Punjab: निकाय चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के कई नेताओं ने किया किनारा, कई दिग्गज लिस्ट में से गायब

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 12 Dec, 2024 05:12 PM

punjab many bjp leaders backed out from contesting civic elections

भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हर बार पंजाब में होने वाले चुनाव से पहले दावे बड़े बड़े किए जाते हैं, लेकिन चुनाव का परिणाम कुछ और ही तस्वीर पेश कर रहा होता है। पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें, लोकसभा चुनाव हों, या उपचुनाव रहे हों, हर जगह...

जालंधर : भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हर बार पंजाब में होने वाले चुनाव से पहले दावे बड़े बड़े किए जाते हैं, लेकिन चुनाव का परिणाम कुछ और ही तस्वीर पेश कर रहा होता है। पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों की बात करें, लोकसभा चुनाव हों, या उपचुनाव रहे हों, हर जगह भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी और अब जब पंजाब के सभी निगमों में निकाय चुनाव हो रहे हैं, तब भी भाजपा पूरी तैयारी से मैदान में जुट गई है, लेकिन हैरानी की बात है कि भाजपा को उम्मीदवार ढूंढने में भी परेशानी होने लग गई है। 

एक दौर था, जब भाजपा में टिकट पाने के लिए सिफारिशों का सिलसिला चलता था। गली मोहल्ले के प्रधान से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से टिकट लेने के लिए सिफारिश डाली जाती थी, लेकिन अब एक यह दौर है कि जब पार्टी को टिकट देने के लिए लोग नहीं मिल रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने जालंधर में निगम चुनावों के लिए पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें कई चेहरे या नाम पढ़कर बहुत से लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं। 

लोगों को इसलिए हैरानी हुई क्योंकि उन्हें लगता था कि पार्टी ने जीत हासिल करने के लिए किसी स्ट्रैटेजी के तहत चेहरे बदले हैं, लेकिन आज दिन भर चर्चाओं का बाजार गर्म होने के बाद जो बात निकलकर सामने आई है, उसने एक बार फिर से लोगों को हैरान कर दिया। असलियत में भाजपा ने जो नए चेहरे मैदान में उतारे हैं, उनमें से कईयों को तो अभी भाजपा के जिला स्तर के पदाधिकारियों के नाम भी नहीं पता होंगे। पार्टी ने ये नए चेहरे किसी स्ट्रेटेजी के तहत नहीं, बल्कि मजबूरी में उतारे हैं क्योंकि पार्टी के बहुत से नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। 

सूत्रों के अनुसार पार्टी के कुछ नेता भाजपा की लगातार पंजाब में गिर रही साख के कारण या तो चुप होकर बैठ गए हैं या फिर उन्हें अब यह लगने लग गया है कि पार्टी का पंजाब में कुछ नहीं होने वाला। पिछले नगर निगम चुनावों में जिन धुरंधरों ने चुनाव लड़ा था और जीता भी था, वे सब धुरंधर गायब हैं। ये नहीं कि इन्हें हारने का डर सता रहा है, बल्कि ये लोग इसलिए भी पीछे हट गए क्योंकि पार्टी लाइन में कोई किसी स्ट्रेटेजी के तहत कोई काम नहीं हो रहा। पार्टी पूरी तरह से बिखर चुकी है, पार्टी को संभालने वाला कोई नेता नहीं है, जिसके कारण यह स्थिति पैदा हो रही है।

भाजपा में इस स्थिति के लिए कोई और नहीं, बल्कि कई बड़े नेता जिम्मेदार हैं, जो खुद को पार्टी का खैरख्वा बताते हैं। इन नेताओं ने न तो पार्टी में अनुशासन रहने दिया और न ही अनुशासन वाली पार्टी को संभालने की कोशिश की। कांग्रेस से नेता लाकर उन्हें टिकटे दी जाती रहीं, भाजपा से कई नेता अन्य दलों में चले गए, जब वापस आए तो उन्हें पूरा मान सम्मान दिया गया। बेशक अब वे नेता फिर से वापस चले गए हैं। पार्टी की इस लापरवाही ने पार्टी के निष्ठावान वर्कर को मायूस किया है, जिस कारण वह अब या तो घर बैठ गया या उसे पार्टी में कोई दिलचस्पी नहीं रही।

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