सुखबीर अपनी सरकार के समय बिजली दरों में बढ़ौतरी को लेकर खामोश क्यों रहे  : जाखड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Nov, 2017 09:23 AM

sukhbir was silent about the increase in power tariffs during his govt  jakhar

पंजाब कांग्रेस कमेटी ने आज शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल पर पुन: सियासी वार करते हुए कहा  कि सुखबीर अपने 10 वर्षों के शासनकालदौरान बिजली दरों में की गई भारी बढ़ौतरी को लेकर खामोश क्यों रहे।

जालन्धर  (धवन): पंजाब कांग्रेस कमेटी ने आज शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल पर पुन: सियासी वार करते हुए कहा  कि सुखबीर अपने 10 वर्षों के शासनकालदौरान बिजली दरों में की गई भारी बढ़ौतरी को लेकर खामोश क्यों रहे। उन्होंने 2009-10 से 2013-14 तक के कार्यकाल में बिजली दरों में हुई बढ़ौतरी के आंकड़े सार्वजनिक करते हुए कहा कि 2009-10 में पंजाब में अकाली सरकार के समय बिजली दरों में 12.42 प्रतिशत, 2010-11 में 7.58 प्रतिशत, 2011-12 में 9.19 प्रतिशत, 2012-13 में 12.08 प्रतिशत तथा 2013-14 में 9.06 प्रतिशत बढ़ौतरी हुई थी। कांग्रेस  इस समय बिजली दरों में हुई बढ़ौतरी को लेकर अकाली दल से जवाब मांगती है। उन्होंने कहा कि क्या सुखबीर इस बात का जवाब देंगे कि वह उदय स्कीम के तहत बिजली दरों में बढ़ौतरी को स्वीकार करते हैं या नहीं। अकाली दल को पंजाब के लोगों को गुमराह करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि सुखबीर को यह बात स्वीकार करनी चाहिए कि वह 2016-17 में बिजली दरों में 5 प्रतिशत तथा 2017-18 में 9 प्रतिशत बढ़ौतरी के लिए सहमत थे। मार्च 2016 में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ सुखबीर की उपस्थिति में उदय 
स्कीम पर हस्ताक्षर हुए थे। उन्होंने कहा कि एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर करने के मामले में सुखबीर लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि यह यू.पी.ए. सरकार के समय हुआ था, जबकि वास्तविकता यह है कि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। 

 


अकाली-भाजपा सरकार के समय पावर परचेज एग्रीमैंट (पी.पी.ए.) पर हस्ताक्षर हुए तथा महंगी बिजली दरों को लेकर सुखबीर ने अपनी सहमति दी। अकाली सरकार के समय थर्मल प्लांटों को ऊंची दरों पर भुगतान करने की अनुमति क्यों दी गई? उन्होंने कहा कि पूर्व अकाली सरकार ने थर्मल प्लांट लगाने की आड़ में प्राइवेट बिजली कम्पनियों को पंजाब की खुली लूट की मंजूरी दे दी थी, जिसकी अब मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा जांच करवाई जाएगी। इसी तरह से पूर्व सरकार के समय अदानियों से महंगा कोयला क्यों खरीदा गया? पूर्व सरकार ने 2015 के समझौते के तहत पछवाड़ा कोयला खान से कोयले का खनन क्यों नहीं शुरू किया? उन्होंने अकाली दल पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘भ_ पिया सोना जेहड़ा कन्नां नूं खावे’ अर्थात पूर्व सरकार ने प्राइवेट थर्मल प्लांटों में 30 हजार करोड़ का निवेश तो किया परन्तु उसका पंजाब को कोई लाभ नहीं है। 

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