Edited By Kalash,Updated: 31 Dec, 2021 01:26 PM
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में सबसे दिलचस्प मुकाबला पंजाब में होता दिखाई दे रहा है। सबकी नजरें इन चुनावों पर टिकी हुई हैं
चंडीगढ़: अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में सबसे दिलचस्प मुकाबला पंजाब में होता दिखाई दे रहा है। सबकी नजरें इन चुनावों पर टिकी हुई हैं। यहां दोस्ती, वफा और दगा की कहानी में नित्य नए अध्याय जुड़ रहे हैं। नेताओं की आपसी बयानबाजी काफी तेज हो गई है। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस को बीते वर्ष वह देखना पड़ा, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। कांग्रेस ने पिछले चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़े थे। 117 सदस्यता विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटों हासिल की थी।
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बहुमत के बाद भी अमरिंदर सिंह सरकार कभी स्थिर नहीं रही और इसका कारण था आपसी खींच तान। भाजपा से कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू को अमरिंदर सिंह के मंत्री मंडल में जगह तो दी गई पर दोनों नेताओं के दरमियान दूरी बढ़ती ही रही। हालात यहां तक पहुंच गए कि अमरिंदर सिंह ने सी.एम. की कुर्सी छोड़ दी। बाद में उन्होंने नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया और भाजपा के साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया। अब कांग्रेस की चुनावी किश्ती पार लगाने की जिम्मेदारी नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और सूबा प्रधान नवजोत सिद्धू के कंधों पर है।
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विरोधी शिरोमणि अकाली दल और भाजपा भी टूट-फुट से बच नहीं सकी। नए कृषि कानून (जो अब रद्द हो गए हैं) लाए जाने साथ ही दोनों पार्टियों की दशकों पुरानी दोस्ती टूट गई। शिरोमणि अकाली दल ने आगामी चुनावों में बसपा के साथ मिल कर लड़ने का ऐलान किया है। उधर आम आदमी पार्टी ने भी सूबो में अपनी ताकत झोंक दी है।
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अनुमान और नतीजे भी उसके पक्ष में आ रहे हैं। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद से आप के हौसले बुलंद हैं। उधर कई चुनाव से पहले सर्वेक्षणों में आप के सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने का अनुमान प्रकट किया जा रहा है। ऐसे में आगानी चुनाव सूबो में नई सरकार लेकर तो आएगा ही, दोस्ती-शत्रुता की नयी कहानियां भी घड़ेगा। कृषि कानूनों के रद्द होने से उत्साहित 22 खेती संगठनों ने भी अपनी एक राजनीतिक पार्टी बना ली है।
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