Edited By Urmila,Updated: 26 Jan, 2025 11:34 AM
देश भर में हमारे देश के शहीदों को याद करते 26 जनवरी गणतंत्र दिवस बड़े स्तर मनाया जाता है।
मोगा : जहां हमारे देश भर में हमारे देश के शहीदों को याद करते 26 जनवरी गणतंत्र दिवस बड़े स्तर मनाया जाता है तथा इस गणतंत्र दिवस पर उन्होंने सूरवीर योद्धों तथा स्वतंत्रता संग्रामियों को याद करते उनके परिवारों को जिला स्तर पर समागम करके भी सम्मानित किया जाता है तथा उनको सारी सुख सहूलियतें मुहैया करने के बड़े-बड़े दावे भी जिला स्तरीय समागमों में किए जाते हैं, लेकिन अफसोस की बात कि गांव डरोलीभाई के स्वतंत्रता का संग्रामी राष्ट्रीय शहीद जवाहर सिंह जिसको 1972 में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा तामर पत्र से सम्मानित किया गया था, लेकिन अफसोस की बात कि 58 साल जिला मोगा के किसी भी प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्रामी जवाहर सिंह के परिवार को जिला स्तरीय होने वाले समागमों के निमंत्रणपत्र से भी वंचित रखा।
तकरीबन तीन साल पहले मीडिया में खबर नश्र होने के बाद उस समय के जिला डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने परिवार के साथ राबता कायम करके परिवार को दोबारा से स्वतंत्रता संग्रामियों का निमंत्रण पत्र भेजकर जिला स्तरीय होने वाले समागमों में बुलाना शुरू किया। बता दें कि राष्ट्रीय शहीद जवाहर सिंह का परिवार आज सुख सहूलियतें लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। जवाहर सिंह के पारिवारिक मेंबर 80 वर्षीय बुजुर्ग माता महेन्द्र कौर ने बताया कि उनको सरकार द्वारा अभी तक कोई भी सहूलियत तक नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यदि हमारे परिवार को कोई सुख सहूलियत नहीं देनी, तो हमें 100 रुपए की लोई तथा लड्डुओं के डिब्बे की कोई भी जरूरत नहीं। आंखों में आंसू बहा रही माता ने कहा कि 58 सालों से वह जवाहर सिंह के कागज हाथ तथा तामर पत्र संभालकर रख रही है, लेकिन उसको संभालने के बावजूद भी उनके हाथ हमेशा निराशा ही रही है।
यहां तक कि जवाहर सिंह की पिता पुरखी जमीन पर भी धड़ल्ले दर कुछ व्यक्तियों द्वारा जब्री कब्जे किए हुए हैं, यही नहीं माता ने कहा कि अभी तक सरकार द्वारा उसकी स्वतंत्रता संग्रामी वाली पेंशन तक भी नहीं लगाई है। उन्होंने कहा कि अब वह दफ्तरों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुके हैं। आखिरकार आज होने वाले 26 जनवरी के गणराज्य दिवस पर वह मुख्य मेहमान को अपने तामर पत्र तथा सारे कागजात भेंट करेंगे। इस मौके माता के पुत्र जगसीर सिंह ने भी कहा कि वह धन्यवाद करते हैं, मीडिया का जिनकी बदौलत पिछले दो सालों से उनको जिला स्तरीय समागमों में बुलाना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार को प्रशासन द्वारा अभी तक कोई भी पक्ष सोच नहीं दी गई।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार किसानों तथा अन्य शहीदों के परिवारों को नौकरियों से नवाज सकती है, तो फिर स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों की तरफ क्यों नहीं नजर पड़ती, क्यों नहीं उनकी दुख-तकलीफें सुनी जा रही। उन्होंने कहा कि वह पिछली बार भी 26 जनवरी के दिन अपने तामर पत्र तथा सारे दस्तावेज वापस कररने के लिए जिला स्तरीय समागम में पहुंचे थे, लेकिन मौके पर अधिकारियों ने उनको सहूलियतें दिलाने का भरोसा देकर वापस मोड़ दिया था, लेकिन आज वह वापस नहीं लौटेंगे, वह तामर पत्र वापस करके ही आएंगे। इस मौके परिवार ने कहा कि यही नहीं, उनके स्वतंत्रता संग्रामी बुजुर्ग प्रदेश शहीद जवाहर सिंह के नाम पर गांव का अस्पताल का नाम भी रखा हुआ है तथा अभी तक सरकारी स्कूल का नाम नहीं रखा गया, जिसका उनको तब से रोष है। इस मौके उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों की तुरंत सार ली जाए तथा उनको बनती सहूलियतें दी जाएं।
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