Edited By Urmila,Updated: 26 Oct, 2024 05:34 PM
एफ.सी.आई. की टीम द्वारा की जाने वाली इस पड़ताल में एफ.सी.आई. कई मुलाजिमों और शैलर मालिकों पर बड़ी गाज गिरने की संभावना बनी हुई है।
धूरी (जैन): जिला संगरूर से एफ.सी.आई. की स्पैशलों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में गए चावलों के 19 में से 15 सैंपल फेल होने से केन्द्र सरकार द्वारा जिला संगरूर के अधीन पड़ते समूह एफ.सी.आई. गोदामों में भंडार किए गए चावलों की जांच के आदेश जारी होने के बाद एफ.सी.आई. मुलाजिमों व शैलर मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है। यहीं नहीं अपितु विभाग को इस जांच की रिपोर्ट भी 15 दिनों के भीतर-भीतर भेजने के आदेश जारी किए गए हैं।
केन्द्र सरकार के मिनिस्टिरी आफ कंज्यूमर अफेयर, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन, भारत सरकार द्वारा एफ.सी.आई. के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरैक्टर को लिखे इस पत्र के बाद एफ.सी.आई. के मुलाजिमों और शैलर मालिकों की नींद हराम हो गई है, क्योंकि एफ.सी.आई. की टीम द्वारा की जाने वाली इस पड़ताल में एफ.सी.आई. कई मुलाजिमों और शैलर मालिकों पर बड़ी गाज गिरने की संभावना बनी हुई है।
इस संबंधी बात करते हुए ऑल इंडिया एफ.सी.आई. एग्जिक्यूटिव स्टाफ यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतिंदर सिंह चट्ठा ने इन जांच के आदेशों को केन्द्र सरकार की धक्केशाही बताते हुए इसे एफ.सी.आई. मुलाजिमों और शैलर मालिकों से नाइंसाफी करार दिया है। उन्होंने बताया कि शैलर मालिकों से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार एफ.सी.आई. के गोदामों में करीब दो साल पहले वर्ष 2022-23 की फसल से संबंधित जो चावल भंडार किए गए थे, उसे 2024 में लगी स्पैशलों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया था, जिसकी क्वालिटी को एक राज्य द्वारा इंसानों के लिए न खाने योग्य बताते देते हुए इसे अयोग्य करार दिया गया है।
उन्होंने बताया कि एफ.आर.के. (फोर्टिफाइड राइस कैरनलस) चावल जिसको खनिजों व विटामिनों के मिश्रण से तैयार किया जाता है, को गोदामों में लंबे समय तक रखने से इसकी गुणवत्ता में फर्क पड़ना स्वभाविक ही है तथा गोदामों में स्टोर हुए इन चावलों को समय पर उठवाने की जिम्मेदारी एफ.सी.आई. व केन्द्र सरकार की बनती है। लंबे समय तक स्टोर किए गए इन चावलों के खराब होने की सूरत में इसका ठीकरा एफ.सी.आई. मुलाजिमों और शैलर मालिकों के सिर फोड़ना बेहद निंदनीय है।
उन्होंने बताया कि एफ.आर. के क्वालिटी के चावलों के सैंपलों को जितनी बार भी लैबोरटरी में चैक किया जाता है, हर बार इनके नतीजों व क्वालिटी रिपोर्ट में फर्क जरूर आता है। इससे यह बात प्रमाणित होती है कि लंबे समय तक भंड़ार कर रखे जाने से इन चावलों की क्वालिटी में गिरावट आती है।
चट्ठा ने कहा कि एफ.सी.आई. के इतिहास पर यदि नजर मारी जाए तो यह बात दावे से कही जा सकती है कि जब तक सामान्य चावल गोदामों में स्टोर किए जाते थे, तो कभी क्वालिटी में अंतर नहीं आया था। लेकिन जबसे एफ.आर. के चावल मिलाने शुरू हुए है, तब से यह फर्क आना शुरू हुआ है, जिसे कि तुरंत बंद किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एफ.आर.के. चावलों की मिलावट से जहां शैलर मालिकों को नुकसान सहना पड़ रहा है, वहीं इस गोरख धंधे का लाभ सरकार के महज कुछ चहेतों को जरूर मिल रहा है।
उन्होंने केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री से इस मामले का सार्थक हल ढूंढे जाने की अपील करते हुए कहा कि इस पड़ताल में बेकसूर एफ.सी.आई. मुलाजिमों और शैलर मालिकों को परेशान न किया जाए। उन्होंने चेतावनी भी दी कि यदि इस मामले में बिना वजह एफ.सी.आई. मुलाजिमों को परेशान किया गया, तो उनका संगठन मजबूरन संघर्ष का राह अख्तियार करने से भी गुरेज नहीं करेगा।
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