Edited By Sunita sarangal,Updated: 11 Jun, 2023 09:23 AM

पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद लोगों को राहत देने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पूरी सख्ती करते हुए कई सड़कों पर......
चंडीगढ़: पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद लोगों को राहत देने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पूरी सख्ती करते हुए कई सड़कों पर लगे हुए टोल नाके बंद करवाए हैं लेकिन उसके बावजूद राज्य में पड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अभी भी टोल नाके मौजूद हैं।
ऐसे टोल नाकों पर फीस भी मोटी वसूली जाती है, जिससे सिंचाई विभाग के अधिकारी काफी परेशानी में हैं। सरकार द्वारा अवैध माइनिंग रोकने, नहरों के आखिरी सिरे तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने जैसी योजनाओं के लिए लगातार चल रहे कार्यों के दबाव की वजह से डिप्टी कलैक्टर से लेकर एक्स.ई.एन. तक के अधिकारियों को रोजाना राज्य की सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कों पर सफर करना पड़ता है। काम की अधिकता के कारण ही कई अधिकारी सरकारी गाड़ियों के बजाए प्राइवेट गाड़ियों में सफर करते हैं, जिस कारण उन्हें सरकारी काम के वक्त भी टोल फीस देकर जेब हल्की करनी पड़ती है। पंजाब सरकार इन अधिकारियों को इस बोझ से छुटकारा दिलाने के प्रयास में है।
एन.एच.ए.आई. को लिखा टोल फीस से छूट के लिए पत्र
पंजाब सरकार के सिंचाई विभाग की तरफ से नैशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत करवाया गया है। विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जल स्रोत विभाग में तैनात एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स, सब डिवीजनल इंजीनियर्स, जूनियर इंजीनियर, जिलेदार, नहरी पटवारी और डिप्टी कलैक्टर स्तर के अधिकारियों को अपने कार्यों के लिए रोज ही विभिन्न जिलों में नहरों व अन्य जल संसाधनों की चैकिंग के लिए जाना पड़ता है। स्टेट हाईवेज के मामले में तो उन्हें टोल अदायगी से छूट मिल जाती है, लेकिन नैशनल हाईवेज पर पड़ने वाले टोल नाकों पर ऐसी सुविधा नहीं दी गई है। इससे सरकारी ड्यूटी पर होने के बावजूद इन अधिकारियों को टोल नाकों पर अपनी जेब से पैसे अदा करने पड़ते हैं। विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा एन.एच.ए.आई. को आग्रह किया गया है कि संबंधित टोल अथॉरिटीज को निर्देश दिए जाएं कि फील्ड ड्यूटी व कोर्ट सुनवाईयों के दौरान सरकारी कार्य के लिए जा रहे ऐसे अधिकारियों से टोल फीस की वसूली न की जाए।
चंडीगढ़ से पंजाब में जाती हरेक सड़क पर एन.एच.ए.आई. का टोल
विभाग में परेशानी इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि चंडीगढ़ में स्थित सिंचाई विभाग के मुख्यालय से शाहपुर कंडी डैम, नंगल डैम, भाखड़ा ब्यास डैम, हरीके पत्तन हैड वर्क्स, सरहिंद कनाल, राजस्थान फीडर या अन्य किसी भी दरिया या नहर से संबंधित कार्य के लिए जाना हो या किसी जिले में चल रही अदालती सुनवाई के लिए जाना हो, सभी सड़कों पर नैशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधीन आती सड़कों से ही गुजरना पड़ता है और तकरीबन इन सभी पर टोल नाके मौजूद हैं। यही कारण है कि विभाग के सभी अधिकारी विभाग से आग्रह कर रहे हैं कि या तो सरकारी गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जाए या फिर उन्हें सरकारी ड्यूटी के वक्त टोल फीस से छुटकारा दिलाया जाए।
कुछ अन्य विभागों के अधिकारियों को पहले से मिली हुई है सुविधा
नैशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा तय शर्तों के मुताबिक टोल प्लाजा पर पहले से ही कई तरह की कैटेगिरीज को टोल फीस से छूट हासिल है। इनमें पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमैंट भी शामिल हैं। आलम यह है कि अन्य विभागों के जिन भी अधिकारियों के साथ एक भी पुलिस मुलाजिम सुरक्षा के लिए तैनात रहता है, उन्हें किसी भी टोल पर कोई परेशानी नहीं होती। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों को डी.एस.पी. व उससे भी ऊपर के रैंक के बराबर पद होने के बावजूद ऐसी छूट नहीं दी जा रही है।
निर्देश जारी होने के बाद बचेगा वक्त और पैसा
पंजाब सरकार के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा लिखे गए पत्र के अनुरूप यदि एन.एच.ए.आई. द्वारा टोल प्लाजा को निर्देश जारी कर दिए जाते हैं तो इससे न सिर्फ सिंचाई विभाग के फील्ड ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों की जेब से खर्च होने वाला पैसा ही बचेगा, बल्कि टोल फीस अदा करने के लिए वाहनों की लंबी कतारों की वजह से लगने वाला समय भी बचेगा। निर्देश जारी होने के बाद सरकारी ड्यूटी वाले वाहनों व एंबुलैंस के लिए टोल नाकों पर बने हुए अलग रास्तों से ही इन अधिकारियों के वाहनों को पास कराया जाएगा।
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