री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ का मुद्दा ही रहेगा अहम

Edited By Updated: 25 May, 2017 01:25 PM

punjabi university patiala

पंजाबी यूनिवर्सिटी की सिंडीकेट की मीटिंग इसी हफ्ते में होने की संभावना है। इसे लेकर अफसर तैयारियां कर रहे हैं और 25 मई को इस संबंधी नोटिस भी आ सकता है।

पटियाला(प्रतिभा) : पंजाबी यूनिवर्सिटी की सिंडीकेट की मीटिंग इसी हफ्ते में होने की संभावना है। इसे लेकर अफसर तैयारियां कर रहे हैं और 25 मई को इस संबंधी नोटिस भी आ सकता है। हालांकि अभी इसे लेकर पक्के तौर पर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। वहीं जानकारी के मुताबिक इस बार सिंडीकेट में बहुत ज्यादा मुद्दे नहीं होंगे। मुख्य मामला री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ का रहेगा। इसके अलावा खर्चों में कटौती संबंधी फैसले और एग्जामिनेशन से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दे हो सकते हैं। लेकिन सिंडीकेट मीटिंग में री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ के मुद्दे को लेकर फैसला अहम है। 

चूंकि टीचिंग स्टाफ का मामला इस समय कोर्ट में चल रहा है और इसकी सुनवाई की अगली तारीख 1 जून है। इसलिए यूनिवर्सिटी अथारिटी को भी अपना पक्ष कोर्ट में रखना है। इसलिए री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ के मसले पर जो तीन मैंबरी कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी है, उसे सिंडीकेट में पास करवाकर उस रिपोर्ट को कोर्ट में सौंपा जाना है। बता दें कि री-इम्प्लाइड 80 के करीब स्टाफ को रिलीव करने की डिमांड चल रही है। इसे लेकर यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला सुना दिया था और इन्हें रिलीव कर दिया गया था। पर स्टाफ ने इस फैसले पर कोर्ट से स्टे ले ली और अब यह मामला कोर्ट में ही जारी है। गौरतलब है कि 31 मार्च को सिंडीकेट की मीटिंग हुई थी। इसमें यूनिवॢसटी के एक्टिंग वाइस चांसलर ने नियुक्तियों समेत कई अन्य मसलों पर फैसला दिया था। 

उसके बाद यह दूसरी सिंडीकेट मीटिंग होनी है जोकि इसी हफ्ते के आखिर में हो सकती है। वहीं री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ का मामला भी इसमें काफी अहम है। क्योंकि इसे लेकर पिछले लंबे समय से कंट्रोवर्सी जारी है। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी ने भी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करनी है जोकि सिंडीकेट की मीटिंग में पास होने के बाद ही भेजी जाएगी। वहीं कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में री-इम्प्लाइड टीचिंग स्टाफ द्वारा उनकी सेवाएं जारी रखने को लेकर जो तर्क दिए गए हैं, उन तर्कों के जवाब दिए गए हैं। जैसे कि स्टाफ का कहना है कि उनके तहत पीएच.डी. कर रहे स्टूडैंट्स के करियर का सवाल है, अगर वो रिलीव होते हैं, तो इन स्टूडैंट्स का क्या होगा। इस पर कमेटी ने अपना तर्क दिया है कि कैसे इन स्टूडैंट्स को एडजस्ट किया जा सकता है और उनकी रिसर्च को जारी रखा जा सकता है। 

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