नियमों का पाठ पढ़ाने वाले सिद्धू खुद विवादों में घिरे,जानें कहां कर दिया उल्लंघन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Sep, 2017 01:59 PM

sidhu who teaches lessons in rules is surrounded by controversy

कांग्रेस मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस दिन से पद संभाला है,किसी न किसी विवाद में फंसते नजर अाए।

चंडीगढ़ः कांग्रेस मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस दिन से पद संभाला है,किसी न किसी विवाद में फंसते नजर अाए। पहले विवाद  बिना बातचीत अधिकारियों को बर्खास्त करने को लेकर  था जिसके बाद इनका काफी विरोध भी हुअा था लेकिन अब वे कला परिषद चेयरमैन की नियुक्ति प्रक्रिया पर घिरते नजर अा रहे हैं।


दरअसल बीते माह उन्होंने परिषद का चेयरमैन चुनाव के बिना ही नियुक्त कर दिया है। नियमानुसार चेयरपर्सन या चेयरमैन की नियुक्ति की प्रक्रिया चुनाव के द्वारा होती है।


सिद्धू ने 22 अगस्त को प्रसिद्ध साहित्यकार सुरजीत पातर को कला परिषद  का चेयरमैन बनाने संबंधी नियुक्ति पत्र उनके आवास पर जाकर सौंपा था। साथ ही थियेटर से जुड़ी नीलम मान सिंह चौधरी को सदस्य बनाने संबंधी घोषणा की थी। परिषद के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व सचिव का चयन जनरल बॉडी द्वारा किया जाता है। 20 सदस्यीय जनरल बॉडी इसके लिए चुनाव की प्रक्रिया अपनाती है।

 

संविधान के अनुसार जनरल बॉडी में पंजाब साहित्य अकादमी, पंजाब ललित कला अकादमी, पंजाब संगीत नाटक अकादमी, वित्‍त सचिव, शिक्षा सचिव, संस्कृति विभाग के सचिव, पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी व गुरु नानकदेव यूनिवर्सिटी के कुलपतियों के अलावा परिषद द्वारा मनोनीत की गई छह सोसायटियों के छह सदस्यों के अलावा साहित्य व फाइन आर्ट्स तथा कल्चरल परफार्मिंग आर्ट्स एवं संगीत के क्षेत्र के छह सदस्य शामिल होते हैं।


 
कुल 29 सदस्यों द्वारा चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व सचिव के चुनाव किए जाते हैं। सिद्धू द्वारा सुरजीत पातर को चुनावी प्रक्रिया पूरी करवाए बिना ही नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद मामला गरमा गया है। इससे पहले परिषद की चेयरपरसन सतिंदर सत्ती की नियुक्ति अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में की गई थी।

 

नियमानुसार कार्यकाल पूरा किए बिना सरकार उक्त तीनों ही पदों पर चुने गए प्रतिनिधियों को हटा नहीं सकती है। अगर वे खुद ही इस्तीफा देकर चले जाएं तो दूसरी नियुक्ति हो सकती है।सिद्धू ने इस मामले में सत्ती या वाइस चेयरमैन सुरिंदर सिंह विरदी की जानकारी के बिना ही पातर को नियुक्ति पत्र सौंप दिया था। पातर का कद इतना बड़ा है कि पंजाब में कोई भी कलाकार उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचाने के बारे में नहीं सोच सकता है।

 

नतीजतन किसी ने भी खुलकर इसका विरोध नहीं किया, लेकिन मंत्री की लापरवाही का मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। हालांकि सिद्धू ने पूरे मामले की जानकारी होने के बाद डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है और यह बयान दे रहे हैं कि परिषद का दायरा बढ़ाना है। पंजाब की ज्यादा से ज्यादा शख्सियतों को परिषद के साथ जोड़ना है। सत्ती के मामले में भी सिद्धू यह कहकर करते हैं कि उन्हें युवाओं को मोटिवेट करने के लिए परिषद के साथ जोड़कर रखा जाएगा।

 

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