Punjab : भीषण गर्मी में पुलिस कर्मचारियों की मनमानी, खड़े हो रहे बड़े सवाल

Edited By Urmila,Updated: 16 Jun, 2025 02:09 PM

arbitrariness of police personnel in scorching heat

पुलिस के उच्च-अधिकारी हमेशा ही जनता के हितों का ख्याल रखते हैं, लेकिन निचले वर्ग के कर्मी ज्यादातर अपने ‘हितों का ख्याल’ रखते हैं।

अमृतसर (इन्द्रजीत): पुलिस के उच्च-अधिकारी हमेशा ही जनता के हितों का ख्याल रखते हैं, लेकिन निचले वर्ग के कर्मी ज्यादातर अपने ‘हितों का ख्याल’ रखते हैं। यदि कोई कहना न माने तो "कानून का डंडा" दिखा दिया। उधर, अपने लोगों द्वारा कोताही करने के बावजूद भी कोई आदेश नहीं हैं। वहीं कई कर्मचारियों द्वारा इन ‘अपने’ लोगों को कानून तोड़ने के लिए खुला हाथ दिया जाता है।

ऐसी ही मिसाल अमृतसर के शेरां वाला गेट और घी मंडी चौक का है। यहां से श्री दरबार साहब की तरफ 2 रास्ते जाते हैं। पुलिस प्रशासन की तरफ से यहां पर भारी वाहनों के लिए दिन के समय प्रवेश निषेध (नो-एंट्री) होता है। वहीं छोटे वाहन जो वहां के 2 बाजारों में ट्रांसपोर्टरों के बुकिंग ऑफिस पर आवागमन करते हैं। उधर, नाके पर खड़े पुलिसकर्मी उन वाहनों को अंदर जाने से रोकते हैं, जो वहां पर मात्र 100-150 मीटर अंदर तक ट्रांस्पोर्टरों के बुकिंग ऑफिस पर जाते हैं। यहां पर पहले कभी भी छोटे वाहनों के लिए प्रवेश बंद नहीं किया गया है। ट्रांसपोर्ट पर माल बुक करवाने वाले व्यापारियों का कहना है कि यदि इस पुराने ट्रांसपोर्ट नगर की मार्केटों का नुक्सान हुआ तो व्यापार भी चौपट हो जाएगा। इस संबंध में व्यापारी जी.एस.टी. विभाग के उच्च-अधिकारियों को भी शिकायत करेंगे, क्योंकि इससे सरकार का रेवेन्यू प्रभावित होता है।

कंधों पर उठवातें हैं मजदूरों से, सामान से भरे माल के नग

सड़क के बाहर एंट्रेंस पर खड़े पुलिस कर्मचारी सामान बुक करने वाले छोटे वाहनों को रोक लेते हैं और कहते हैं कि वाहन अंदर नहीं जा सकता। यदि सामान बुक करना है तो वाहन चालक सामान अपने कंधों पर उठाकर अंदर ले जाएं। अब यदि कोई पुलिस कर्मियों से पूछे कि अगर सामान कंधों पर लादकर ले जाया जा सकता है तो खाली वाहन में क्या दिक्कत है? यदि किसी व्यक्ति ने आपत्तिजनक सामान ले जाना है तो, वह बंद हुए नग के अंदर भी ले जा सकता है। बड़ी बात है कि यदि छोटा वाहन इस सड़क पर सामान अनलोड/लोड करके आवागमन करता है तो भी इसमें 2 या 3 मिनट से अधिक नहीं लगते। उधर, यदि समान को कंधे पर उठाकर 100 से 150 मीटर दूरी पर ले जाया जाए तो इसमें समय भी अधिक लगता है और शिखर दोपहर की भीषण गर्मी के दिनों में मजदूर की जान को खतरा हो सकता है।

amritsar police

आवागमन के लिए उच्चाधिकारी के इंस्ट्रक्शन का कोई बोर्ड नहीं है!

इस मामले में पुलिस कर्मी रुकावट इसलिए डालते हैं कि केवल उनकी ‘बात’ मान ली जाए। संबंधित लोगों का कहना है कि यदि इन खुली-चौड़ी सड़कों पर जाने के लिए वाहनों के लिए कोई इंस्ट्रक्शन/निर्देश है तो इसके लिए उच्चाधिकारी द्वारा जारी आदेश का बोर्ड लगाया जाए। कर्मचारियों की इन हरकतों से इस क्षेत्र के ट्रांसपोर्टर बेहद परेशान हैं। इनका कहना है कि ट्रांस्पोर्टरों के कार्यालय माप दंड के अनुसार बने हैं और छोटे वाहन के लिए इस चौड़ी सड़कों पर कोई मुश्किल नहीं होती।

यह कहते हैं निकटवर्ती कारोबारी व रिहायशी लोग

स्थानीय कारोबारी स्वामी पवन कुमार साईं-कुल्लियां वाले ने कहा कि यहां सड़कें इतनी खुली हैं कि पांच ट्रक एक साथ गुज़र सकते हैं। वही इतनी खुली सड़क पर तीन या चार फीट चौड़े वाहन को 100 मीटर अंदर तक क्यों नहीं जाने दिया जाता? यह रहस्य का विषय है, जबकि धार्मिक स्थान वहां से 750 मीटर की दूरी पर है। इन कर्मचारियों की हठधर्मी के कारण इतनी गर्मी में कंधे पर 100 किलो वजन का नग उठाकर गरीब मजदूर लोग रोजी-रोटी के लिए यह जुल्म सह रहे हैं। उधर यहां के निकट रहने वाले लोग भी अपने घरों पर जाने के लिए परेशान होते हैं।

उच्चाधिकारी के नेतृत्व में की जाए ट्रांसपोर्टरों से वार्तालाप : यूनियन नेता

ट्रांसपोर्ट वैल्फेयर एसोसिएशन ने कहा कि अमृतसर के ट्रैफिक इंचार्ज मैडम अमनदीप कौर एक योग्य और ईमानदार अधिकारी हैं, लेकिन नीचे वाले कर्मचारी उच्चाधिकारियों का नाम लेकर उनकी छवि को खराब करते हैं। ट्रांसपोर्टर और कर्मचारियों को आमने-सामने बिठाकर निर्णय लिया जाए तो सारी बात सामने आ जाएगी। 100 मीटर की दूरी तक छोटे वाहनों को लोडिंग-अनलोडिंग की अनुमति दी जाए, अन्यथा ट्रांसपोर्टर सामूहिक तौर पर संघर्ष पर मजबूर होंगे। ट्रांसपोर्ट वैल्फेयर एसोसिएशन के चेयरमैन संजीव माकन, प्रधान राजेश शूर, सैक्रेटरी अनंत चावला और अन्य सदस्यों ने एक बयान में कहा है कि अन्याय किसी के साथ नहीं होना चाहिए। कारोबारी अपना काम भी करें और सुरक्षा बलों को भी दिक्कत न आए। वहीं इस प्रकार के कर्मचारी अपने लालच में जो जनता का नुक्सान करते हैं, उसे बंद किया जाए। घी मंडी, शेरावाली गेट के अंदर 100 वर्ष से अधिक पुरानी ट्रांसपोर्ट हैं, जो वर्षों से कारोबार कर रही है लेकिन इस आवागमन के गलत तौर पर रुकने के कारण ट्रांसपोर्टरों पर संकट आया है।

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