ले सकता है। पंजाब में, सिख, विशेष रूप से पंथिक वोट बैंक, हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हुए सर्वोपरि हैं। समय-समय पर यह वोट बैंक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के खेमे में आता-जाता रहता है। सरकार द्वारा मांगे गए वादों को पूरा नहीं करने पर वोट बैंक का दूसरी पार्टी में जाना स्वाभाविक है।

पंथक वोट बैंक ने 2012 के पंजाब चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच गठबंधन था और तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल-भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल ने कुछ चुनावी वादे किए थे जिससे पंथक वोट बैंक प्रभावित हुआ। पंथक वोट बैंक का मतलब पंजाब में सिख समुदाय का वोट बैंक है, जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल हैं। यह वोट बैंक अक्सर अकाली दल के पक्ष में रहा है और समय-समय पर अकाली दल के लिए वोट चेंजर भी रहा है।

पंजाब में पंथक वोट बैंक ने 2017 के चुनाव से पहले अपना रुख बदल लिया तथा यह वोट बैंक कांग्रेस के हाथ में गया। उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और कैप्टन पंथक वोट जीतने में सफल रहे। इसका एक बड़ा कारण बेअदबी कांड था जिससे वोट बैंक को ठेस पहुंची थी और उस समय कैप्टन ने राज्य की जनता से इस कांड पर सख्त कार्रवाई करने का वादा किया था। हालांकि अभी तक खुद कांग्रेस के लोग इस मामले में कैप्टन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं।

पंजाब में पंथक वोट बैंक 2022 के चुनाव में किस तरफ जाएगा, यह इस समय का बड़ा सवाल है। राज्य में कैप्टन से नाराज वोट बैंक वापस अकाली दल में जाएगा, इस बात को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह पिछले कुछ समय में पंथक मामले को उठाया है उससे संभावना प्रगट की जा सकती है कि यह वोट बैंक फिर कांग्रेस के पक्ष में होगा। यह तभी संभव होगा, जब इन 3 महीनों में सिद्धू अपनी जिद छोड़ दें और प्राथमिकता के आधार पर इन मुद्दों को सुलझाएं, नहीं तो यह वोट बैंक अकाली दल से आकर कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकता है, तो यह निराशा में तीसरे खेमे में भी जा सकता है।
 

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